बंद होने लगी चीनी मिलें, गन्ना में लगे रोग व जलभराव से 9330 हेक्टेयर सूख गए गन्ने Gorakhpur News
पूर्वांचल में चीनी का कटोरा कहे जाने वाले कुशीनगर में 9330 हेक्टेयर गन्ने की फसल बर्बाद हो गई है। उत्पादन कम होने से चीनी मिलों को गन्ने की आपूर्ति नहीं मिल पा रही है। नौ फरवरी को कप्तानगंज चीनी मिल ने पेराई सत्र का समापन कर दिया।
अनिल पाठक, गोरखपुर : पूर्वांचल में चीनी का कटोरा कहे जाने वाले कुशीनगर में 9330 हेक्टेयर गन्ने की फसल बर्बाद हो गई है, जिसकी वजह से इस बार 91117 हेक्टेयर ही गन्ने का उत्पादन हो सका, जो वर्ष 2019-20 में 100724 हेक्टेयर रहा। उत्पादन कम होने से चीनी मिलों को गन्ने की आपूर्ति नहीं मिल पा रही है। इसी के कारण नौ फरवरी को कप्तानगंज चीनी मिल ने पेराई सत्र का समापन कर दिया तो चालू चार मिलों ने पेराई सत्र के समापन करने की तिथि भी प्रस्तावित कर दी है। गन्ना विभाग को भेजे गए पत्र में 23 फरवरी को ढाढ़ा, दो मार्च को सेवरही, 10 मार्च को खड्डा व रामकोला ने पेराई खत्म करने की अनुमति मांगी है।
जलभराव से सर्वाधिक प्रभावित हुई गन्ने की फसल
निचले स्तर पर बोयी गई गन्ने की फसलें सर्वाधिक जलभराव की वजह से प्रभावित हुई। इससे पांचों चीनी मिल परिक्षेत्र में 9330 हेक्टेयर गन्ने की फसल सूख गई, जिसमें जलभराव से सर्वाधिक 7600 हेक्टेयर, रेड राट ने 1200 व उकठा रोग ने 530 हेक्टेयर गन्ने की फसल को बर्बाद कर दिया।
अभी तक मिलों ने किया 55.87 फीसद भुगतान
विभाग की सख्ती के बाद जिले की चीनी मिलों की ओर से गन्ना मूल्य भुगतान में 55.87 फीसद किया गया है। पांचों चीनी मिलों ने अब तक 191.63 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई की है और 299.07 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है। अभी किसानों का 236.25 करोड़ अर्थात 44.13 फीसद बकाया है।
भुगतान को लेकर मिलों को दी गई चेतावनी
कुशीनगर के जिला गन्ना अधिकारी वेद प्रकाश सिंह ने कहा कि पिछले वर्ष की तुलना में बारिश व रोग से गन्ने की फसलें सूख गईं, जिससे उत्पादन प्रभावित हुआ, इसलिए मिलें जल्द ही पेराई खत्म कर बंद हो जाएगी। भुगतान को लेकर मिलों को सख्त चेतावनी दी गई है कि गन्ना पेराई के निर्धारित तिथि 14 दिन के अंदर भुगतान नहीं हुआ तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई होगी।