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अधिकारी ने कहा-यहां पर जंगली जानवरों के भय से भगा दिए गए संरक्षित गोवंश Gorakhpur News

ग्राम विकास अधिकारी अखिलेश चौधरी बताया कि जंगली जानवरों के आतंक से पशुओं को गो आश्रय स्थल से भगा दिया गया। अब फिर से उन्हे रखा जा रहा है।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Thu, 17 Oct 2019 06:47 PM (IST)Updated: Thu, 17 Oct 2019 07:00 PM (IST)
अधिकारी ने कहा-यहां पर जंगली जानवरों के भय से भगा दिए गए संरक्षित गोवंश Gorakhpur News
अधिकारी ने कहा-यहां पर जंगली जानवरों के भय से भगा दिए गए संरक्षित गोवंश Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। बस्ती जिले के कुदरहा विकास क्षेत्र के ग्राम पंचायत सिसई बाबू के राजस्व गांव कडज़ा अजमतपुर के अस्थाई गो आश्रय में अब महज चार ही गोवंश मौजूद है। इसमें रखे गए गोवंश में से आधे से अधिक की मौत हो चुकी है जबकि बचे गोवंश को भगा दिया गया। ग्राम विकास अधिकारी अखिलेश चौधरी बताया कि जंगली जानवरों के आतंक से पशुओं को गो आश्रय स्थल से भगा दिया गया। अब फिर से उन्हे रखा जा रहा है।

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जिले का सबसे बड़े गोसदन में सिर्फ बदइंतजामी

विकास खंड के सर्वाधिक गोवंश संरक्षण वाले आश्रय स्थल के रूप में जाना जाने वाला कडज़ा अजमतपुर का पशु आश्रय स्थल बदइंतजामी का शिकार है। भूख, बीमारी व जंगली जानवरों के काटने से जब यहां रखे गए गोवंश की मौत होने लगी तो जिम्मेदारों ने  पशु आश्रय स्थल में रखे गोवंश को भगा दिया। ग्रामीणों का कहना है कि जब यह गो आश्रय स्थल शुरू हुआ था तो 25 पशु रखे गए थे। इनमें से आधे से अधिक की मौत हो गई। जो बचे उन्हे जंगली जानवरों के भय से भगा दिया गया। अब यहां सिर्फ दिखावे के लिए चार गोवंश ही मौजूद हैं।

सुरक्षा तक का इंतजाम नहीं

इस आश्रय स्थल में गोवंश की सुरक्षा तक के इंतजाम नहीं हैं। आश्रय स्थल के चारों ओर लोहे की जाली लगाई गई है, मगर इसकी उंचाई कम होने के कारण और जगह जगह जाली के नीचे से घुसने की जगह होने के कारण जंगली जानवर गो आश्रय स्थल में घुस आते हैं और पशुओं को काट लेते हैं।

जबसे लगा तबसे जला ही नहीं सोलर लाइट

गोवंश संरक्षण आश्रय स्थल में पर्याप्त भूसा, पशु आहार और हरे चारे तक की व्यवस्था नहीं है। यहां का सोलर लाइट खराब है। ग्रामीणों की मानें तो जब से यह लगा है जला ही नहीं।

यह है गाेवंश की पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट

पशु चिकित्साधिकारी डा. फजील खान ने इस संबंध में बताया कि पांच मृत गोवंश का पोस्टमार्टम अब तक किया गया है। इनमें से कुछ की मौत जंगली जानवरों के काटने से हुई है। ग्राम पंचायत ने गोवंश की सुरक्षा को लेकर पर्याप्त व्यवस्था नहीं की है।


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