गोरखपुर के व्यापारियों ने कहा- हम जीएसटी पंजीयन से नहीं भाग रहे Gorakhpur News
व्यापारियों ने कहा कि वह पंजीयन से भाग नहीं रहे उनके समक्ष अड़चन भी कम नहीं है। व्यापारियों का कहना है कि विभाग खामियां दूर करें तो पंजीयन की संख्या तेजी से बढ़ेगी।
गोररखपुर, जेएनएन। वाणिज्य कर विभाग की तमाम कोशिशों के बावजूद गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) पंजीयन की संख्या नहीं बढ़ रही है। विभाग ने इसे लेकर सघन अभियान चलाया। बावजूद इसके व्यापारी पंजीयन के लिए तैयार नहीं हो रहा है। जागरण ने इसे लेकर तमाम व्यापारियों से बातचीत की। व्यापारियों ने कहा कि वह पंजीयन से भाग नहीं रहे, उनके समक्ष अड़चन भी कम नहीं है। व्यापारियों का कहना है कि विभाग खामियां दूर करें तो पंजीयन की संख्या तेजी से बढ़ेगी।
रिटर्न के लिए कितनी बार लगाएं चक्कर
व्यापारी नवल किशोर नाथानी का कहना है कि व्यापारियों को सामान खरीदने पर जीएसटी भरना पड़ता है और जब उसे ग्राहकों को बेचते हैं, तब भी उन्हें जीएसटी भरना पड़ता है। आखिर एक ही वस्तु पर व्यापारी कितनी बार जीएसटी दें। इसके साथ ही वह यदि जीएसटी में पंजीयन कराता है तो उसे हर माह पंजीयन के लिए दौडऩा पड़ेगा।
सर्वर ठीक से काम नहीं करता
व्यापारी संजय सिंघानिया का कहना है कि जीएसटी पंजीयन में व्यापारियों को आए दिन सर्वर की समस्या फेस करनी पड़ती है। समय से रिटर्न दाखिल न होने पर रोजाना पेनाल्टी भरनी पड़ती है। व्यापारियों को 50 हजार से ऊपर माल बेचने पर ई वे बिल देना अनिवार्य है। व्यापारी सरल नियम चाहता है। यह प्रक्रियाएं अपनाईं जाएं तो पंजीयन में तेजी से इजाफा होगा।
टोल टैक्स को भी कारोबार में जोडऩा गलत
व्यापारी सौरभ पाल का कहना है कि ट्रांसपोर्ट से जुड़े व्यापारियों के समक्ष में समस्या यह है कि वह माह भर में करीब 30-40 हजार टोल टैक्स भरता है। हर तिमाही रोड टैक्स जमा करता है। छोटे व मझौले व्यापारी यह सब सिर्फ इसलिए करता है कि किसी तरह से वह अपनी जीविका चला सके, पर इसे यदि उसके कारोबार से जोड़ा जाए तो गलत है। इस दबाव में बार-बार रिटर्न के लिए जा पाना व्यापारियों के लिए कठिन है।
सर्वर की दिक्कत होने पर मिलता है अतिरिक्त समय
वाणिज्य कर विभाग के एडिशनल कमिश्नर शेषमणि शर्मा का कहना है कि सर्वर में दिक्कत होने पर व्यापारियों को रिटर्न दाखिल करने के लिए अलग से समय मिलता है। पंजीकृत व्यापारियों की संख्या पहले 64 हजार 600 थी। इधर कुछ संख्या बढ़ी है। व्यापारियों के हित में तमाम योजनाएं चलाई जा रही हैं।