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CBSE Board: स्कूलों के लिए मुसीबत बने फार्म न भरने वाले छात्र Gorakhpur News

दसवीं और बारहवीं के छात्रों के शुल्क जमा की तिथि भले ही 31 अक्टूबर है लेकिन 30 अक्टूबर को अवकाश होने की वजह से एक दिन पहले ही शुल्क जमा करने का अवसर छात्रों के लिए खत्म हो गया है।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 04:45 PM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 04:45 PM (IST)
CBSE Board: स्कूलों के लिए मुसीबत बने फार्म न भरने वाले छात्र Gorakhpur News
केंद्रीय माध्‍यमिक ि‍विद्यालय शिक्षा बोर्ड का प्रतीकात्‍मक फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। बोर्ड परीक्षा शुल्क न जमा करने वाले सीबीएसई के छात्र स्कूलों के लिए मुसीबत बन गए हैं। बोर्ड के यह छात्र कहने के लिए सिर्फ गिनती के हैं, लेकिन इनके कारण स्कूल शुल्क जमा करने वाले छात्रों का ब्योरा बोर्ड को समय से नहीं उपलब्ध करा पा रहा है। फार्म भरवाने के लिए स्कूल प्रबंधन छात्रों से संपर्क साधने की कोशिश कर रहा है।

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कई बार बढ़ाई गई तिथि

यूपी बोर्ड की तरह सीबीएसई में भी बोर्ड परीक्षा फार्म भरने व शुल्क जमा करने की तिथि कई बार बढ़ाई गई, फिर भी कई छात्र इससे वंचित रह गए। दसवीं और बारहवीं के छात्रों के शुल्क जमा की तिथि भले ही 31 अक्टूबर है, लेकिन 30 अक्टूबर को अवकाश होने की वजह से एक दिन पहले ही शुल्क जमा करने का अवसर छात्रों के लिए खत्म हो गया है। ऐसे में जो छात्र इस साल बोर्ड का शुल्क जमा नहीं किए हैं, वह परीक्षा से वंचित हो जाएंगे। स्कूल प्रबंधन का कहना है कि जिन छात्रों ने शुल्क जमा नहीं किया है, उनका ब्योरा अब स्कूल से हटाना पड़ेगा। एक बार स्कूल से छात्र का ब्योरा हटाने से फिर वे छात्र बोर्ड परीक्षा में शामिल नहीं हो पाएंगे।

31 तक सीबीएसई को भेजना है ब्योरा

सीबीएसई ने स्कूलों से हर हाल में 31 अक्टूबर तक छात्रों का ब्योरा भेजने को कहा है। बोर्ड ने स्कूलों को साफ हिदायत दी है कि इसके बाद बोर्ड ब्योरा स्वीकार नहीं करेगा।

मजबूरी में स्‍कूल को लेना पड़ेगा निर्णय

गोरखपुर स्‍कूल एसोसिएशन के अध्‍यक्ष अजय शाही का कहना है कि अभिभावकों को कक्षा नौ से बारह तक बोर्ड शुल्क व पंजीकरण से संबंधित सूचनाओं को गंभीरता से लेना पड़ेगा। स्कूल भी बोर्ड के नियमानुसार ही संचालित होता है। इस स्थिति में जिन बच्‍चों की फीस और पंजीकरण शुल्क नहीं जमा हो पाता है तो स्कूल को मजबूरीवश नियमानुसार निर्णय लेना पड़ता है। बच्‍चों का साल भी बर्बाद हो जाता है। 


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