जीडीए में 23 साल से फंसा था रजिस्ट्री का मामला, वीसी ने हस्तक्षेप किया तो सप्ताह भर में हो गया निस्तारण
जीडीए की ओर से राप्तीनगर फेज चार में एक कालोनाइजर को जमीन आवंटित की गई थी। कालोनाइजर से ही हरिद्वार खरवार ने 1997-98 में जमीन खरीदी थी लेकिन रजिस्ट्री नहीं हो पा रही थी। जीडीए वीसी के हस्तक्षेप के बाद मामले का निस्तारण हो गया।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। गोरखपुर महानगर के पादरी बाजार निवासी हरिद्वार खरवार का जीडीए में फंसा 23 साल पुराना मामला निस्तारित हो गया है। इसके लिए उन्होंने जीडीए उपाध्यक्ष प्रेम रंजन सिंंह का आभार जताया है। 23 सालों से लटकी रजिस्ट्री हो जाने के बाद उनके परिवार ने राहत की सांस ली है।
यह है मामला
जीडीए की ओर से राप्तीनगर फेज चार में एक कालोनाइजर को जमीन आवंटित की गई थी। कालोनाइजर से ही हरिद्वार खरवार ने 1997-98 में जमीन खरीदी थी। पूरा भुगतान कर दिया था। कुछ समय बाद पास में स्थित एक स्कूल के संचालक ने उस जमीन के बीच से रास्ता मांगा। उन्होंने जमीन को जीडीए के ले आउट से बाहर बताया और कोर्ट में अपील कर दी। यह मामला हाई कोर्ट तक भी गया। वर्तमान में भी सिविल कोर्ट में मामला लंबित है। इस बीच हरिद्वार बार-बार जीडीए कार्यालय का चक्कर लगाते रहे लेकिन उनकी रजिस्ट्री नहीं हो पा रही थी। जीवन भर की पूंजी फंसी देख पूरा परिवार ङ्क्षचतित था। कुछ समय पहले वह जीडीए उपाध्यक्ष प्रेम रंजन सिंह से मिले और उनसे भी गुहार लगाई।
जमीन लेने के बाद नहीं हो पा रही थी रजिस्ट्री, उपाध्यक्ष ने सुलझाया मामला
उपाध्यक्ष के निर्देश पर इस फाइल की गहराई से जांच की गई तो पता चला कि सिविल कोर्ट से न तो कोई निर्णय हुआ है और न ही कोई स्थगन आदेश है। जीडीए के कौंसिल संजय मणि त्रिपाठी ने बताया कि इस मामले में विधिक राय ली गई। विधिक राय में बताया गया कि रजिस्ट्री की अनुमति दी जा सकती है। यह मामला जीडीए बोर्ड की बैठक में भी ले जाया गया। बोर्ड से पास होने के बाद जीडीए उपाध्यक्ष ने पीडि़त परिवार को राहत देते हुए सिविल कोर्ट के निर्णय के अधीन रजिस्ट्री कराने की अनुमति प्रदान कर दी।
इस निर्णय के बाद उनके पक्ष में जमीन की रजिस्ट्री हो गई है। पूरे परिवार ने उपाध्यक्ष से मिलकर उनका आभार जताया है। हरिद्वार ने बताया कि कई वर्षों से दौड़कर वह थक गए थे लेकिन राहत नहीं मिल रही थी। इस बार हमें तुरंत न्याय मिल गया। जीडीए उपाध्यक्ष ने कहा कि अगर किसी को समस्या है तो वह उनसे मिल सकता है। नियमानुसार मामले का निस्तारण किया जाएगा।