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जानवरों की प्रकृति के मुताबिक सजा रहे उनका आशियाना, तैयार हो रहा जंगल Gorakhpur News

चिडिय़ाघर में हर जानवर के बाड़े को उसकी प्रकृति के मुताबिक सुविधायुक्त बनाया जा रहा है। प्रयास यही है कि उसे बाड़े में रहते हुए जंगल यानी अपने घर में होने का अहसास हो सके।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Sat, 11 Jul 2020 09:30 AM (IST)Updated: Sat, 11 Jul 2020 09:30 AM (IST)
जानवरों की प्रकृति के मुताबिक सजा रहे उनका आशियाना, तैयार हो रहा जंगल Gorakhpur News
जानवरों की प्रकृति के मुताबिक सजा रहे उनका आशियाना, तैयार हो रहा जंगल Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। जंगल का राजा शेर रहन-सहन में अपने राजत्व को कायम रख सकेगा तो तेंदुआ मचान से अपना शिकार देख सकेगा। चीता पानी में आराम फरमा सकेगा तो भालू के लिए प्राकृतिक माहौल में खाने और खेलने का पूरा इंतजाम होगा। लंगूर भी अपनी प्रकृति के मुताबिक अपने घर में जमकर कूदफान कर सकेगा। कहने का मतलब हर जानवर के आशियाने में उनके मन-मुताबिक माहौल होगा शहीद अशफाकुल्ला खां प्राणि उद्यान यानी गोरखपुर चीडिय़ाघर में। उनकी पसंद के मुताबिक आशियाने को सजाने का कार्य शुरू हो गया है।

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चिडिय़ाघर के निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए काम शुरू

हर जानवर को प्राकृतिक रिहाइश के मुताबिक उसके बाड़े में माहौल देने की चिडिय़ाघर प्रशासन की योजना है। लॉकडाउन के बाद शासन के दबाव के चलते बारिश के बावजूद चिडिय़ाघर के निर्माण कार्य को पूरा करने में कार्यदायी संस्था राजकीय निर्माण निगम जुट गई। चिडिय़ाघर के आला अफसर भी निर्माण की गति तेज करने को लेकर दबाव बनाए हुए हैं। चूंकि चिडिय़ाघर में जानवरों के लिए प्रस्तावित सभी 33 बाड़े तैयार हो चुके हैं, इसलिए उन्हें जानवरों की मांग की मुताबिक समृद्ध करने का कार्य शुरू हो गया है।

राजा की तरह ही रहेगा शेर

शेर जंगल का राजा होता है, सो रहने का इंतजाम भी उसी माफिक किया जा रहा। आराम करने के लिए मांद बनाई जा रही तो राजत्व का अहसास कराने के लिए ऊंचे पत्थर रखे जा रहा हैं, जहां बैठकर उसे अन्य जानवरों से बड़े होने का अहसास हो सके। उसके बाड़े में कुछ सूखे पेड़ भी लगाए जाएंगे, जिससे वह अपने नाखून से उन्हें खुरचने की आदत को भी बनाए रख सके।

तालाब में बैठ वाटरफाल का मजा लेगा टाइगर

चूंकि टाइगर को तालाब में जाना बहुत पसंद होता है, इसलिए उसके बाड़े में वाटरफाल के साथ तालाब बनाने की योजना है। नहाने के बाद धूप सेंकने के लिए पत्थर का टापू भी बनाया जा रहा। आराम के लिए वैसी गुफा बनाने का प्रयास है, जिसमें वह सहज महसूस करे। खेलने के लिए लकड़ी का फुटबाल भी होगा बाड़े में।

तेंदुए के लिए बन रहे मचान, लगाए जा रहे पेड़

तेंदुआ चूंकि मचान और पेड़ पर चढऩा और रहना पसंद करता है, इसलिए उसके बाड़े में यह व्यवस्था की जा रही है। मचान इतना लंबा बनाया जा रहा कि उसपर वह आसानी से टहल सके।

भालू के लिए खेलने का होगा पूरा इंतजाम

अपनी प्रकृति के मुताबिक भालू खेलने का पूरा मजा ले सके, इसके लिए उसके बाड़े में एक विशेष तरह की सीढ़ी बनाई जा रही है। एक मोटा पाइप लगाया जाएगा, जिससे वह आर पार निकल सके। पानी में खेलने के लिए तालाब भी बनाया जा रहा।

जानवरों को अपने घर का होगा अहसास

राजकीय निर्माण निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर डीबी सिंह का कहना है कि चिडिय़ाघर प्रशासन के मार्गदर्शन में हर जानवर के बाड़े को उसकी प्रकृति के मुताबिक सुविधायुक्त बनाया जा रहा है। प्रयास यही है कि उसे बाड़े में रहते हुए जंगल यानी अपने घर में होने का अहसास हो सके। 


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