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मरीज की मौत पर भड़के घरवाले, हंगामा कर अस्पताल पर लगाए रुपये वसूलने का आरोप

एक मरीज की मौत को लेकर स्वजन ने छात्रसंघ चौक स्थित पैनेशिया अस्पताल पर हंगामा किया। आरोप है कि मरीज की मौत के बाद भी उसे वेंटीलेटर पर रखकर इलाज किया गया और लगभग 65-70 हजार रुपये वसूल लिए गए। अस्पताल प्रबंधन ने इस आरोप को निराधार बताया है।

By Rahul SrivastavaEdited By: Published: Sat, 09 Oct 2021 11:30 AM (IST)Updated: Sat, 09 Oct 2021 11:30 AM (IST)
मरीज की मौत पर भड़के घरवाले, हंगामा कर अस्पताल पर लगाए रुपये वसूलने का आरोप
मरीज की मौत पर भड़के घरवाले। प्रतीकात्मक तस्वीर

गोरखपुर, जागरण संवाददाता : एक मरीज की मौत को लेकर स्वजन ने छात्रसंघ चौक स्थित पैनेशिया अस्पताल पर हंगामा किया। आरोप है कि मरीज की मौत के बाद भी उसे वेंटीलेटर पर रखकर इलाज किया गया और लगभग 65-70 हजार रुपये वसूल लिए गए। अस्पताल प्रबंधन ने इस आरोप को निराधार बताया है। प्रबंधन का कहना है कि मरीज को जिंदा हालत में स्वजन के कहने पर रेफर किया गया।

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काफी दिनों से बीमार चल रहे थे विजय निषाद

रामगढ़ताल क्षेत्र के सेमरा देवी प्रसाद कठउर निवासी दुर्गेश निषाद ने बताया कि उनके पिता 45 वर्षीय विजय निषाद काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। उन्हें पीलिया की शिकायत थी। शाम चार बजे उन्हें पैनेशिया अस्पताल में भर्ती कराया गया। रात 10 बजे डाक्टर उन्हें देखने पहुंचे। इस दौरान 35 हजार रुपये वसूल लिए गए। इसके बाद जांच व इलाज के नाम पर लगभग 30-35 हजार रुपये और वसूले गए। मरीज की हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी।

मेडिकल कालेज के डाक्टरों ने मरीज को मृत घोषित किया

इलाज में रुपये खत्म होने पर दूसरे दिन शाम 6:30 बजे बीआरडी मेडिकल कालेज के लिए रेफर किया गया। वहां डाक्टर ने मृत घोषित कर दिया और बताया कि इनकी मौत घंटों पहले हो चुकी है। यह सुनकर स्वजन के होश उड़ गए। वे अपने शुभचिंतकों के साथ शव लेकर पैनेशिया अस्पताल पहुंचे और जमकर बवाल काटा। इस बीच अस्पताल की ओर से इसकी सूचना पुलिस को दे दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने स्वजन को किसी तरह समझा-बुझाकर मामला शांत कराया। दुर्गेश की तहरीर पर कैंट पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। इंसपेक्टर कैंट सुधीर सिंह ने बताया कि शव का पोस्टमार्टम कराया जाएगा। पीएम रिपोर्ट आने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

आरोप निराधार

पैनेशिया अस्पताल के प्रबंधक मनी सिंह ने आरोप को निराधार बताया है। उनका कहना है कि मरीज लिवर की बीमारी से गंभीर रूप से पीड़ित था। स्वजन की अनुमति के बाद उसे वेंटीलेटर पर रखा गया। स्वजन के कहने पर ही उसे डिस्चार्ज किया गया। वे लोग यहां से मरीज को जिंदा लेकर गए। मरीज को वेंटीलेटर वाली एंबुलेंस से भेजा गया था।


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