चुरा लिया है तूने जो दिल को...सुब्बालक्ष्मी की धुन पर मंत्रमुग्ध हुए लोग
गोरखपुर में रोटेरियन के एक कार्यक्रम में लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड से सम्मानित एसएस सुब्बालक्ष्मी ने सेक्सोफोन की सुरीली धुन से लोगों का खूब मनोरंज किया।
गोरखपुर, जेएनएन। नए साल के स्वागत के स्लोगन गूंज रहे थे तो लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड से सम्मानित एसएस सुब्बालक्ष्मी की सेक्सोफोन की सुरीली धुन उसमें सुर से सुर मिला रही थी। जश्न का माहौल था तो रोटरियन भी पूरे मूड में थे। उन्होंने लुत्फ उठाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। प्रतियोगिताओं में बढ़चढ़ कर हिस्सेदारी की। लोक गायक राकेश श्रीवास्तव को नगर विभूति सम्मान से सम्मानित करने के बाद कार्यक्रम को संपूर्णता मिल गई।
कार्यक्रम के शुरू होने के बाद जैसे ही सुब्बालक्ष्मी स्टेज पर आई लोगों ने तालियों से जोरदार स्वागत किया। उन्होंने बारी-बारी से 'वंदे मातरम', 'जय हो, 'चुरा लिया है तूने जो दिलो को, 'ओ मेरा सोना रे सोना रे, 'जीते हैं सान से, मरते हैं शान से' फिल्मी गीतों का धुन निकाल लोगों को झूमने के लिए मजबूर कर दिया। कार्यक्रम के बाद क्लब के सचिव राजीव रंजन अग्रवाल ने लोगों का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर कार्यक्रम के निदेशक कीर्ति रमण दास, राजकुमार बथवाल, मधु जैन, रीना अग्रवाल, रूपम गुप्ता, विजय प्रकाश, राजीव शोरेवाल, अजय चांदवासिया, श्वेता दास, नितेन, प्रीति अग्रवाल, अशुतोष आदि मौजूद रहे।
पिता और दादा से मिली संगीत की प्रेरणा
सेक्सोफोन वादन में देशभर में नाम रोशन कर चुकीं एमएस सुब्बालक्ष्मी ने बताया कि उन्हें संगीत की प्रेरणा पिता और दादा से मिली। पिता और गुरु पद्मश्री ने काशी गोपीनाथ ने उन्हें 13 वर्ष की उम्र से ही संगीत की शिक्षा देना शुरू कर दिया, जिसकी वजह से ही वह लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड का सम्मान हासिल कर सकीं। बिलंदपुर के रेस्तरां में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि वह इंडियाज गॉट टेलेंट सीजन-1 की सेमी फाइनलिस्ट भी रह चुकी हैं। सुब्बालक्ष्मी पद्मभारती, युवा कला भारत सहित आधा दर्जन राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित हो चुकी हैं।