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आज से शुरू हो रहा है पवित्र सावन का महीना, ऐसे करें शिव की पूजा Gorakhpur News

बुधवार से सावन का महीना शुरू हो रहा है। सभी भक्त शिव भक्ति में रमने को तैयार हैं। बस इंतजार है अपने आराध्य शिव को जल चढ़ाने का..

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Tue, 16 Jul 2019 02:54 PM (IST)Updated: Wed, 17 Jul 2019 03:03 PM (IST)
आज से शुरू हो रहा है पवित्र सावन का महीना, ऐसे करें शिव की पूजा Gorakhpur News
आज से शुरू हो रहा है पवित्र सावन का महीना, ऐसे करें शिव की पूजा Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। बुधवार से सावन का महीना शुरू हो रहा है। सभी भक्त शिव भक्ति में रमने को तैयार हैं। शिवालयों में सावन के पावन अवसर पर भक्तों की लगने वाली भीड़ के मद्देनजर तैयारियां भी पूरी कर ली गई हैं। बस इंतजार है अपने आराध्य शिव को जल चढ़ाने का, कही शिव को प्रसन्न करने के लिए भांग धतूरा खरीदा जा रहा है तो कही सफेद फूल। बाजार में पूजा सामग्र्री की दुकानों पर भक्तों की भीड़ देखने को मिल रही है। हिन्दू मान्यताओं के मुताबिक इस साल 2019 सावन में कई शुभ संयोग बन रहे हैं। 

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पहले सोमवार को श्रावण कृष्ण पंचमी

सावन के पहले सोमवार को श्रावण कृष्ण पंचमी है वही दूसरे सोमवार को त्रयोदशी प्रदोष व्रत के साथ ही सर्वार्थ सिद्धी योग भी है। तीसरे सावन में नागपंचमी का शुभयोग है जो बहुत भाग्यशाली माना जाता है। अंतिम सोमवार को त्रयोदशी तिथि का शुभ संयोग है।


तीन पहर का ही होता है यह व्रत

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रत्येक सोमवार को व्रत रखने का प्रावधान है। ज्यादातर कुवारी कन्याएं अच्छा वर मिलने की उम्‍मीद में सोमवार का व्रत रखती हैं। अपने भोले स्वभाव के कारण भगवान शिव का एक नाम भोलेनाथ भी है। इसी कारण शिवजी से जुड़े व्रत के कोई कड़े नियम नहीं हैं। इस व्रत में तीन पहर का व्रत करने के बाद आप भोजन भी कर सकते हैं। माना जाता है कि शिव का सच्चे मन से ध्यान लगाकर मात्र उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है।

यह है व्रत और पूजन की विधि

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ कपड़ें पहनें।
  • पूजा स्थल की सफाई करें फिर शिवजी की पसंदीदा वस्तुएं जैसे भांग-धतूरा बेलपत्र कच्चे दूध इत्यादि से पूजन करें।
  • आंख बंद कर व्रत का संकल्प करें और ऊँ नम: शिवाय का जाप करें।
  • आसपास मंदिर हो तो वहां जाकर शिवलिंग पर दूध, जल और बेलपत्र अर्पित करें।
  • सावन के सोमवार व्रत कथा का पाठ करें और दूसरों को भी व्रत कथा सुनाए।
  • भगवान शंकर के सामने तिल के तेल का दीया जलाए और फल -फूल अर्पित करें।
  • दिन में दो बार भगवान शंकर और माता पार्वती की अर्चना जरूर करें।
  • शाम को पूजा कर व्रत खोले और प्रसाद वितरण करें।

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