पीएम मोदी व सीएम योगी की जोड़ी बदल रही पूरब की सूरत, पूर्वांचल के विकास में मील का पत्थर साबित होगा खाद कारखाना
प्रधानमंत्री ने पूर्वांचल पर सौगातों की बौछार की हे। कुशीनगर में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा के बाद सिद्धार्थनगर से नौ मेडिकल कालेजों का लोकार्पण और फिर गोरखपुर खाद कारखाना और एम्स समेत 9650 करोड़ रुपये की तीन परियोजनाओं का लोकार्पण कर संकल्प को सिद्ध करने वाली सरकार होने का संदेश दिया।
गोरखपुर, बृजेश दुबे। बुद्ध की धरती से बाबा गोरखनाथ के धाम तक, गोरखपुर और बस्ती मंडल में बीते 50 दिन की राजनीतिक प्रखरता नये पूर्वांचल का यशोगान कर रही है। इस अवधि में बड़ी विकास परियोजनाओं के लोकार्पण के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का तीन बार आना बता रहा है कि सालों तक पिछड़े रहने का दंश झेलने वाले पूरब के जिलों में विकास का सूर्योदय हो चुका है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गढ़ विकास और राजनीतिक क्षितिज पर चमकने लगा है। वह मजबूत होकर उभरा है और आत्मनिर्भरता की राह पर आगे बढ़ा है। कुशीनगर, सिद्धार्थनगर और गोरखपुर में केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से स्वास्थ्य, समृद्धि और संचार की 12,500 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और 255 करोड़ रुपये की योजना का शिलान्यास दर्शा रहा है कि यह क्षेत्र विकास की नई धुरी बनने जा रहा है। न केवल सामाजिक-आर्थिक बल्कि राजनीतिक विकास की भी।
बदल रही पूर्वांचल की सूरत
प्रधानमंत्री 20 अक्टूबर को भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर आए और प्रदेश का तीसरा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा राष्ट्र को समर्पित किया। साथ ही मेडिकल कालेज का शिलान्यास भी किया। इसके पांच दिन बाद 25 अक्टूबर को बुद्ध की क्रीड़ास्थली सिद्धार्थनगर गए और वहां से प्रदेश के नौ राजकीय मेडिकल कालेजों का लोकार्पण किया। मंगलवार को गोरखपुर-बस्ती मंडल में उनका तीसरा दौरा था, जहां उन्होंने खाद कारखाना और एम्स समेत 9650 करोड़ रुपये की तीन परियोजनाओं का लोकार्पण कर संकल्प को सिद्ध करने वाली सरकार होने का संदेश दिया। इस संदेश के राजनीतिक निहितार्थ भी हैैं। मिशन 2022 के अंतर्गत 350 प्लस सीटों का लक्ष्य रखने वाली भाजपा ने इन आयोजनों के माध्यम से गोरखपुर-बस्ती मंडल के सात जिलों को डबल इंजन वाली सरकार की मजबूती भी दिखाई है, जहां की जनशक्ति ने 2017 के चुनाव में 41 में से 36 विधानसभा सीटें उनकी झोली में डाल दी। स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ रोजगार और खुशहाली का यह लोकार्पण मऊ, बलिया, आजमगढ़, अयोध्या, गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती आदि जिलों को भी इसी मजबूती का संदेश दे रहा है। हालांकि यह भविष्य जानता है कि राजनीतिक निहितार्थ की जमीन पर फल-फूल रही सामाजिक-आर्थिक विकास की बगिया 2022 में कितनी सीटों पर सुगंध बिखेर पाएगी, लेकिन यह जरूर है कि खुशहाली के इस तालाब में भाजपा कमल खिलाने के लिए जुटी हुई है।
पूरब में मोदी
बीते 50 दिन में गोरखपुर-बस्ती मंडल में तीन बार आ चुके हैैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी।
12,500 करोड़ के कामों का लोकार्पण व 255 करोड़ के काम का शिलान्यास किया।
9650 करोड़ रुपये की योजनाओं का लोकार्पण गोरखपुर दौरे में।
2555 करोड़ रुपये के नौ मेडिकल कालेजों का लोकार्पण सिद्धार्थनगर की जनसभा में।
521 करोड़ रुपये के विकास कार्य का लोकार्पण एवं शिलान्यास कुशीनगर में।
ऐसे शुरू हुआ खाद कारखाना
20 अप्रैल 1968 को फर्टिलाइजर कारपोरेशन आफ इंडिया (एफसीआइ) के नेप्था आधारित खाद कारखाना का शुभारंभ हुआ था।
10 जून 1990 को अमोनिया गैस के रिसाव के कारण खाद कारखाना को बंद करना पड़ा।
तत्कालीन सांसद और वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खाद कारखाना के लिए 18 साल लंबा संघर्ष किया था।
संसद का शायद ही कोई सत्र बीता हो जिसमें सांसद योगी आदित्यनाथ ने खाद कारखाना चलाने का मुद्दा न उठाया हो।
संघर्ष का परिणाम यह रहा कि 22 जुलाई 2016 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खाद कारखाना का शिलान्यास किया।
छह सौ एकड़ में खाद कारखाना का निर्माण हुआ है।
पुराने खाद कारखाना की जगह नए कारखाना का निर्माण 27 फरवरी 2018 को शुरू हुआ।
खाद कारखाना के निर्माण पर 8603 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।
खाद कारखाना में रोजाना 3850 टन (12.7 लाख टन) नीम कोटेड यूरिया और 22 सौ टन अमोनिया का उत्पादन होगा। फर्टिलाइजर कारपोरेशन आफ इंडिया (एफसीआइ) के खाद कारखाना में सालाना तकरीबन साढ़े तीन लाख टन यूरिया का उत्पादन होता था।
निर्माण में भारत सरकार के बजट का उपयोग नहीं हुआ है। इसमें प्रमोटर कंपनियों की इक्विटी और बैंक ऋण का उपयोग हुआ है। भारत सरकार ने 1257 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त ऋण दिया है।
नीम कोटेड यूरिया उत्पादन लागत लगभग 28 हजार रुपये प्रति टन आएगी।
खाद कारखाना 38 महीने में बनकर तैयार होना था लेकिन कोरोना संक्रमण की दो लहरों के कारण यह 46 महीने में बनकर तैयार हुआ।
प्रधानमंत्री उर्जा गंगा प्रोजेक्ट की गेल गैस पाइपलाइन से खाद कारखाना को गैस मिल रही है।
दक्षिण कोरिया में निर्मित बुलेट प्रूफ रबर डैम बनाया गया है। इस पर 30 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।
खाद कारखाना में चौर सौ लोगों को सीधे और 20 हजार को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा।