जनपद के चिकित्सकों पर नहीं गई शासन की नजर
पर यहां सीएमओ के अधीन कार्य करने वाले तीन वरिष्ठ चिकित्सकों पर स्वास्थ्य निदेशालय मेहरबान है।
जनपद के चिकित्सकों पर नहीं गई शासन की नजर
10 वर्ष की सेवा दे चुके लोगों को शासन ने हटाने के दिए थे निर्देश
सीएमओ के अधीन कार्यरत तीन चिकित्सकों पर निदेशालय मेहरबान
जागरण संवाददाता, सिद्धार्थनगर : शासन ने प्रदेश भर में जनपद में कार्यरत सात व मंडल में तैनात 10 वर्ष का कार्यकाल पूरा कर चुके चिकित्सकों एवं पैरामेडिकल स्टाफ का स्थानांतरण गैर जनपद में किया है। इससे प्रदेश भर के जिले प्रभावित हुए हैं। पर यहां सीएमओ के अधीन कार्य करने वाले तीन वरिष्ठ चिकित्सकों पर स्वास्थ्य निदेशालय मेहरबान है। तीनों की तैनाती अब भी यहीं पर है। जबकि यह चिकित्सक 12 वर्ष से लगायत 22 वर्षों से यहीं तैनात हैं। एसीएमओ स्तर के एक चिकित्सक ने पारिवारिक कारणों का हवाला देते हुए अपने स्थानांतरण की गुहार शासन से वाराणसी मंडल में करने की लगा चुके हैं। वर्ष 2000 में तैनात हुए डा. उजैर अतहर वर्ष 2017 में बस्ती जनपद के भानपुर में महज छह माह के लिए भेजे गए थे। उसके पश्चात वह यहीं पर निरंतर सेवा दे रहे हैं।
शासन ने चिकित्सक एवं पैरामेडिकल स्टाफ को लंबे समय से एक ही स्थान पर कार्यरत होने के कारण गैर जनपद में स्थानांतरण की नीति तैयार की। इसके तहत चिकित्सकों के तबादले किये गए। माधव प्रसाद त्रिपाठी चिकित्सा महाविद्यालय के सात चिकित्सकों को गैर जनपद स्थानांतरण इसी आधार पर किया गया है। सीएमओ के अधीन कार्यरत 18 बाबुओं के भी गैर जनपद स्थानांतरण हुए। इन चिकित्सकों के न हटाए जाने पर विभाग के लोग ही सवाल उठाने लगे हैं। डिप्टी सीएमओ व जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. सौरभ चतुर्वेदी की तैनाती जिले में 20 अगस्त 2006 को हुई है। वह तभी से यहां कार्यरत हैं। खुद तबादला के लिए अनुरोध भी कर चुके हैं। जिला क्षयरोग अधिकारी डा. डीके चौधरी वर्ष 2010 यहां आए। नियमत: सभी को यहां से गैर जनपद भेजा जाना चाहिए था, पर सभी तक इन सभी का स्थानांतरण नहीं किया गया।
मुख्य चिकित्साधिकारी डा. वीके अग्रवाल ने कहा की शासन ने कार्यरत सभी चिकित्सकों की सूची मांगी थी। इसमें किस की कब तैनाती हुई है, इसका जिक्र था। सभी का स्थानांतरण शासन स्तर से हुआ है। ऊपर से मिले निर्देश का पालन किया गया है।