Gorakhpur kidnapping Case: बुढ़िया माई मंदिर घुमाने के बहाने छात्र को साथ ले गए थे अपहर्ता
Gorakhpur kidnapping Case गोरखपुर में छात्र को मंदिर घुमाने के बहाने अपहरण कर्ता उसे ले गए थे।
गोरखपुर, जेएनएन। घर से खेलने निकलने बलराम को दो अपहर्ता, कुसम्हीं जंगल स्थित बुढिय़ा माई मंदिर घुमाने के बहाने साथ ले गए थे। मंदिर में दर्शन करने के दौरान ही अपहरण और हत्या की वारदात में शामिल तीन अन्य आरोपित भी वहां पहुंच गए। वहीं पर उन्होंने भुट्टा और कोल्डड्रिंक खरीदा था। रजहीं नर्सरी के पास जाकर बलराम के साथ अपहर्ताओं ने भुट्टे और कोल्डड्रिंक की दावत की। इसके बाद उसे साथ लेकर अपहर्ताओं में शामिल पिपराइच क्षेत्र के महुआचाफी निवासी अजय गुप्त के घर पहुंचे। कुछ देर बाद बलराम घर जाने की जिद करने लगा तो अजय गुप्त के घर में ही उसे बंधक बना लिया। इसके बाद अजय गुप्त की दुकान में लाकर उसकी हत्या कर दी और शव को ठिकाने लगा दिया।
जंगल छत्रधकार निवासी महाजन गुप्त का पुत्र बलराम रविवार को दिन में 12 बजे के आसपास घर निकला था। गांव के दोस्तों के साथ खेल रहा था, उसी समय जंगल छत्रधारी गांव के मिश्रौलिया टोला निवासी निखिल और मीरगंज टोला निवासी अभिषेक स्कूटर से पहुंचे। बलराम को पास बुलाकर काफी देर तक बातचीत करते रहे। निखिल और अभिषेक के गांव का ही होने की वजह से बलराम भी उनसे बातचीत करने में मशगूल रहा। इसी बीच निखिल और अभिषेक ने अपहरण की योजना के मुताबिक बलराम से बुढिय़ा माई मंदिर घूमने चलने के लिए कहा। उनकी साजिश से बेखबर बलराम इसके लिए तुरंत तैयार हो गया। तीनों स्कूटर से बुढिय़ा माई मंदिर पहुंचे। वहां उनकी मुलाकात दयाशंकर, अजय गुप्त और अमर उर्फ शिवा से हुई। मंदिर दर्शन करने और भुट्टा खाने के बाद वे बलराम को साथ लेकर महुआचाफी अजय गुप्त के घर आ गए थे।
पहचान उजागर होने के डर से कर दी हत्या
अपहर्ताओं ने बलराम को महुआचाफी में अजय गुप्त के घर काफी देर तक बंधक बनाए रखा। उसके घर जाने की जिद करने और जोर-जोर से चीखने पर अपहर्ताओं को आसपास के लोगों को शक होने का अंदेशा हो गया। इसलिए वे बलराम को घर पहुंचाने का झांसा देकर अजय गुप्त की दुकान पर ले आए और हाथ-पैर बांध कर अंदर बंद कर दिया। इस बीच तीन बजे के आसपास अपहर्ताओं ने बलराम के पिता महाजन गुप्त को एक करोड़ की फिरौती के लिए फोन कर दिया था। उधर दुकान में बंद होने के बाद बलराम ने दोबारा शोर मचाना शुरू कर दिया। उसके साथ निखिल, शिवा, अजय गुप्त, संदीप व अजय चौहान अंदर ही मौजूद थे। पहले उन्होंने संदीप का हाथ-पैर बांधा। इसके बाद भी उसका चीखना बंद नहीं हुआ तो उसका सिर दीवार से टकरा दिया। बाद में उसे बेहोशी की दवा का डबल डोज दे दिया। जिससे वह बेहोश हो गया। इस बीच अपहर्ताओं को लग गया कि यदि बलराम को उन्होंने छोड़ दिया तो वह सबके बारे में बता देगा। इसलिए उसे मौत के घाट उतार दिया। हत्या करने के लिए अपहर्ताओं ने पहले गमछे से उसका गला घोंटा था। बाद में दोबारा बेहोशी का इंजेक्शन भी लगा दिया था। बाद में उसका शव बोरे में भरकर नाले में फेंक आए थे।
महराजगंज जिले में बसने की तैयारी में था बलराम का परिवार
महाजन गुप्त दो भाई हैं। उनके पिता ने अपने नाम की सारी जमीन दस साल पहले बेच दी थी और रुपये दोनों बेटों में बांट दिया था। उसी रुपये से महाजन गुप्त ने महराजगंज जिले के चौक इलाके में जमीन खरीदी थी। उस जमीन पर खेती कराते हैं। रोजमर्रा के खर्च के लिए उन्होंने घर में दुकान खोल रखी थी और जमीन के धंधे से जुड़े थे। इस बीच बेटे बलराम, गलत लड़कों के साथ में पड़कर बिगडऩे लगा था। इसको देखते हुए उन्होंने परिवार को महराजगंज भेजने की तैयारी कर ली थी। चौक इलाके में स्थित जमीन पर उन्होंने टिनशेड वगैरह डलवाना शुरू कर दिया था। रहने की पुख्ता व्यवस्था होने के बाद बलराम का परिवार वहीं बसने की तैयारी में था।
हुआ यह था
जंगल छत्रधारी के मिश्रौलिया टोला निवासी महाजन गुप्त का पांचवी में पढऩे वाला इकलौता बेटा, रविवार को दिन में खेलने निकला था। इसके बाद घर नहीं लौटा। तीन बजे के आसपास महाजन गुप्त के मोबाइल पर फोन आया। दूसरी तरफ से बोलने वाले ने बताया कि बलराम का उसने अपहरण कर लिया है। उसे छोडऩे के लिए उसने एक करोड़ रुपये फिरौती की मांग की। बाद में थोड़ी-थोड़ी अंतराल पर दो बार और फोन आया। दूसरी बार फिरौती में 50 लाख और तीसरी बार 20 लाख रुपये की मांग की। फोन करने वाले ने सोमवार की शाम तक रुपयों का इंतजाम कर लेने और पुलिस को सूचना न देने की की हिदायत दी थी। रविवार की शाम को ही पांच बजे बलराम गुप्त ने पुलिस को इस बारे में बता दिया। छानबीन में जुटी पुलिस अपहर्ताओं को पकड़ पाती इससे पहले ही उन्होंने बलराम की हत्या कर दी और शव को जंगल तिनकोनिया नंबर दो के पास नाले में फेंक दिया। इस मामले में पांच आरोपित गिरफ्तार किए गए हैं। पांच अन्य की तलाश की जा रही है।