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बस्‍ती का निवासी है निर्भया कांड का बदनुमा दाग पवन, घर पर सन्‍नाटा gorakhpur News

पवन का परिवार काफी पहले ही गांव छोड़कर दिल्ली चला गया है। पवन के पिता ने महादेवा चौराहा के पास नया मकान बनाना शुरू किया किंतु निर्भया कांड के बाद से काम ठप हो गया।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Wed, 08 Jan 2020 08:37 PM (IST)Updated: Wed, 08 Jan 2020 08:37 PM (IST)
बस्‍ती का निवासी है  निर्भया कांड का बदनुमा दाग पवन, घर पर सन्‍नाटा gorakhpur News
बस्‍ती का निवासी है निर्भया कांड का बदनुमा दाग पवन, घर पर सन्‍नाटा gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। सात साल पहले दिल्ली के एक चलती बस में लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म और हत्याकांड के मामले में लालगंज थाना क्षेत्र के जगरनाथपुर गांव के आरोपी पवन गुप्ता को दिल्ली न्यायालय द्वारा दोषी मानते हुए डेथ वारंट जारी करने के फैसले के बाद जगन्नाथपुर में सन्नाटा है। कुछ लोग फांसी की सजा को उचित तो कुछ लोगों ने इसे अत्यधिक कठोर कार्रवाई बताया है।

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दिल्‍ली में ही रहता है पवन का परिवार

पवन का परिवार काफी पहले ही गांव छोड़कर दिल्ली चला गया है। पवन के पिता ने महादेवा चौराहा के पास नया मकान बनाना शुरू किया, किंतु निर्भया कांड के बाद से काम ठप हो गया। पवन के दो चाचा गांव में रहते है। फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद उनके घर में मातम जैसी स्थिति है। हालांकि वह पवन के कुकृत्य से भी आहत है।

गांव में भी सन्‍नाटा

गांव में भी सन्नाटा पसरा हुआ है। ग्रामीणों से बात करने पर कुछ ने बताया कि हमें कानून के इंसाफ पर पूरा भरोसा था। गलत कृत्य करने वाले हर व्यक्ति को इसी तरह की सजा मिलनी चाहिए। पवन के इस कृत्य से गांव का नाम बदनाम हुआ है।  हालांकि कुछ ऐसे भी लोग है जो न्यायालय के फैसले को अत्यधिक कठोर फैसला बताया। उनका कहना था कि पवन और साथियों के कृत्य को सही तो नहीं ठहराया जा सकता किंतु उसे सुधरने का मौका मिलना चाहिए था।

अखरने वाली होती फांसी से कम सजा

निर्भया कांड के दोषियों को फांसी के तख्त पर लटकाने के अंतिम फैसले की हर ओर तारीफ हो रही है। सुकून भरे सांस से महिलाओं ने जहां फैसले का स्वागत किया, वहीं समाज के प्रबुद्धजन भी सर्वाेच्‍च अदालत के इस निर्णय की सराहना करते नजर आए। लोग बोल पड़े कि दरिंदगी और दुष्कर्म के दोषियों को फांसी से कम की सजा अखरने वाली होती।

क्‍या कहते हैं विधि विशेषज्ञ

एडवोकेट भारत भूषण वर्मा का कहना है कि दुष्कर्मियों को बिल्कुल ऐसी ही सजा मिलनी चाहिए। दुष्कर्म पीडि़ता यदि बच गई तो उसे जीवन में बार-बार मरना पड़ता है। इस मामले की पीडि़ता मर चुकी है। वरना उसे भी घिनौनी करतूतों को याद कर रोज मरना पड़ता। एडवोकेट जंग बहादुरि सिंह का कहना है कि सुनवाई के लिए प्रदेश सरकार ने फास्ट ट्रैक कोर्ट की व्यवस्था की है। परंतु विलंब उ'च न्यायालय व उ'चतम अदालत में अक्सर हो जाती है। दुष्कर्म जैसे मामलों के लिए ऊपरी अदालतों में जल्दी सुनवाई होनी चाहिए। उपभोक्ता फोरम के पूर्व सदस्य महादेव प्रसाद दुबे का कहना है कि प्रत्येक निर्भया को न्याय मिलना चाहिए। सभी जनपदों में ऐसे जघन्य अपराध किए जा रहे हैं। दुष्कर्म के दोषियों को फांसी की सजा मिलनी ही चाहिए। तभी इस तरह के जघन्य अपराध पर अंकुश लगेगा।

क्‍या कहती हैं महिलाएं

डा. रंजना अग्रहरि का कहना है कि देर भले हुई लेकिन निर्भया कांड के दोषियों को फांसी पर लटकाए जाने का फैसला दरिंदों को सबक सिखाने वाला है। पीडि़ता के लिए यहीं स'ची श्रद्धांजलि है। अब इस तरह का जुर्म करने से पहले ऐसे लोगों को एक बार जरूर सोचना पड़ेगा।

दुष्‍कर्मियों को जिंदा मारने की परंपरा का स्‍वागत

शिक्षक डा. रमा शर्मा का कहना है कि निर्भया कांड को लेकर बहुत आक्रोश था। मर्यादाओं की सभी सीमाएं इसमें टूट चुकी है। दोषियों को फांसी से कम सजा सुकून नहीं पहुंचाता। हमारे देश में दुष्कर्मियों को ङ्क्षजदा मारने की परंपरा का स्वागत है।

फैसले निर्भया अमर

शुभ्रा सिंह का कहना है कि हमें बेसब्री से इंतजार था कि निर्भया कांड के दोषियों को फांसी की सजा मिले। सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय सुनाकर निर्भया को अमर कर दिया है। इस फैसले से हम बेहद प्रसन्न है। निर्भया के माता-पिता को अब काफी सुकून मिला होगा।


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