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जेल में मां के गले लगकर फूट-फूटकर रोया निर्भया का दोषी Gorakhpur News

निर्भया के दोषी पवन गुप्ता बस्ती जिले के जगन्नाथपुर का निवासी है। निर्भया के दोषी पवन से मिलने मंगलवार को उसकी मां इंद्रावती नानी दर्शना देवी और मामा ज्ञान पहुंचे थे।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Wed, 05 Feb 2020 09:20 AM (IST)Updated: Wed, 05 Feb 2020 11:37 AM (IST)
जेल में मां के गले लगकर फूट-फूटकर रोया निर्भया का दोषी Gorakhpur News
जेल में मां के गले लगकर फूट-फूटकर रोया निर्भया का दोषी Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। निर्भया के दोषियों की एक फरवरी को होने वाली फांसी भले ही अगले आदेश तक टल गई हो, लेकिन उनका डर अभी भी बरकरार है। इन्हीं दोषियों में से एक अभियुक्त पवन गुप्ता बस्ती जिले के जगन्नाथपुर का निवासी है। निर्भया के दोषी पवन से मिलने मंगलवार को उसकी मां इंद्रावती, नानी दर्शना देवी और मामा ज्ञान पहुंचे थे।

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आधे घंटे तक हुई मुलाकात

इंद्रावती देवी ने फोन पर बताया कि जेल अधीक्षक के कार्यालय में उनकी मुलाकात करवाई गई। मुलाकात करीब आधे घंटे की हुई। पवन उनके गले लगकर खूब रोया। बस्ती निवासी पवन के परिवार के लोग तो दिल्ली के आरकेपुरम रविदास कैंप में रहते हैं।

रोज हो रही दोषियों की स्वास्थ्य जांच

जेल में तैनात चिकित्सक रोजाना दोषियों के स्वास्थ्य की जांच कर रहे हैं। जांच के नतीजों को संबंधित दोषियों की फाइल में दर्ज किया जा रहा है। जेल सूत्रों का कहना है कि यदि दोषियों को फांसी पर लटकाने का आदेश प्राप्त होता है तो उस स्थिति में इस फाइल की अहमियत काफी अधिक हो जाएगी। इसकी वजह यह है कि जेल नियमावली के मुताबिक, फांसी की सजा पर अमल तभी हो सकेगा जब ये शारीरिक व मानसिक तौर पर पूरी तरह फिट रहेंगे। स्वास्थ्य जांच के दौरान अन्य बातों के अलावा इनके वजन पर नजर रखी जा रही है।

दोषियों के वजन पर भी नजर

वजन के हिसाब से यह तय होगा कि किस दोषी को फंदे से कितना नीचे लटकाया जाएगा। नियमों के मुताबिक कम वजन के दोषियों को ज्यादा वजन वाले की तुलना में अधिक नीचे लटकाया जाता है। जेल सूत्रों का कहना है कि कुछ समय से चारों दोषियों में कुछ के वजन में कमी आ रही है। जेल अधिकारियों का कहना है कि चारों दोषी पूरी तरह फिट हैं, लेकिन वजन के बारे में वे कुछ भी बताने से इनकार कर रहे हैं। जेल सूत्रों का कहना है कि इनके स्वास्थ्य पर निगरानी रखने के लिए जेल अस्पताल की ओर से चिकित्सकों की एक टीम बनाई गई है। इस टीम के चिकित्सक ही इनकी रोजाना जांच कर रहे हैं। किसी के छुट्टी पर रहने की स्थिति में इस टीम का ही कोई चिकित्सक इनकी जांच करता है। टीम के अलावा किसी अन्य को जांच की अनुमति नहीं है।

वजन व लंबाई के मुताबिक तय होती है लटकने की सीमा

जेल नियमावली के मुताबिक फांसी के फंदे पर लटकाने से जुड़ी प्रक्रिया में दोषी के वजन व उसकी लंबाई का बड़ा महत्व है। फांसी का फंदा जिस लोहे की बीम पर लगे हुक से बांधा जाता है। वहां से लंबाई व वजन के हिसाब से गर्दन में लगे फंदे के लटकने की लंबाई तय होती है। दोषी का वजन यदि 45 किलोग्राम या इससे कम है तो उसे प्लेटफार्म से 2.4 मीटर नीचे लटकाया जाएगा। इसी तरह यदि दोषी का वजन 45 किलोग्राम से अधिक और 60 किलोग्राम से कम है तो उसे करीब 2.29 मीटर नीचे तक लटकाया जाएगा। यदि 60 किलोग्राम से 75 किलोग्राम के बीच दोषी का वजन है तो यह लंबाई घटकर 2.13 मीटर हो जाएगी। 75 किलोग्राम से 90 किलोग्राम के बीच भार वाले दोषियों के लिए यह सीमा 1.98 मीटर है। यदि दोषी का वजन 90 किलोग्राम से अधिक है तो यह सीमा घटकर 1.83 हो जाती है।


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