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श्रीराम सामाजिक समरसता और आदर्श राजव्यवस्था का प्रतीक : योगी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भगवान श्रीराम को सामाजिक समरसता और आदर्श राजव्यवस्था का प्रतीक बताते हुए कहा कि संकट की घड़ी में सबसे पहले उन्हीं का नाम निकलता है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Fri, 19 Oct 2018 10:11 PM (IST)Updated: Fri, 19 Oct 2018 10:39 PM (IST)
श्रीराम सामाजिक समरसता और आदर्श राजव्यवस्था का प्रतीक : योगी
श्रीराम सामाजिक समरसता और आदर्श राजव्यवस्था का प्रतीक : योगी

गोरखपुर (जेएनएन)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भगवान श्रीराम को सामाजिक समरसता और आदर्श राजव्यवस्था का प्रतीक बताते हुए कहा कि आज भी संकट की घड़ी में सबसे पहले मुंह से उन्हीं का नाम निकलता है। राम के बिना एक पल भी हमारा काम नहीं चल सकता। आज जरूरत उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारकर परिवार और समाज को एकता के सूत्र से बांधने की है। जाति-पांति, छुआछूत और क्षेत्रीय विभेद के नाम पर समाज को बांटने की कोशिश करना पाप है। ऐसा करने वालों का हश्र रावण जैसा होगा। 

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मुख्यमंत्री विजयदशमी के अवसर पर गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर से भव्य शोभायात्रा लेकर मानसरोवर होते हुए रामलीला मैदान पहुंचे थे। वहां सबसे पहले उन्होंने रामलीला के श्रीराम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान का अभिषेक किया। श्रीराम के राजतिलक के बाद गोरक्षपीठाधीश्वर के रूप में लोगों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में जब भी अन्याय, अत्याचार और अधर्म के खिलाफ किसी लड़ाई को नई मंजिल तक पहुंचाना हो, मर्यादा पुरुषोत्तम राम का चरित्र मार्गदर्शन करेगा। यह उनके चरित्र की विशेषता ही है कि हजारों वर्षों बाद भी हम मर्यादा पुरुषोत्तम राम की राक्षस रावण पर विजय का पर्व धूमधाम से मनाते हैं। उनके आदर्श चरित्र को हर जाति, वर्ग और क्षेत्र के नागरिकों ने बिना किसी संकोच के स्वीकार किया है। सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया में जहां-जहां उनके आदर्शों को अंगीकार किया गया वहां-वहां मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त हुआ।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज भी रामराज्य को शासन की उत्कृष्ट व्यवस्था के रूप में जाना जाता है। भेदभाव, नक्सलवाद, आतंकवाद, दारिद्रय और हर प्रकार के दु:ख से मुक्ति का मार्ग रामराज्य ही है। मानवता के सामने जब भी कोई चुनौती दिखती है तो उससे लड़ने की ताकत मर्यादा पुरुषोत्तम राम के चरित्र से मिलती है। उनका पूरा जीवन समाज के विकास, ऋषियों के यज्ञ और लोककल्याण में बाधा डालने वाले दानवों-राक्षसों का अंत करने में गुजरा। गृहकलेश के कारण 14 वर्ष के वनवास के समय भी उन्होंने ऋषि परम्परा के संरक्षण का लक्ष्य संजोए रखा। समाज जिन राक्षसों से थर्रा रहा था उनका वध किया। इसके साथ ही पंचवटी के माध्यम से दक्षिण भारत में प्रवेश कर भारत को उत्तर से दक्षिण तक एकता के सूत्र में बांध दिया। यही नहीं बंदरों, गिरिजनों को जोड़कर उस समय अत्याचार और अन्याय के सबसे बड़े प्रतीक रावण का वध करने में सफलता प्राप्त की। मुख्यमंत्री ने लंका विजय के बाद श्रीराम द्वारा सोने की लंका के परित्याग का उल्लेख करते कहा कि जन्मभूमि को जननी मानने वाले मर्यादा पुरुषोत्तम को सोने की लंका नहीं भाई। उन्होंने बता दिया कि जन्मभूमि का कोई विकल्प नहीं। 

भारतमाता से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतमाता से खिलवाड़ कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। भले ही इसके लिए कितनी भी बड़ी कीमत क्यों न चुकानी पड़े। उन्होंने कहा कि केंद्र और प्रदेश सरकार देश को दुनिया में अग्रणी बनाने के लिए काम कर रही है। शोषितों, पीड़ितों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के प्रयास लगातार हो रहे है। प्रधानमंत्री आवास योजना, हर घर में शौचालय, सौभाग्य, आयुष्मान, उज्जवला सहित विभिन्न योजनाओं का उल्लेख किया।

अष्टभुजी देवी में चारों वर्णों की भुजाएं 

मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज को जाति, धर्म, सम्प्रदाय और छुआछूत के नाम पर बांटने की कोशिश करने वालों को समझ लेना चाहिए कि चारों वर्णों की दो-दो भुजाएं ही अष्टभुजी देवी की आठ भुजाएं हैं। उन्होंने कहा कि शेर की सवारी वही कर पाएगा जिसके पास देवी मां जैसी शक्ति होगी और यह शक्ति सामाजिक एकता से ही आएगी। उन्होंने मां जगदम्बा की पूजा करने वालों से जाति पांति के विभेद, छुआछूत, क्षेत्रीयता आदि के नाम पर बांटने वालों से सावधान रहने और समाज को जोड़ने की अपील की। मुख्यमंत्री के सम्बोधन के बाद शोभायात्रा पुराना गोरखपुर होते हुए वापस गोरखनाथ मंदिर पहुंची जहां संतों, ब्राह्मणों, गरीबों और सामान्य जनों ने साथ बैठकर भोजन किया।

योगी की विजय शोभायात्रा में उमड़ा जनसैलाब

विजयादशमी के अवसर पर गोरखनाथ मंदिर से निकलने वाली गोरखपीठाधीश्वर की परंपरागत विजय शोभा यात्रा शुक्रवार शाम श्रद्धा, भक्ति और हर्षोल्लास के वातावरण में धूमधाम से निकली। शोभा यात्रा में बतौर मुख्यमंत्री गोरक्षपीठाधीश्वर की गद्दी पर सवार योगी आदित्यनाथ को देखने के लिए सड़क के दोनों किनारें खड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी रही। गोरखनाथ मंदिर से लेकर गंतव्य स्थान मानसरोवर मंदिर और फिर रामलीला मैदान तक सड़कों और छतों पर खड़े लोगों ने पुष्प वर्षा से न केवल शोभायात्रा का स्वागत किया, बल्कि अभिवादन के लिए भी बेताब दिखे। अनवरत गूंज रहे जयकारे के बीच धीरे-धीरे बढ़ता योगी का रथ यात्रा को भव्यता प्रदान कर रहा था।


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