देवरिया कांड : जांच शुरू न होने पर हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान, पूरा विवरण यहां देखें Gorakhpur News
शासन ने पूर्व में तैनात रहे जिला प्रोबेशन अधिकारी अभिषेक पांडेय को निलंबित कर दिया जबकि प्रभारी डीपीओ अनूप सिंह व नीरज कुमार अग्रवाल को चार्जशीट देने का आदेश दिया था।
गोरखपुर, जेएनएन। देवरिया जिले में बाल गृह बालिका कांड में जिन जिला प्रोबेशन अधिकारियों पर लापरवाही के आरोप लगे थे, उनके खिलाफ पौने दो वर्ष बाद भी जांच शुरू नहीं हो पाई है। मामले का हाईकोर्ट द्वारा संज्ञान लेने के बाद खलबली मच गई है। घटना के समय तैनात रहे प्रभारी जिला प्रोबेशन अधिकारी नीरज कुमार अग्रवाल पर लगे आरोपों की अब जांच शुरू होने वाली है। जांच अपर आयुक्त गोरखपुर करेंगे। नीरज कुमार अग्रवाल वर्तमान में देवरिया में ही जिला अल्पसंख्यक अधिकारी के पद पर तैनात हैं।
16 जनवरी को हुई सुनवाई
अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ अनुभाग-दो के प्रमुख सचिव मनोज कुमार सिंह ने जनहित याचिका की सुनवाई कर रहे हाईकोर्ट के संज्ञान में लेने का हवाला देते हुए मंडलायुक्त गोरखपुर को जांच आख्या उपलब्ध कराने के लिए 23 जनवरी को पत्र लिखा है। जनहित याचिका इन द मैटर आफ रिगार्डिंग एव्यूज आफ गर्ल्स इन ए विमन शेल्टर होम इन देवरिया बनाम उप्र राज्य में हाईकोर्ट ने 16 दिसंबर 2019 को आदेश पारित किया है। जिसकी सुनवाई 16 जनवरी को हुई।
यह था मामला
पांच अगस्त 2018 की रात जिला प्रोबेशन अधिकारी प्रभात कुमार ने बाल गृह बालिका से भागी बालिका के बयान के आधार पर मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान की संचालक गिरिजा त्रिपाठी समेत अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। मामला सुर्खियों में आने के बाद महिला कल्याण विभाग की तत्कालीन अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार व एडीजी महिला हेल्पलाइन अंजू गुप्ता जांच के लिए देवरिया आई थीं। जांच रिपोर्ट पर शासन ने पूर्व में तैनात रहे जिला प्रोबेशन अधिकारी अभिषेक पांडेय को निलंबित कर दिया, जबकि प्रभारी डीपीओ अनूप सिंह व नीरज कुमार अग्रवाल को चार्जशीट देने का आदेश दिया था। नीरज कुमार अग्रवाल पर लगे लापरवाही के आरोपों की जांच के लिए अपर आयुक्त गोरखपुर को जांच अधिकारी नामित किया था, हालांकि दोनों प्रभारी डीपीओ के खिलाफ अबतक कोई चार्जशीट जारी नहीं हुआ।
क्या कहते हैं आरोपित
तबके प्रभारी जिला प्रोबेशन अधिकारी और अब जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी नीरज कुमार अग्रवाल का कहना है कि मुझे तीन महीने का प्रभार मिला था। मेरे कार्यकाल में यह प्रकरण संज्ञान में नहीं लाया गया। अभी तक कोई आरोप-पत्र नहीं मिला है।