जानें-राम मंदिर के बारे में क्या गए स्वामी राम भद्राचार्य, Gorakhpur News
वहां मुसलमान कभी नमाज नहीं पढ़ता था। साधु वहीं सोते थे। प्रतीक्षा करते थे कि कब रामलला की कृपा होगी। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है और राम मंदिर निर्माण में अब देरी नहीं लगेगी।
गोरखपुर, जेएनएन। जगत गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर होने के 437 प्रमाण कोर्ट को दिए गए हैं। उत्खनन के प्रमाण भी मौजूद हैं। कोर्ट भगवान के समान है और फैसला हमारे हक में होगा। वह मंगलवार को देवरिया जिले के जिगिना मिश्र गांव में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
प्राचीन ग्रंथों का दिया हवाला
स्वामी रामभद्राचार्य ने प्राचीन ग्रंथों का उल्लेख करते हुए कहा कि वाल्मीकि रामायण के बाल खंड के आठवें श्लोक से श्रीराम जन्म के बारे में जानकारी शुरू होती है। यह सटीक प्रमाण है। इसके बाद स्कंद पुराण में राम जन्म स्थान के बारे में बताया गया है। इसके मुताबिक राम जन्म स्थान से 300 धनुष की दूरी पर सरयू माता बह रही हैं। एक धनुष चार हाथ का होता है। आज भी यदि नापा जाए तो जन्म स्थान से सरयू नदी उतनी ही दूरी पर बहती दिखेगी। इसके पूर्व अथर्व वेद के दशम कांड के 31वें अनु वाक्य के द्वितीय मंत्र में स्पष्ट कहा गया है कि 8 चक्रों व नौ प्रमुख द्वार वाली श्री अयोध्या देवताओं की पुरी है। उसी अयोध्या में मंदिर महल है। उसमें परमात्मा स्वर्ग लोक से आए।
वेद में भी रामजन्म का स्पष्ट प्रमाण
उन्होंने कहा कि वेद में भी रामजन्म का स्पष्ट प्रमाण है। ऋग्वेद के दशम मंडल में भी इसका प्रमाण है। रामचरितमानस में बहुत ही स्पष्ट लिखा है। तुलसी शतक में कहा है कि बाबर के सेनापति व दुष्ट यवनों ने राम जन्मभूमि के मंदिर को तोड़कर मस्जिद का ढांचा बनाया और बहुत से हिंदुओं को मार डाला। तुलसीदास ने तुलसी शतक में इस पर दुख भी प्रकट किया था। मंदिर तोड़े जाने के बाद भी हिंदू साधु रामलला की सेवा करते थे।
वहां मुसलमान कभी नमाज नहीं पढ़ा
उन्होंने कहा कि वहां मुसलमान कभी नमाज नहीं पढ़ता था। साधु वहीं सोते थे। प्रतीक्षा करते थे कि कब रामलला की कृपा होगी। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है और राम मंदिर निर्माण में अब देरी नहीं लगेगी।