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फारूक अब्दुल्ला पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करने के लिए छात्रों ने दी तहरीर

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करने के लिए छात्रों ने मंगलवार को कैंट थाने में तहरीर दी। आरोप है कि जम्मू कश्मीर के साथ ही देश की एकता और अखंडता को फारूक अब्दुल्ला बिगाड़ने का प्रयास कर रहे हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Tue, 13 Oct 2020 01:59 PM (IST)Updated: Tue, 13 Oct 2020 07:41 PM (IST)
फारूक अब्दुल्ला पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करने के लिए छात्रों ने दी तहरीर
जम्‍मू कश्‍मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला। - फाइल फोटो

गोरखपुर, जेएनएन। नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करने के लिए छात्रों ने मंगलवार को कैंट थाने में तहरीर दी। आरोप है कि जम्मू कश्मीर के साथ ही देश की एकता और अखंडता को फारूक अब्दुल्ला बिगाड़ने का प्रयास कर रहे हैं। कैंट पुलिस ने जांच कर कार्रवाई करने का भरोसा दिया है।

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ग्रुप में थाने पहुंचे छात्र

सोमवार की दोपहर में 12 बजे बेतियाहाता के रहने वाले छात्र कृष्ण मोहन शाही, महावीर राय, नितेश, आदित्य पांडे, राज व विक्की अपने साथियों के साथ केंट थाने पहुंचे। थानेदार को दिए तहरीर में छात्रों ने लिखा है कि  वे देशभक्त नागरिक हैं। सोशल मीडिया, समाचार पत्र और टीवी चैनलों  में चल रहे समाचार को देख कर मालूम हुआ कि  नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने एक बयान दिया है। जिसमें उन्होंने कहा है कि जम्मू- कश्मीर में चीन की मदद से अनुच्छेद 370 को बहाल कराया जाएगा। यह पढ़कर बहुत धक्का लगा। 

पुलिस के उच्‍चाधिकारियों को दी गई जानकारी

पूर्व मुख्यमंत्री का यह बयान विदेशी ताकतों की शह पर दिया गया है, जो देश की एकता और अखंडता को खंडित करने वाला है। ऐसे में फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया जाना जरूरी है। ताकि देश की एकता और अखंडता बनी रहे। एसएसआई कैंट प्रबिन्द राय ने बताया कि तहरीर ले ली गई है। अधिकारियों को इसकी जानकारी दे दी गई है। निर्देशानुसार कार्रवाई होगी।

यह है मामला

पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने पिछले दिनों विवादित बयान देते हुए कश्‍मीर से धारा 370 हटाए जाने के संबंध में चीन से हस्‍तक्षेप करने की मांग की थी। फारुक अब्‍दुल्‍ला के इस बयान के बाद राजनीतिक हलके में उनकी काफी आलोचना हुई थी।


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