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Coronavirus Effect: अबकी बार फीका रहेगा इनका सावन, गेरुआ वस्‍त्र से भरी रहती थीं दुकानें Gorakhpur News

हर साल उम्मीद लेकर आने वाला सावन इस बार उनके लिए नाउम्मीदी भरा है। पहले लॉकडाउन और फिर कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों से बाबा धाम यात्रा पर एक तरह से रोक है।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Sat, 04 Jul 2020 07:58 PM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2020 09:21 AM (IST)
Coronavirus Effect: अबकी बार फीका रहेगा इनका सावन, गेरुआ वस्‍त्र से भरी रहती थीं दुकानें Gorakhpur News
Coronavirus Effect: अबकी बार फीका रहेगा इनका सावन, गेरुआ वस्‍त्र से भरी रहती थीं दुकानें Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। सावन में बाबा धाम जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए वस्त्र और झोला तैयार करने वाले सैकड़ों कारीगरों के हाथ इस बार खाली रहेंगे। हर साल उम्मीद लेकर आने वाला सावन इस बार उनके लिए नाउम्मीदी भरा है। पहले लॉकडाउन और फिर कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों से बाबा धाम यात्रा पर एक तरह से रोक है। ऐसे में न सिर्फ दुकानदारों को बल्कि कावरियों के वस्त्र से लेकर झोला तक तैयार करने वाले कामगारों के नुकसान उठाना पड़ रहा है। अनुमान के मुताबिक सावन में गेरुआ वस्त्रों का करीब दो करोड़ का कारोबार है। आसपास के जिलों से लेकर बिहार तक वस्त्रों की आपूर्ति यहीं से होती है।

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शहर के इस क्षेत्र में 50 से ज्‍यादा दुकानें

शहर के पांडेयहाता, मुरब्बा गली और इलाहीबाग में 50 से ज्यादा दुकानों पर सावन के महीने में गेरुआ वस्त्रों की बिक्री सबसे ज्यादा होती है। कुर्ता, गमछा, बनियान, हाफ पैंट और झोला की डिमांड अधिक रहती है, लेकिन इस बार कावरियों के लिए परिधान बेचने वाले दुकानदारों के यहां भी सन्नाटा पसरा है। लॉकडाउन से पहले ही कारोबारी दिल्ली व कोलकाता से लाखों का माल मंगवा चुके हैं, लेेकिन बिक्री नहीं है।

यही तैयार होता था गेरुए रंग का हाफ पैंट, बनियान एवं झोला

दूसरी तरफ शहर के इलाहीबाग, पिपरापुर, मोहनलालपुर, बख्तियार मोहल्ला समेत कई इलाकों में हाफ पैंट, बनियान एवं झोला बनता था, लेकिन इस बार वहां भी कोई काम नहीं है। बख्तियार मोहल्ले के मोहम्मद सलीम ने बताया कि कोरोना के चलते इस बार आर्डर नहीं मिला। हर साल दस हजार से ज्यादा झोला और हाफ पैंट तैयार करते थे। सावन में फुर्सत नहीं होती थी, इस बार हमलोग खाली बैठे हैं। पांडेयहाता के दुकानदार प्रवेश गुप्ता उर्फ टिंकू ने बताया कि इस महीने का पूरे साल इंतजार रहता था क्योंकि बिक्री अधिक होती थी। दर्शन पर रोक के कारण लोग सामान खरीदने नहीं आ रहे हैं।

नहीं हो रही बिक्री

20 वर्षों से घंटाघर में कावरियों के लिए परिधान एवं चुनरी बेच रहे मोहम्मद इरशाद के मुताबिक बाहर से माल तो मंगवा लिया, लेकिन बिक्री हो नहीं रही। दूसरी तरफ माल भेजने वाले कारोबारी भी पैसे के लिए दबाव बना रहे हैं। थोक व्यापारी ज्ञानेश्वर प्रसाद ने बताया कि उम्मीद थी कि सावन में लॉकडाउन के कारण हुए नुकसान की भरवाई हो जाएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। लाखों रुपये का माल फंस गया है। 


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