सीएम सिटी में ध्वस्त कर दिए जाएंगे एक हजार से अधिक मकान, जानें-क्या है मामला
गोरखपुर शहर के रामगढ़ ताल के 500 मीटर के दायरे में बसे आवास ध्वस्त होंगे। इसके लिए एनजीटी की हाई पावर कमेटी ने आदेश दे दिया है।
By Edited By: Published: Wed, 29 May 2019 09:12 AM (IST)Updated: Wed, 29 May 2019 10:11 AM (IST)
गोरखपुर, जेएनएन। एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) की हाई पावर कमेटी ने रामगढ़ ताल के 500 मीटर के दायरे में आने वाले सभी निर्माण को छह महीने के अंदर जीडीए के माध्यम से ध्वस्त कराने की सिफारिश की है। रामगढ़ ताल मामले में कड़ी संस्तुति के साथ कमेटी ने अपनी अंतिम रिपोर्ट एनजीटी को दे दी है। उधर सिफारिश को लेकर जीडीए ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखने की तैयारी शुरू कर दी है।
एनजीटी की इस सिफारिश में सर्किट हाउस, चिड़िया घर और एनेक्सी को कार्रवाई से बाहर रखा गया है। सिफारिश में न्यायालय के पिछले आदेशों और हाई पॉवर कमेटी व कायाकल्प कमेटी की रिपोर्ट की चर्चा करते हुए कहा गया है कि ताल के 500 मीटर के दायरे में पर्यावरण विभाग की मंजूरी के बिना हुए सभी निर्माण अवैध हैं। आवंटियों को इस सिफारिश से ज्यादा दिक्कत न होने पाए, इसके लिए जीडीए को इस बात का दिशा-निर्देश देने की बात कही गई है कि वह आवंटियों को किसी दूसरे स्थान पर समान क्षेत्रफल की जमीन उपलब्ध कराए, साथ ही मुआवजे के तौर पर पांच लाख रुपये भी दे।
अब यहां कोई निर्माण नहीं होगा एनजीटी के पूर्वी उत्तर प्रदेश की नदियों एवं जल संरक्षण निगरानी समिति के सचिव राजेंद्र सिंह की तरफ से की गई सिफारिश में यह भी कहा गया है कि 50 मीटर के दायरे में कोई पक्का निर्माण हरगिज न हो। अगर इस दायरे में जीडीए ने किसी भी तरह के निर्माण के लिए नक्शा पास किया हो तो उसे ध्वस्तीकरण पर आने वाला खर्च भी देना होगा। 50 मीटर के क्षेत्र में जीडीए और वन विभाग से पौधरोपण कराने की सिफारिश भी कमेटी ने की है। जीडीए की एक दर्जन कॉलोनियां सिफारिश की जद में हाई पॉवर कमेटी की इस सिफारिश की जद में जीडीए की वसुंधरा, लोहिया, अमरावती, सिद्धार्थपुरम जैसी करीब एक दर्जन कॉलोनियां आ रही हैं।
अगर एनजीटी ने सिफारिश पर मुहर लगा दी तो हजारों मकानों ध्वस्त होने की नौबत आ जाएगी। ऐसे में उसमें रहने वाले हजारों परिवार एक झटके में बेघर हो जाएंगे। 162 पन्ने की है सिफारिश सिफारिश करने वाली हाई पॉवर कमेटी के सचिव राजेंद्र सिंह के मुताबिक रामगढ़ ताल के दायरे में आने वाले वेट लैंड को बचाने के लिए कमेटी ने 162 पन्ने की रिपोर्ट सिफारिश के तौर पर सौंपी है। एनजीटी को सौंपी गई सिफारिश रिपोर्ट में उन लोगों की सुविधा का भी ख्याल रखा गया है, जो लोग सिफारिश के दायरे में आते हैं। आदेश की कॉपी अभी नहीं मिली जीडीए के सचिव राम सिंह गौतम का कहना है कि हाई पॉवर कमेटी की सिफारिश की जानकारी तो मिली है लेकिन प्रमाणित कॉपी उन्हें अभी तक नहीं मिली है। यदि इस सिफारिश को एनजीटी ने मान लिया तो बहुत खराब स्थिति हो जाएगी।
आवंटियों को जमीन और मुआवजा देने में जीडीए का हजारों करोड़ खर्च होगा, जिसके चलते जीडीए बर्बाद हो जाएगा। जीडीए की ओर से चलाई जा रही सभी परियोजनाओं रुक जाएंगी। जीडीए के सामने अस्तित्व का संकट खड़ा हो जाएगा। सिफारिश की प्रमाणित कॉपी मिलने के बाद पहले एनजीटी में जीडीए अपना पक्ष रखेगा। वहां से राहत नहीं मिली तो सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात रखा जाएगा।
एनजीटी की इस सिफारिश में सर्किट हाउस, चिड़िया घर और एनेक्सी को कार्रवाई से बाहर रखा गया है। सिफारिश में न्यायालय के पिछले आदेशों और हाई पॉवर कमेटी व कायाकल्प कमेटी की रिपोर्ट की चर्चा करते हुए कहा गया है कि ताल के 500 मीटर के दायरे में पर्यावरण विभाग की मंजूरी के बिना हुए सभी निर्माण अवैध हैं। आवंटियों को इस सिफारिश से ज्यादा दिक्कत न होने पाए, इसके लिए जीडीए को इस बात का दिशा-निर्देश देने की बात कही गई है कि वह आवंटियों को किसी दूसरे स्थान पर समान क्षेत्रफल की जमीन उपलब्ध कराए, साथ ही मुआवजे के तौर पर पांच लाख रुपये भी दे।
अब यहां कोई निर्माण नहीं होगा एनजीटी के पूर्वी उत्तर प्रदेश की नदियों एवं जल संरक्षण निगरानी समिति के सचिव राजेंद्र सिंह की तरफ से की गई सिफारिश में यह भी कहा गया है कि 50 मीटर के दायरे में कोई पक्का निर्माण हरगिज न हो। अगर इस दायरे में जीडीए ने किसी भी तरह के निर्माण के लिए नक्शा पास किया हो तो उसे ध्वस्तीकरण पर आने वाला खर्च भी देना होगा। 50 मीटर के क्षेत्र में जीडीए और वन विभाग से पौधरोपण कराने की सिफारिश भी कमेटी ने की है। जीडीए की एक दर्जन कॉलोनियां सिफारिश की जद में हाई पॉवर कमेटी की इस सिफारिश की जद में जीडीए की वसुंधरा, लोहिया, अमरावती, सिद्धार्थपुरम जैसी करीब एक दर्जन कॉलोनियां आ रही हैं।
अगर एनजीटी ने सिफारिश पर मुहर लगा दी तो हजारों मकानों ध्वस्त होने की नौबत आ जाएगी। ऐसे में उसमें रहने वाले हजारों परिवार एक झटके में बेघर हो जाएंगे। 162 पन्ने की है सिफारिश सिफारिश करने वाली हाई पॉवर कमेटी के सचिव राजेंद्र सिंह के मुताबिक रामगढ़ ताल के दायरे में आने वाले वेट लैंड को बचाने के लिए कमेटी ने 162 पन्ने की रिपोर्ट सिफारिश के तौर पर सौंपी है। एनजीटी को सौंपी गई सिफारिश रिपोर्ट में उन लोगों की सुविधा का भी ख्याल रखा गया है, जो लोग सिफारिश के दायरे में आते हैं। आदेश की कॉपी अभी नहीं मिली जीडीए के सचिव राम सिंह गौतम का कहना है कि हाई पॉवर कमेटी की सिफारिश की जानकारी तो मिली है लेकिन प्रमाणित कॉपी उन्हें अभी तक नहीं मिली है। यदि इस सिफारिश को एनजीटी ने मान लिया तो बहुत खराब स्थिति हो जाएगी।
आवंटियों को जमीन और मुआवजा देने में जीडीए का हजारों करोड़ खर्च होगा, जिसके चलते जीडीए बर्बाद हो जाएगा। जीडीए की ओर से चलाई जा रही सभी परियोजनाओं रुक जाएंगी। जीडीए के सामने अस्तित्व का संकट खड़ा हो जाएगा। सिफारिश की प्रमाणित कॉपी मिलने के बाद पहले एनजीटी में जीडीए अपना पक्ष रखेगा। वहां से राहत नहीं मिली तो सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात रखा जाएगा।
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