संसार के कल्याण का कारक है भागतव कथा, सुलझ जाती हैं जीवन की उलझनें
सिद्धार्थनगर में काशी धाम से पधारे आचार्य योगेश जी महाराज ने ज्ञानोपदेश में कहा कि श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से मनुष्य के जीवन की सभी उलझनें सुगमता से सुलझ जाती हैं और मनुष्य सांसारिक कठिनाइयों से निजात पा जाता है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। सिद्धार्थनगर में काशी धाम से पधारे आचार्य योगेश जी महाराज ने ज्ञानोपदेश में कहा कि श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से मनुष्य के जीवन की सभी उलझनें सुगमता से सुलझ जाती हैं और मनुष्य सांसारिक कठिनाइयों से निजात पा जाता है। अर्थात श्रीमद्भागवत कथा कथा मनुष्य को जीने की राह भी दिखाती है।
भगवान ने गीता का उपदेश देकर अर्जुन की सुलझाई थी उलझनें
सेहरी सेवक में आयोजित सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन 13 नवंबर को मुख्य यजमान श्रीमती इंदुमती व संकटा प्रसाद त्रिपाठी सहित भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। कथा विस्तार करते हुए आचार्य ने कहा कि जब कुरूक्षेत्र की रण भूमि में अर्जुन युद्ध करने या न करने के द्वंद में उलझे थे, तब भगवान ने गीता उपदेश देकर उनकी उलझन दूर किया था और उन्हें कर्तव्य पथ पर चलने की राह दिखाए थे। जो आज भी संसार के कल्याण का कारक बना हुआ है। इस अवसर पर हरेंद्र नाथ त्रिपाठी, वीरेंद्र त्रिपाठी, रवीन्द्र, देवकीनंदन, कृष्ण कांत, राजेंद्र त्रिपाठी,बेचन त्रिपाठी, ईश्वर चंद्र त्रिपाठी, श्रीराम, अनिल, रोहित आदि श्रद्धालु उपस्थित थे।
श्रोताओं ने सुनी कलियुग के आगमन की कथा
नगर पंचायत बिस्कोहर के संग्रामपुर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन अवधधाम ने पधारे कथावाचक आचार्य पंडित पुजेश महाराज ने कलियुग के आगमन की कथा का वर्णन विस्तार पूर्वक किया। कार्यक्रम के अंत में भजन-कीर्तन हुआ, जिसको सुनकर श्रोता अपने-अपने स्थान पर झूम उठे। कथावाचक ने कहा कि एक दिन राजा परीक्षित जंगल में शिकार करने के लिए गए थे। उसी जंगल में उनका सामना काल से होता है। राजा को ये आभास होता है कि कलयुग उनके राज्य में प्रवेश करने के प्रयास में है। यह बात जानकार परीक्षित को कलयुग पर बड़ा क्रोध हुआ और उसका वध करने के लिए अस्त्र उठा लेते हैं। कलयुग ये देखकर अत्यंत भयभीत हो जाता है और राजा के समक्ष गिड़गिड़ाने लगता है। इस पर राजा को दया आ जाती है और कलयुग को जीवन दान दे देते हैं।
पांच जगह निवास करता है कलियुग
कलयुग उनसे आग्रह करता है कि यदि आप मुझे अपने राज्य में प्रवेश नहीं करने दे रहे हैं तो मैं कहां निवास करुंगा। इस पर राजा परीक्षित ने कलयुग को पांच जगह रहने का स्थान देते हैं। जिसमें जुआ, स्त्री, मद्य, हिंसा और सोना। उन्होंने कहा इस युग में केवल भगवान का नाम लेने से मनुष्य का उद्धार हो जाता है। जबकि द्वापर, त्रेता और सतयुग में काफी दिनों तक तपस्या करने के बाद फल की प्राप्ति होती थी। जबकि कलियुग में भगवान का पलभर नाम लेने पर ही कल्याण हो जाता है। उन्होंने कहा सतयुग और द्वापर में यदि मनुष्य किसी पाप के विषय में विचार भी कर लेता था तो वह पाप का भागी होता था। कलयुग में ऐसा कुछ नहीं है।मुख्य यजमान राजेन्द्र प्रसाद मिश्रा, पारस धर मिश्रा, दीपक मिश्रा, प्रमोद मिश्रा, वैभव मिश्रा, शिवांश मिश्रा, शशांक आदि मौजूद रहे।