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नाबालिग से करता था दुष्कर्म, हो गया सात साल का सश्रम कारावास Gorakhpur News

पीडि़ता को नौकरी दिलाने का झांसा दिया। इसी बहाने वह पीडि़ता को विकास अक्सर अपने साथ लेकर बाहर जाता रहता था और कई-कई दिन बाहर ही रहता था। इस दौरान पीडि़ता को डरा-धमका कर वह उसके साथ दुष्कर्म करता था।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Fri, 25 Dec 2020 04:11 PM (IST)Updated: Fri, 25 Dec 2020 07:33 PM (IST)
नाबालिग से करता था दुष्कर्म, हो गया सात साल का सश्रम कारावास Gorakhpur News
दुष्‍कर्मी को फैसला सुनाने का कोर्ट का प्रतीकात्‍मक फाइल फोटो।

 गोरखपुर, जेएनएन। विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट नवल किशोर सिंह ने नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में मुलजिम विकास कुमार को मुजरिम करार देते हुए सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही 31 हजार रुपये के अर्थदंड से भी उसे दंडित किया है। अर्थदंड का भुगतान न करने पर दोषी को सात माह के अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी।

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नौकरी दिलाने का झांसा देकर करता था दुष्‍कर्म

सहजनवां क्षेत्र के सहबाजगंज निवासी विकास कुमार के विरुद्ध नाबालिग पीडि़ता के पिता ने मारपीट व धमकी देने तथा दुष्कर्म करने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया था। इस संबंध में दी गई तहरीर के मुताबिक विकास की पीडि़ता के घर रिश्तेदारी थी। रिश्तेदारी की आड़ में वह अक्सर उसके घर आता-जाता था। पीडि़ता के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए विकास ने पीडि़ता को नौकरी दिलाने का झांसा दिया। इसी बहाने वह पीडि़ता को विकास अक्सर अपने साथ लेकर बाहर जाता रहता था और कई-कई दिन बाहर ही रहता था। इस दौरान पीडि़ता को डरा-धमका कर वह उसके साथ दुष्कर्म करता था। इतना ही नहीं आपत्तिजनक अवस्था में उसने पीडि़ता का वीडियो बना लिया था। बाद में वीडियो वायरल करने की धमकी देकर उसे ब्लैकमेल करने लगा।

तीन साल में आया फैसला

विकास की हरकतों और उत्पीडऩ से तंग आकर पीडि़ता ने उसके साथ जाने से इन्कार किया तो 31 जनवरी 2018 को वह उसके घर आ धमका। उस समय पीडि़ता घर में अकेली थी। विकास ने उसके साथ मारपीट की और जान से मारने की धमकी देते हुए उसके साथ दुष्कर्म किया। इस मामले में सहजनवां थाने में दर्ज मुकदमे में पुलिस ने विकास कुमार के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल किया था। विशेष लोक अभियोजक विजेंद्र सिंह ने अदालत के समक्ष अभियोजन का पक्ष रखते हुए अभियुक्त कठोर दंड देने की मांग की। बचाव पक्ष की दलील सुनने के बाद अदालत ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर सात साल के सश्रम कारावास और अर्थदंड की सजा सुनाई।


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