कचरा उठाने वाले ने दी सीख, बेसहारा महिला के आंख के आपरेशन के दे दी अपनी जमा पूंजी
उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में एक सफाई कर्मी ने मिसाल कायम की है। सफाई कर्मी ने गांव में सिंगल यूज प्लास्टिक एकत्र कर जो रुपये कमाए उससे उसने एक गरीब महिला की आंखों का आपरेशन कराया। सफाई कर्मी के इस कार्य की पूरे क्षेत्र में चर्चा हो रही है।
गोरखपुर। एक एक पैसे के लिए मारामारी करने वाले लोगों को एक सफाई कर्मी बड़ी सीख दे गया। सफाई कर्मी ने गांव में फेंके गए कूड़े में से सिंगल यूज प्लास्टिक व पालिथीन एकत्र कर करीब सात हजार रुपये एकत्र किए। उसे जब मालूम पड़ा कि गांव की एक महिला के आंख का आपरेशन रुपयों के अभाव में नहीं हो पा रहा है तो उसने पूरी रकम उस महिला को दे दिया और फिर महिला का आपरेशन हुआ। इस घटना की पूरे क्षेत्र में चर्चा है। मामला उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले का है।
सिंगल यूज प्लास्टिक से की कमाई
बहादुरपुर विकास खंड के ग्राम पंचायत भेड़िहा में तैनात सफाईकर्मी सूरज अपने कार्यो की बदौलत लोगों के दिलों में अपनी अहम जगह बना चुके हैं। रचनात्मक कार्यो के साथ ही वह गांव के लोगों की मदद भी कर रहा है। इस बार वह गांव की एक गरीब बुजुर्ग महिला के आंखो का आपरेशन कराकर चर्चा में है। सूरज ग्राम पंचायत में साफ सफाई के साथ ही लोगों द्वारा कूड़े में फेंके गए सिंगल यूज प्लास्टिक कचरे व पालीथीन को एकत्र करता है।
अपने रुपयों से लगवा चुके हैं स्वास्थ्य शिविर
इसे बेंचकर वह 7000 रुपये से अधिक की धनराशि अपने ग्राम पंचायत के ग्राम निधि प्रथम खाते में विकास कार्यो के लिए जमा किया है। पिछले कुछ माह से उसने एकत्रित प्लास्टिक को बेंच कर 3000 रुपया ग्राम निधि में जमा करने वाला था कि तभी गांव में आंखों की जांच के लिए एक शिविर लगा। इसमें जांच के दौरान पता चला कि गांव की बुजुर्ग महिला जसमता पत्नी स्व.सुखराज की एक आंख में मोतियाबिंद है तो दूसरी आंख में बचपन से ही रोशनी नहीं है।
ऐसे कराया आंख का आपरेशन
अकेले रह रही जसमता के पास आयुष्मान कार्ड तक नहीं था। ऐसे में सफाईकर्मी सूरज ने बुजुर्ग के आंख की रोशनी लौटाने की पहल की। वह शहर के एक निजी आंख अस्पताल में पहुंचा और जसमता के आंखो की रिपोर्ट दिखाकर सलाह मांगी। डाक्टर ने कहा कि एक आंख की रोशनी तो जा चुकी है, वह अब नहीं लौट सकती है, मगर मोतियाबिंद वाले आंख का आपरेशन कराकर दूसरे आंख की रोशनी लौटाई जा सकती है। सूरज ने सिंगल यूज प्लास्टिक का कचरा बेंचकर जमा किए गए धनराशि से जसमता के आंखाे का आपरेशन कराया।
अकेली रहती हैं जसमता
सूरज ने बताया कि बुजुर्ग महिला के पति की वर्षो पूर्व मृत्यु हो चुकी है। उनके बेटे अपने परिवार के साथ अपनी मां से अलग रहते हैं। जसमता अकेली रहती है, उसके पास आय का कोई साधन नहीं है।
पूर्व में भी कार्यो की बदौलत चर्चा में रहे
इसके पूर्व सूरज राहगीरों के लिए बेंच, पशु पक्षियों के लिए मिनी जलाशय का निर्माण और पिछले वर्ष दो अक्टूबर को प्लास्टिक के कचरे से महात्मा गांधी की प्रतिमा बनाकर चर्चा में आए थे। सूरज को जिलाधिकारी व मुख्य विकास अधिकारी की ओर से सम्मानित भी किया जा चुका है। उसने स्वच्छ भारत मिशन के जिला सलाहकार राजा शेर सिंह व विष्णुदेव तिवारी को अपना प्रेरणास्रोत बताया।