जनता सब जानती है - ये है कड़कनाथ का जलवा Gorakhpur News
पढ़ें गोरखपुर से राजेश्वर शुक्ल का कालम-जनता सब जानती है--
गोरखपुर, जेएनएन। आजकल जिले में कड़कनाथ (मुर्गा) की खूब चर्चा है। वैसे तो कड़कनाथ पिछले डेढ़ सालों से सुर्खियों में बने हुए हैं, पर महोत्सव में इस बार उनकी खास धमक देखने को मिली। प्रदर्शनी में लोग उन्हें ढूंढते नजर आए। जिनकी भी नजर कड़कनाथ पर पड़ी वह उनके मुरीद हो गए। बेहतर स्वास्थ्य के लिए वरदान माने जाने वाले कड़कनाथ का नाम तो लोगों ने खूब सुना था लेकिन उनका पहला दीदार लोगों ने मेले में ही किया। दीदार हुआ तो मन को तसल्ली हो चली। लेकिन कड़कनाथ तो कड़कनाथ ही ठहरे उन्हें केवल देखने की इजाजत थी, इस कारण कुछ लोग निराश भी हुए। कई तो यह भी कहते नजर आए कि छूने से तो कड़कनाथ का जलवा कम नहीं हो जाता फिर भी भाव देखिए कि छूने तक नहीं दे रहे। इस पर एक ने कहा कि भाई बस देखते रहो, यही तो कड़कनाथ का जलवा है....
और सराहे गए आइएएस दंपती
महोत्सव के सफल आयोजन को लेकर बधाइयों का दौर जारी है। आयोजन सफल हुआ तो अफसरों ने राहत की सांस ली। महोत्सव बेहद खास शैली से संपन्न हुआ तो चर्चा भी होनी लाजिमी थी। वरिष्ठों ने कनिष्ठों को सराहा जिसके वे काबिल थे। मंडल के मुखिया ने महोत्सव को सफलतापूर्वक संपन्न कराने की जिम्मेदारी युवा आइएएस दंपती को दी तो दंपती ने अपनी जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन भी किया। दिनरात एक कर आयोजन को सफल बनाया। प्राधिकरण में हालिया तैनात हुए युवा आइएएस को नोडल की जिम्मेदारी मिली तो पुराने अनुभवों को समेकित कर शानदार नियोजन की तस्वीर पेश की। जिले के विकास कार्यों वाले महकमें की जिम्मेदारी संभाल रहीं आइएएस अधिकारी ने पास व सीटिंग प्लान की जिम्मेदारी को देखा। अधिकारी ने पास वितरण में भी सतर्कता बरती। महोत्सव की मुख्य व्यवस्था आइएएस दंपती ने संभाल रखी थी, यही उनकी सराहना और सफल आयोजन का कारण भी बना।
न निगल पा रहे न उगल
पंचायती राज व्यवस्था से जुड़े एक विभाग में इन दिनों काफी गहमागहमी है। वजह चुनाव का नजदीक होना है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे जनता के रहनुमाओं की परेशानियों में इजाफा हो रहा है। इनकी परेशानियां देख विभाग के 'साहब को काफी मजा आ रहा है। इस विभाग में पिछले एक साल से विकास कार्य पूरी तरह ठप है। इसके लिए 'साहब की अनूठी कार्यशैली जिम्मेदार है लेकिन 'साहब ने इससे निपटने के लिए 'बड़े माननीयों के प्रस्ताव मांग लिए। बस शुरू हो गया हंगामें का दौर। मानो 'साहब को इसी की तलाश थी, ऐसे में वह कहां चूकने वाले थे। खैर, मीटिंग हुई तो 'साहब ने अपनी पुरानी बात दोहराई कि 'बड़े माननीयों की उपेक्षा भी नहीं की जाएगी। उनका खास ख्याल रखने का ऊपर से निर्देश है लेकिन 'साहब के लिए यही कहना मुसीबत का सबब बना। 'साहब न तो उगल पा रहे और न निगल।
जगजाहिर हुआ 'साहब का महिला प्रेम
स्वच्छता अभियान से जुड़े एक 'साहब का महिला प्रेम जगजाहिर है। पिछले साल एक महिला को लेकर चर्चा में रहे 'साहब को काफी जलालत झेलनी पड़ी थी। मुकदमा भी दर्ज हुआ। अभी यह मामला पूरी तरह थमा नहीं कि 'साहब का एक आडियो फिर वायरल हो गया। शुरू हुआ चर्चाओं का दौर। कर्मचारियों ने चुटकी ली कि 'साहब सुधरने वाले नहीं। एक ने कहा कि गैर जनपद की महिला से अभी छुटकारा भी नहीं मिला कि 'साहब दूसरी जगह प्रेम की पींगे बढ़ाने लगे। दूसरे ने कहा कि 'साहब का मैनेजमेंट गजब का है इसलिए यह मामला भी सुलझा लेंगे। चर्चा आगे बढ़ी तो तीसरे ने कहा कि अब समझ में आया कि 'साहब के कमरे में घंटो तक मीटिंग क्यों होती है? तब तक कर्मचारियों की नजर कमरे में बैठे एक अनजान शख्स पर पड़ती है इसके बाद सभी चुप्पी साध सभी अपने काम में मशगूल हो जाते हैं।