नया सवेरा पर दिखेगा सूर्य मंदिर का अक्स Gorakhpur News
मुख्य द्वार का निर्माण करा रहे राजस्थान के उदयपुर निवासी शरद सोमपुरा ने बताया कि द्वार के दोनों तरफ द्वारपाल की मूर्ति बनाई गई है। पर्यटक इसी द्वार से प्रवेश करेंगे।
गोरखपुर, जेएनएन। रामगढ़ताल के नया सवेरा पर कोणार्क के सूर्य मंदिर का अक्स नजर आएगा। निर्माणाधीन मुख्य द्वार पर लग रहे पत्थर के पहियों की तीलियां दिन के आठ पहर का बोध कराएंगी। इस काम के होली से पहले पूरा होने की उम्मीद है।
चल रहा दिन रात काम
मुख्य द्वार का निर्माण करा रहे राजस्थान के उदयपुर निवासी शरद सोमपुरा ने बताया कि द्वार के दोनों तरफ द्वारपाल की मूर्ति बनाई गई है। पर्यटक इसी द्वार से प्रवेश करेंगे। ओडिशा के मंदिर में बने स्टोन व्हील्स (पत्थर के पहिये) की तरह यहां भी चार पहिये होंगे। गुजरात और छिंदवाड़ा के शिल्पी पर्यटकों को प्राचीन स्थापत्य और मूर्ति कला का नमूना दिखाने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं।
यह होगी विशेषता
75 लाख की लागत से जल निगम करा रहा निर्माण।
46 फीट ऊंचा और 25 फीट चौड़ा होगा मुख्य द्वार।
निर्माण में 10 टन पत्थरों का होगा इस्तेमाल।
मजबूती के लिए खोदी गई 15 मीटर गहरी नींव।
सूर्य मंदिर की स्थापत्य कला को भी उकेरा गया।
यह है आठ पहर
हिन्दू धर्म के अनुसार 24 घंटे में आठ पहर होते हैं। एक पहर औसतन तीन घंटे या साढ़े सात घटी का होता है। इसमें दो मुहूर्त होते हैं। भारतीय शास्त्रीय संगीत में हर राग को गाने का समय पहर के अनुसार ही सुनिश्चित किया गया है।
समय की गति दर्शाता है सूर्य मंदिर
कोणार्क के सूर्य मंदिर का निर्माण राजा नरसिंह देव ने 13वीं शताब्दी में कराया था। 12 जोड़ी पहियों वाले सूर्य देव के रथ को खींचते सात घोड़े समय की गति को दर्शाते हैं। पूर्व दिशा की ओर जुते सात घोड़े सप्ताह के सात दिन, 12 जोड़ी पहिये दिन के चौबीस घंटे, आठ तीलियां दिन के आठ पहर का प्रतीक हैं। पहियों के बारे में कहा जाता है कि 12 जोड़ी पहिये साल के 12 महीनों के बारे में भी संदेश देते हैं।