फिरौती के लिए छात्र का ही नहीं, भरोसे का भी हुआ कत्ल Gorakhpur News
अजय का नाम आने के बाद हर किसी को लग रहा है कि उसने बलराम का ही नहीं बल्कि दो परिवारों के बीच के भरोसे का भी कत्ल कर दिया है।
गोरखपुर, जेएनएन। बलराम के पिता महाजन गुप्त और उसे अगवा कर मौत के घाट उतारने में अहम भूमिका निभाने वाले आरोपित अजय चौहान के पिता केशव गहरे दोस्त हैं। ऐसे दोस्त की, गांव में लोग उन्हें दो जिस्म एक जान कहते हैं। उनकी दोस्ती की वजह से उनके परिवारी जन भी एक दूसरे से परिवार की तरह जुड़े हैं। छात्र के अपहरण और हत्या में अजय का नाम आने के बाद हर किसी को लग रहा है कि उसने बलराम का ही नहीं बल्कि दो परिवारों के बीच के भरोसे का भी कत्ल कर दिया है।
अजय ही ले गया था बुढिय़ा माई मंदिर का दर्शन कराने
आरोपित अजय चौहान भी जंगल छत्रधारी गांव के मिश्रौलिया टोले का ही रहने वाला है। छात्र का परिवार भी इसी गांव का निवासी है। गांव के लोग बताते हैं कि दिन निकलने से लेकर देर रात तक केशव और महाजन गुप्त, एक साथ ही रहते थे। एक साथ घूमते, खाते और कई बार एक-दूसरे के घर सो भी जाते थे। दिन में दोनों कब अलग-अलग देखे गए थे, यह गांव के किसी भी व्यक्ति को याद नहीं है। उनके बीच रिश्ता इतना गहरा था कि केशव और महाजन, एक-दूसरे को बच्चों को अपने बेटे-बेटी की तरह मानते थे। इसी रिश्ते की वजह से छात्र बलराम, आरोपित अजय को भैया कहकर बुलाता था। इसीलिए अपहर्ताओं ने दोस्तों के साथ खेल रहे बलराम को अगवा करने के लिए अजय को मोर्चे पर लगाया था। अभिषेक के साथ मिलकर अजय ही बलराम को बुढिय़ा माई मंदिर का दर्शन कराने और भुट्टा खिलाने का झांसा देकर अपने साथ ले गया था। अजय की वजह से बलराम बेहिचक साथ जाने को तैयार हो गया था।
अजय ही परिवार की गतिविधियों पर रखे था नजर
इतना ही नहीं बलराम को छोडऩे के लिए महाजन गुप्त से फिरौती मांगे जाने के बाद अजय सहनभूति दिखाते हुए उनके घर पहुंचा था और साथ रहकर उनकी तथा परिवार के लोगों की गतिविधियों पर नजर रख रहा था। बीच-बीच में साथी अपहर्ताओं को फोन कर परिवार के लोगों की प्रतिक्रिया और गतिविधियों की जानकारी भी दे रहा था।
शोर मचाने पर अजय ने ही लगाया था बेहोशी का इंजेक्शन
अपहरण के बाद महुआचफी गांव के एक घर में बंधक बनाए जाने पर बलराम ने शोर मचाना शुरू कर दिया था। उसे खतरे का अहसास हो गया था। इसीलिए साथ में मौजूद अजय को वह बार-बार पारिवारिक रिश्ते का वास्ता देकर बचा लेने की गुहार लगा रहा था। इस पर भी अजय का कलेजा नहीं पसीजा। बलराम को शोर मचाने से रोकने के लिए अजय ने ही उसे बेहोशी का इंजेक्शन लगाया था। पूछताछ में पुलिस के सामने उसने इंजेक्शन लगाने की बात कबूल भी की है।
सदमे में आ गए थे अजय के पिता
दोस्त के बेटे के अपहरण और उसकी हत्या में अजय का नाम आने के बाद उसके पिता केशव सदमे में आ गए थे। यहां तक की वह महाजन गुप्त से मिलने की भी हिम्मत नहीं जुटा सके। बाद में पुलिस के डर से उन्होंने घर छोड़ दिया। अभी तक वापस नहीं लौटे हैं।
लॉक डाउन में काम नहीं मिला तो अपहरण की घटना हो गया शामिल
अपहरण कांड का एक अन्य आरोपित जंगल छत्रधारी गांव के मीरगंज टोला निवासी संदीप, दिहाड़ी मजूदर था। लॉक डाउन में काम बंद हो गया तो खाने के लाले पड़ गए। अनलॉक होने पर वह प्रापर्टी डीलरों से जुड़कर उनकी जमीन के लिए खरीदार खोजने लगा, लेकिन इस काम में कुछ खास आमदनी नहीं हो पा रही थी। रुपये के लिए अपहरण की वारदात में शामिल होने के लिए तैयार हो गया। वारदात में शामिल अन्य आरोपित भी लॉक डाउन के बाद से ही पैसे के लिए काफी परेशान थे। मुख्य आरोपित दयाशंकर ने काफी रुपये जमीन के धंधे में लगा दिए थे। अन्य आरोपितों में सत्येंद्र चौहान बीए का छात्र है, उसके पिता मजदूरी करते हैं। अभिषेक टाइल्स लगाने का काम करता था, लेकिन लॉक डाउन के बाद से ही काम नहीं मिल रहा था। निखिल भारती और मुन्ना की भी आर्थिक स्थिति काफी खराब है।