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यहां डिजिटल से कपड़े के कारोबार को मिली ऊंचाई

पढ़ाई पूरी करने के बाद कारोबार शुरू किया। शहर के मोहन रोड पर 1988 में कपड़े के व्यापार की शुरुआत की। पहले दिन 78 रुपये की बिक्री हुई। ग्राहकों को वाजिब कीमत पर कपड़ा सुलभ होने से उनका प्रेम व स्नेह बढ़ता गया।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Sat, 17 Oct 2020 12:30 AM (IST)Updated: Sat, 17 Oct 2020 12:30 AM (IST)
यहां डिजिटल से कपड़े के कारोबार को मिली ऊंचाई
देवरिया जनपद के कपड़ा कारोबारी संजय कानोडिया।

देवरिया, जेएनएन। कुछ कर गुजरने की ललक हो तो मुश्किल राह भी आसान हो जाती है। किसी कारोबार के लिए यह जरूरी होता है। इसमें मददगार साबित होता है आपका परिश्रम, अच्छी सोच, दोस्तों का सहयोग और ग्राहकों का विश्वास। आज का वक्त डिजिटल का है। जिसने इससे नाता जोड़ा, उसको कारोबार को गति मिलने में कठिनाई नहीं आती।  देवरिया शहर के संजय क्लाथ हाउस के संजय कानोडिया के लिए लाकडाउन ने कपड़े के कारोबार में मुश्किल पैदा कर दी थी, लेकिन डिजिटल की ताकत से चुनौतियों का सामना किया। कारोबार को आगे बढ़ाने में मुश्किलें कम हो गई।

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संजय कानोडिया बताते हैं कि पढऩे लिखने का मैं शुरू से शौकीन हूं। साहित्यकार डा.विद्यानिवास मिश्र के निर्देशन में हिंदी साहित्य से पीएचडी की उपाधि हासिल की। पढ़ाई पूरी करने के बाद कारोबार शुरू किया। शहर के मोहन रोड पर 1988 में कपड़े के व्यापार की शुरुआत की। पहले दिन 78 रुपये की बिक्री हुई। ग्राहकों को वाजिब कीमत पर कपड़ा सुलभ होने से उनका प्रेम व स्नेह बढ़ता गया। बाद में इस कारोबार में पुत्र ओशो कानोडिया, पुत्री जुनू कानोडिया व पत्नी भी रुचि लेने लगीं। पुत्र व पत्नी वंदना क्लाथ सेंटर, देविका क्लाथ सेंटर व द रेमंड शाप संभाल रहे हैं। इसके साथ ही आनलाइन कारोबार शुरू किया। देश के विभिन्न हिस्से में कपड़े का आनलाइन कारोबार किया जा रहा है। कपड़े का आनलाइन कारोबार \क्र222.द्घड्डड्ढशठ्ठद्बष्द्ग.ह्वद्म के जरिए विदेश में कारोबार किया जा रहा है। जिसका हेडआफिस लंदन में है। जिसे बेटी संभाल रही है।

आनलाइन से कारोबार को मिली गति

संजय कानोडिया कहते हैं कि छोटे शहर में आनलाइन कारोबार का रिस्क उठाया। विकल्प के रूप में इसे अपनाया। कोरोना काल में लाकडाउन के चलते शुरुआती चार माह तक कारोबार प्रभावित रहा। जैसे-जैसे स्थिति सुधरी कारोबार को गति मिलने लगी। लाकडाउन के बाद भी ग्राहकों की संख्या में इजाफा नहीं हो रहा है, लेकिन आनलाइन विकल्प से कारोबार आगे बढ़ रहा है।

वाट्सएप पर नमूने मंगाए, आनलाइन किया भुगतान

संजय कहते हैं कि कोरोना काल में आनलाइन मार्केटिंग का महत्व समझ में आया। यह समय की मांग है। कपंनियां हमें वाट्सएप पर पीडीएफ, फोटो के जरिए कपड़ों का डिजाइन भेजने लगीं। इसका फायदा यह हुआ कि घर बैठे ही डिजाइन पंसद करने के बाद फोन से आर्डर बुक कराए गए। कंपनियों ने कोरियर के माध्यम से माल उपलब्ध कराया। आने व जाने का झंझट खत्म हो गया।

कोरोना से बचाव के लिए किया इंतजाम

कोरोना काल में ग्राहक घर से बाहर निकलने में डर रहे थे। उन्हें संक्रमण का भय सता रहा था। हमने इससे बचाव के लिए उपाए किए। सभी कर्मचारियों को मास्क पहनना अनिवार्य किया। कर्मचारियों व ग्राहकों के लिए सैनिटाइजर का इंतजाम किया। तापमान जांचने वाली मशीन थर्मल स्क्रीङ्क्षनग का प्रयोग किया। ग्राहकों की मांग पर उन्हें आनलाइन नमूने उपलब्ध कराया। पसंद आने पर कोरियर से उनके घर भेजा। छोटा शहर होने से विशेषकर महिलाएं घर से बाहर निकलने से परहेज करती हैं। आनलाइन सामान खरीदने में उन्होंने दिलचस्पी दिखाई।

आनलाइन वीडियो से ग्राहकों को किया संतुष्ट

गारमेंट उद्योग में ग्राहक की पसंद को विशेष तरजीह दी जाती है। हमने ग्राहकों से उनका फीडबैक लिया। कई ऐसे ग्राहकों ने कहा कि वीडियो के माध्यम से कपड़ों के डिजाइन दिखाएं। हमने ग्राहकों की संतुष्टि के लिए इसके माध्यम से कपड़े दिखाने शुरू किए। यह प्रयोग काफी सफल रहा। पूरा परिवार कपड़े को एक साथ देख सकता है और पसंद कर सकता है।

सामाजिक दायित्वों के निर्वहन में आगे

संजय कानोडिया कारोबार से होने वाली आमदनी का हिस्सा सामाजिक कार्यों पर खर्च करते हैं। साहित्यिक गतिविधियों को बढ़ावा देने में आगे रहते हैं। हर वर्ष साहित्य, गायन, वादन आदि में विशेष रुचि रखने वाले व्यक्तियों को सम्मानित करते हैं। गरीब बेटियों के हाथ पीले कराते हैं। कोरोना काल में भूखे लोगों को भोजन कराया। अपनी संस्था की तरफ से लोगों की मदद की।


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