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सेहत के लिए सुरक्षित होगी यह चीनी, मुंडेरवा और पिपराइच मिल में होगी तैयार Gorakhpur News

बाजार में चीनी तीन तरह की पाई जाती है।सल्फर लेस चीनी में सफेद और ब्राउन की तुलना में कम कैलोरी होती है। यह सेहत के लिए एकदम सुरक्षित है।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Wed, 25 Sep 2019 07:59 PM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2019 09:00 PM (IST)
सेहत के लिए सुरक्षित होगी यह चीनी, मुंडेरवा और पिपराइच मिल में होगी तैयार Gorakhpur News
सेहत के लिए सुरक्षित होगी यह चीनी, मुंडेरवा और पिपराइच मिल में होगी तैयार Gorakhpur News

गोरखपुर, एसके सिंह। सब कुछ ठीक रहा तो पूर्वांचल एक बार फिर से चीनी का कटोरा बन जाएगा। यह सब कुछ संभव हो रहा है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विशेष प्रयास से। मुंडेरवा और पिपराइच चीनी मिलें अगले पेराई सत्र से पूरी क्षमता से चलेंगी। यहां सल्फर लेस चीनी उत्पादित करने की तैयारी चल रही है। यह चीनी अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में महंगी तो बिकती ही है, इसकी डिमांड भी रहती है। ऐसा होने पर मिलों की चीनी बेचने और किसानों के भुगतान लंबित होने की समस्या भी दूर हो जाएगी।

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बिजली भी पैदा करेंगी चीनी मिलें

मुंडेरवा चीनी मिल के डिप्टी चीफ इंजीनियर आरपी सिंह ने बताया मिल नवंबर से चलेगी। मिल में 27 मेगावाट का बिजली संयंत्र स्थापित हो गया है। मिल के साथ ही यह इकाई भी चलेगी। पांच से छह मेगावाट बिजली मिल में खर्च होगी। बाकी 21 मेगावाट बिजली पावर कारपाेरेशन को चली जाएगी। बिजली विभाग से इसकी दर भी तय हो गई है। 4.80 रुपये यूनिट की दर से मिल को भुगतान मिलेगा। मिल से उत्पादित होने वाली बिजली 22 किमी दूर नाथनगर सब स्टेशन भेजी जाएगा।

चीनी का कटाेरा बनेगा गोरखपुर-बस्ती

गोरखपुर और बस्ती मंडल में किसानों को आर्थिक रूप से संपन्न बनाने के साथ ही रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए मुंडेरवा आैर पिपराइच चीनी मिलों को बहुपयोगी बनाया जा रहा है। मुंडेरवा चीनी मिल में अगले पेराई सत्र यानी नवंबर से चीनी के साथ ही 27 मेगावाट बिजली भी पैदा होने लगेगी। पिपराइच की बात करें तो यहां 27 मेगावाट के बिजली संयंत्र के साथ ही 30 किलोलीटर प्रतिदिन उत्पादन करने वाली डिस्टिलरी इकाई भी लग रही है। गन्ना मंत्री सुरेश सिंह राणा ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया पिपराइच में एथेनाल संयत्र लगाया जाएगा। गन्ने के जूस से एथेनाल बनाने का संयंत्र लगाने का कार्य जल्द ही शुरू हो जाएगा। यह इकाई पेराई सत्र 20-21 तक चालू हो जाएगी।

सल्फर लेस चीनी के ये है फायदे

आमतौर पर घर और बाजार में सफेद चीनी का इस्तेमाल किया जाता है। बाजार में चीनी तीन तरह की पाई जाती है सफेद, ब्राउन और सल्फर लेस चीनी। सफेद चीनी में कैलोरी बहुत पाई जाती है इसे खाने से शरीर को नुकसान पहुंच सकता है। सफेद चीनी को महीन बनाने के लिए इसमें सल्फर मिलाया जाता है जिससे सांस की दिक्कत पैदा हो सकती है। ब्राउन चीनी में सफेद की तुलना में कम कैलोरी होती है इसमें कैल्शियम मैग्नीशियम और न होता है पर शरीर को जितने आयरन की जरूरत होती है उससे कम पाया जाता है। सल्फर लेस चीनी में सफेद और ब्राउन की तुलना में कम कैलोरी होती है। यह सेहत के लिए एकदम सुरक्षित है।

एथेनाल उत्पादन से खुलेगा तरक्की की राह

उत्तर भारत की पहली एथेनाल इकाई गोरखपुर के पिपराइच में लगेगी। गन्ने के जूस से बनने वाला यह एथेनाल डीजल और पेट्रोल में मिलाया जाएगा। इससे विदेशी मुद्रा की बचत तो होगी ही गोरखपुर क्षेत्र के किसान आर्थिक रूप से भी सुदृढ़ होंगे। चीनी मिल को भी किसानों के गन्ना मूल्य के भुगतान के लिए किसी दूसरे पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा। गन्ना मंत्री सुरेश सिंह राणा ने बताया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूर्वांचल को उत्तर भारत का माडल बनाना चाहते हैं। इस सोच का साकार करने की वह पूरी कोशिश कर रहे हैं।


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