राज्य अध्यापक पुरस्कार से शिक्षकों का हो रहा मोहभंग, यूपी के 28 जिलों से नहीं आए एक भी आवेदन
पुरस्कार के प्रति शिक्षकों की उदासीनता से बेसिक शिक्षा विभाग की चिंता बढ़ गई है। राज्य अध्यापक पुरस्कार के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 31 मई है। लेकिन प्रदेश के 28 जिलों से अब तक एक भी आवेदन नहीं आए हैं।
गोरखपुर, प्रभात कुमार पाठक। राज्य अध्यापक पुरस्कार से अब धीरे-धीरे शिक्षकों का मोहभंग हो रहा है। वर्ष 2021-22 के पुरस्कार के लिए प्रदेश के 75 जनपदों में से 47 से अभी तक सिर्फ 88 आवेदन हुए हैं। जबकि 28 जिलों का अभी तक खाता तक नहीं खुला है। पुरस्कार को लेकर शिक्षकों के मोहभंग होने का नतीजा है कि गोरखपुर-बस्ती मंडल से अब तक सिर्फ 17 शिक्षकों ने ही आवेदन किए हैं। गोरखपुर-बस्ती मंडल से खराब स्थिति प्रदेश की राजधानी लखनऊ, कानपुर व अयोध्या की है। यहां से अभी तक एक-एक आवेदन हुए हैं। जबकि आवेदन करने की अंतिम तिथि 31 मई निर्धारित है।
पहले एक पुरस्कार के लिए आते थे आधा दर्जन से अधिक आवेदन: पहले प्रदेश सरकार के राज्य अध्यापक पुरस्कार को पाने के लिए परिषदीय शिक्षकों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा रहती थी। एक पुरस्कार के लिए आधा दर्जन से अधिक आवेदन आते थे, लेकिन हाल के वर्षों में इस पर भी असर दिखाई दे रहा है। आवेदन को लेकर शिक्षकों की सुस्ती पर असंतोष जताते हुए बेसिक शिक्षा निदेशक डा.सर्वेंद्र विक्रम बहादुर सिंह़ ने सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को 24 मई को पत्र लिखकर 31 तक प्रत्येक जिले से कम से कम तीन-तीन आवेदन करवाने के निर्देश दिए हैं।
पुरस्कार के लिए ये है शर्त: पुरस्कार को लेकर शिक्षकों की उदासीनता का बड़ा कारण इसके लिए तय मानक पूरा करना भी है। शासन ने पुरस्कार के लिए कुछ शर्त रखी है। इसके तहत शिक्षकों के आवेदन में देखा जाएगा कि वह ई-मटेरियल का कितना उपयोग कर रहे हैं? सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आइसीटी) आधारित अभिनव प्रयोग में वीडियो आदि से शिक्षण सामग्री बनाने में कितनी मदद लेते हैं? राज्य अध्यापक पुरस्कार के लिए बेसिक शिक्षा परिषद ऐसे शिक्षकों को प्रोत्साहन देगा, जो इनफार्मेशन टेक्नोलाजी का अधिक प्रयोग कर रहे हैं।
गोरखपुर-बस्ती मंडल से आवेदन: राज्य पुरस्कार को लेकर गोरखपुर-बस्ती मंडल से कुल 17 आवेदन हुए हैं। इनमें अब तक गोरखपुर, देवरिया, महराजगंज व कुशीनगर से दो-दो तथा बस्ती से तीन, सिद्धार्थनगर से चार व संत कबीर नगर से दो शिक्षकों के आवेदन शामिल हैं।
प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलामंत्री श्रीधर मिश्र ने बताया कि पुरस्कार का अर्थ प्रतियोगिता नहीं है। इसको लेकर जो नए तौर-तरीके अपनाएं गए हैं जिसमें शिक्षक को अपना प्रोजेक्ट प्रस्तुत करने के साथ ही साक्षात्कार देना होता है। यह शिक्षकों की गरिमा के विरुद्ध है। प्रक्रिया इतनी जटिल है कि शिक्षक अब आवेदन को लेकर उत्साह व कम रुचि दिखा रहे हैं।
राज्य अध्यापक पुरस्कार प्राप्त शिक्षक श्वेता सिंह ने बताया कि पुरस्कार को लेकर जटिलता तथा शिक्षकों में जागरूकता की कमी आवेदन न करने का प्रमुख कारण है। ऐसा नहीं है कि जिले में पात्र शिक्षकों की कमी है। यदि शिक्षक रुचि दिखाएं तो आवेदन की संख्या बढ़ सकती है। पहले मैनुअल आवेदन होता था। जो आसान था। अब आनलाइन आवेदन के साथ पूरी फाइल आनलाइन तैयार करनी पड़ रही है। यह भी एक बड़ी समस्या है।