ऐसे थे भारतीय संस्कृति के संवाहक हनुमान प्रसाद पोद्दार
हनुमान प्रसाद पोद्दार पर एक शोध पीठ की स्थापना होगी। यह शोध पीठ दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में स्थापित होगी।
गोरखपुर, जेएनएन : भाईजी हनुमान प्रसाद पोद्दार सनातन भारतीय संस्कृति के संवाहक एवं अग्रदूत थे। यह उनका ही अमानुज सदृश्य कार्य था कि वेद, पुराण, उपनिषद सहित अन्यान्य धार्मिक साहित्य भारतीय जनमानस के अंतर्गत घर-घर तक पहुंचा। उक्त बातें भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद एवं मध्यकालीन इतिहास विभाग, गोरखपुर विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 'सनातन संस्कृति के आधुनिक प्रणेता : हनुमान प्रसाद पोद्दार' विषयक एक दिवसीय संगोष्ठी में भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के सदस्य सचिव प्रो. रजनीश शुक्ल ने कही। विशिष्ट अतिथि अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना, नई दिल्ली के राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ. बालमुकुंद पांडेय ने कहा कि पोद्दार ने कल्याण पत्रिका के माध्यम से न सिर्फ भारतीय धर्म, दर्शन, संस्कृति को वैश्विक मंच पर स्थापित किया, बल्कि इसका दुनियाभर में प्रचार-प्रसार भी किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो. ईश्वर शरण विश्वकर्मा ने कहा कि वास्तव में भाईजी आधुनिक युग के हनुमान थे, जिन्होंने राम और भारत की सनातन संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाया।
समापन सत्र में उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के अध्यक्ष प्रो. सदानंद प्रसाद गुप्ता ने कहा कि भाईजी, उच्च कोटि के विद्वान थे। समापन अवसर पर संगोष्ठी संयोजक प्रो. हिमांशु चतुर्वेदी ने सार-संक्षेप प्रस्तुत किया। संचालन आइसीएचआर के निदेशक डॉ. ओमजी उपाध्याय व आभार ज्ञापन इतिहास विभाग की अध्यक्ष प्रो. निधि चतुर्वेदी ने किया।
गोविवि में हनुमान प्रसाद पर होगा शोध
अध्यक्षता करते हुए गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विजय कृष्ण सिंह ने भाईजी के जीवन व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर और अधिक कार्य एवं शोध करने के लिए भाईजी पर एक शोध पीठ की स्थापना की बात कही।