जिला पंचायत से ज्यादा अमीर हैं यहां की ग्राम पंचायतें Gorakhpur News
यूपी में धन आवंटन के मामले में जिला पंचायतों से ज्यादा अमीर ग्राम पंचायतें हो गई हैं
गोरखपुर, जेएनएन। त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में जिला पंचायत सबसे मजबूत इकाई मानी जाती है लेकिन वित्तीय अनुदान कम होने से अब जिला पंचायतों की स्थिति पहले जैसी नहीं रह गई हैं। एक ओर जहां ग्राम पंचायतों के बजट में इजाफा हो रहा है वहीं क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत का वित्तीय दायरा लगातार सिमटता जा रहा है। धन आवंटन के मामले में जिला पंचायतों से ज्यादा अमीर ग्राम पंचायतें हो गई हैं। जिला पंचायत सदस्यों का कहना है कि बजट नहीं आने के कारण विकास कार्य ठप पड़े हैं जिससे आम जनता में नाराजगी बढ़ रही है।
जिला पंचायतों के लिए केवल एक मद से ही मिल रही धनराशि
गांवों में पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत करने के लिए जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत व ग्राम पंचायत का गठन किया गया। इस व्यवस्था के तहत ग्राम पंचायतों को सबसे छोटी व जिला पंचायत को बड़ी इकाई माना गया। ग्राम पंचायतों में तो तीन मदों से विकास कार्य के लिए धनावंटन किया जा रहा है लेकिन क्षेत्र व जिला पंचायतों के लिए केवल एक मद से धनराशि दी जा रही है।
राम पंचायतों को मिलती है कई मद से राशि
जिला पंचायत सदस्य संघ के अध्यक्ष एसपी सिंह का कहना है कि जिला व क्षेत्र पंचायतें केवल चतुर्थ वित्त के भरोसे हैं जबकि ग्राम पंचायतों में चतुर्थ राज्य वित्त, 14वां वित्त व मनरेगा से कार्य कराया जा रहा है। वह कहते हैं कि जिला पंचायत का चुनाव 50 हजार की आबादी पर होता है। इसमें लगभग 50 छोटे-बड़े गांव शामिल होते हैं। चूंकि क्षेत्र बड़ा होता है ऐसी स्थिति में केवल राज्य वित्त के भरोसे क्षेत्र का विकास संभव नहीं हो पा रहा है। एक अन्य जिला पंचायत सदस्य पंकज शाही कहते हैं कि बजट के अभाव में सदस्य कुछ नहीं कर पा रहे हैं। क्षेत्र की जनता सवाल पूछती है तो सिर्फ आश्वासन की घुट्टी पिलानी पड़ती है।
गांवों में खाद गड्ढे के लिए अगले साल तक करना होगा इंतजार
गोरखपुर के सभी गांवों में खाद गड्ढों के लिए ग्रामीणों को अगले वर्ष का इंतजार करना होगा। गांवों को ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त) करने के बाद शासन ने खाद गड्ढा बनाने का निर्देश दिया है लेकिन अभी तक इस काम में तेजी नहीं आ सकी है। गांवों में खाद गड्ढे जगह-जगह अतिक्रमण के शिकार हैं। इन्हें हटाने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जाना है। गांवों में कूड़ा निस्तारण की समुचित व्यवस्था नहीं होने से जगह-जगह ढेर लगे रहते हैं इससे संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा बना रहता है।
ग्राम पंचायत की है सूखा कूड़ा निस्तारण की जिम्मेदारी
ग्रामीण इलाकों से निकलने वाले सूखे कूड़े के निस्तारण की जिम्मेदारी नगर निगम, नगर पंचायत व ग्राम पंचायत की है। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रबंधन नियम 2016 के अनुसार अब कूड़ा डंप नहीं किया जा सकता है। अनिवार्य रूप से कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में की जानी है। कूड़ा निस्तारण के लिए तीन श्रेणियां बनाई गई है। गीले कूड़े का निस्तारण सबको करना है। खतरनाक श्रेणी वाले कूड़े का सुरक्षित निस्तारण जरूरी है। मनरेगा और ग्राम पंचायत के 14वें केंद्रीय वित्त के कन्वर्जेंस से इसका वित्त पोषण कराया जाएगा।
जल्द शुरू होगा अभियान : डीपीआरओ
जिला पंचायत राज अधिकारी हिमांशु शेखर ने बताया कि चतुर्थ राज्य वित्त व 14वें केंद्रीय वित्त के साथ ही मनरेगा से प्रत्येक गांवों में खाद गड्ढे बनाए जाने हैं। इनमें गोबर तथा अन्य कूड़े का निस्तारण कराया जाएगा। अभी तक 650 खाद गड्ढों का निर्माण कराया जा चुका है। मार्च तक प्रत्येक गांवों में एक-एक खाद गड्ढे का निर्माण करा दिया जाएगा। कुल 3309 राजस्व गांवों में एक-एक खाद गड्ढे बनाए जाएंगे।