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टेरर फंडिंग : आइएसआइ व आतंकी संगठनों की गोरखपुर पर नजर

सतीश कुमार पांडेय, गोरखपुर : नेपाल सीमा से नजदीकी और बिहार से जुड़ा होने के कारण आइए

By JagranEdited By: Published: Fri, 30 Mar 2018 10:01 AM (IST)Updated: Fri, 30 Mar 2018 10:01 AM (IST)
टेरर फंडिंग : आइएसआइ व आतंकी संगठनों  की गोरखपुर पर नजर
टेरर फंडिंग : आइएसआइ व आतंकी संगठनों की गोरखपुर पर नजर

सतीश कुमार पांडेय, गोरखपुर : नेपाल सीमा से नजदीकी और बिहार से जुड़ा होने के कारण आइएसआइ व आतंकी संगठनों की नजर गोरखपुर पर है। एक दशक में गोरखपुर व इसके आसपास के क्षेत्रों में देश विरोधी गतिविधि में लिप्त एक दर्जन से अधिक लोग पकड़े जा चुके हैं। एटीएस द्वारा टेरर फंडिंग से जुड़े छह लोगों की गिरफ्तारी के बाद खुफिया एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं। पहले भी इन क्षेत्रों में कई दुर्दात आतंकी सुरक्षा एजेंसियों के हत्थे चढ़ चुके हैं। हिजबुल से जुड़ा लियाकत अली शाही, आइएसआइ एजेंट डा. समीर, महबूब अली उर्फ शेरू व इनसे जुडे़ कई एजेंट पकड़े जा चुके हैं जो देश में आतंक फैलाने की फिराक में थे।

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चार मार्च 2015 को (एसटीएफ) की गोरखपुर इकाई ने जाली नोट के धंधेबाज आइएसआइ एजेंट अली अहमद उर्फ डा. समीर उर्फ वसीम खान का लखनऊ में गिरफ्तार किया। बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के बेतिया थानान्तर्गत पुरैना चौबे का मूल निवासी डा. समीर वर्ष 2002 से 2008 तक वह गोरखपुर में रहा था। गोरखनाथ थाना क्षेत्र के रसूलपुर में एक पावरलूम में काम करता था। यहा से नेपाल जाने के बाद जाली नोट के धंधे में गहरे से जुड़ गया। इसके चलते वह आइएसआइ के भी संपर्क में आ गया। पाकिस्तानी दूतावास में भी उसके अच्छे संबंध थे। वीरगंज में रहकर वह अपने संपर्क सूत्रों के माध्यम से जाली मुद्रा भारत के विभिन्न क्षेत्रों में भेजता था। गोरखपुर में रहने के दौरान उसने कई खुफिया जानकारी पाकिस्तान भेजा था। दो जून 2015 को आतंकवाद निरोधी दस्ता (एटीएस) ने गोरखपुर बस स्टेशन के पास से पाच लाख रुपये के जाली नोट के साथ वीरगंज, नेपाल के परसा आचल नारायणी निवासी महबूब अली उर्फ शेरू आलम को गिरफ्तार किया। महबूब अली पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के लिए काम करने वाले सरगना अल्ताफ हुसैन अंसारी उर्फ मुन्ना का दाहिना हाथ है।

17 मार्च 2018 को क्राइम ब्रांच ने राजघाट क्षेत्र में 28 हजार रुपये के जाली नोट संग चिलुआताल के काजीपुर निवासी बदमाश त्रिभुवन सिंह को गिरफ्तार किया। त्रिभुवन आइएसआइ के एजेंट रहे परवेज टाडा का सहयोगी रहा है। परवेज की हत्या के बाद उसके सहयोगियों की मदद से जाली नोट नेपाल से लाकर गोरखपुर व आसपास के जिलों में खपाता था।

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गोरखपुर में रुका था हिजबुल से जुड़ा लियाकत :

आतंकी संगठन हिजबुल से जुड़ा लियाकत अली शाह वर्ष 2013 में नेपाल के रास्ते भारत आया था। काश्मीर जाने से पहले वह तीन दिन तक रेलवे स्टेशन रोड के होटल में रूका था। 30 अप्रैल 2013 को एनआइए की टीम इसकी जांच करने लियाकत को लेकर गोरखपुर पहुंची थी। होटल मैनेजर से पूछताछ करने के बाद दस्तावेज व रेलवे का रिजर्वेशन चार्ट कब्जे में लिया था।


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