यहां खुलेआम बिकता है मिलावटी खोवा, अधिकारियों का नहीं है मिलावटखोरों पर नियंत्रण
होली में मिलावटी खोवा से बाजार पट गया है। यह मिलावटी खोवा कानपुर बहराइच जरवल और गोंडा से आ रहा है। इसलिए सावधानी जरूरी है।
By Edited By: Published: Tue, 19 Mar 2019 08:30 AM (IST)Updated: Tue, 19 Mar 2019 10:11 AM (IST)
गोरखपुर, जेएनएन। बाजार में मिलावटी खोवा की भरमार है। खाद्य पदार्थों की दुकानें कानपुर, बहराइच जरवल, गोंडा के नवाबगंज के खोवा से पटी पड़ी हैं। ये खोवा देखने में तो अच्छे हैं, लेकिन सेहत के लिए दुश्मन हैं। हाइड्रो और पाउडर व डालडा से बना खोवा बाजार में खुलेआम बिक रहा है लेकिन जिम्मेदार बेफिक्र हैं। असली खोवा की आड़ में मिलावटी खोवा खपाने का धंधा जोरों पर है। बिचौलिए सक्रिय होली पर्व आते ही नकली खोवा के कारोबार से जुड़े बिचौलिए सक्रिय हो जाते हैं।
सेटिंग के जरिए रात के अंधेरे में दुकानों पर इसकी आपूर्ति कर मुनाफाखोरी करते हैं। बड़े पैमाने पर इसका कारोबार फैला हुआ है। ग्राहक भी असली खोवा के चक्कर में नकली लेकर घर जा रहे हैं। कारण उन्हें असली और नकली की पहचान ही नहीं है। दुकानदारों के विश्वास में मिलावटी खोवा लेकर घर की रसोई में पहुंच रहे हैं। सेहत से खिलवाड़ कर रहे ऐसे दुकानदारों पर विभाग की कृपा भी खूब बरस रही है। हर नुक्कड़, चौराहे और गली में इन दिनों खोवा धरे दुकानदार बैठे ग्राहक का इंतजार करते दिख रहे हैं। यहां की खोवा मंडी भी इससे अछूता नहीं रह गई है। नकली और असली खोवा की यूं करें पहचान यदि ग्राहक जरा सी भी सावधानी बरते तो वह असली और नकली खोवा की पहचान कर सकते हैं। नकली खोवा हाइड्रो, पाउडर, डालडा से बने होते हैं और सफेद दिखते हैं।
वहीं असली खोवा में लच्छा होता है। हलका लाल होता है। स्वाद में खस्ता और सोनपन रहेगा। जांच के नाम पर महज रस्म अदायगी होली हो या फिर अन्य कोई त्योहार, विभाग की निद्रा तब खुलती है जब मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री हो चुकी होती है। जांच, छापेमारी कर नमूने लिए जाते हैं और सालों रिपोर्ट की प्रतीक्षा की जाती है। इस तरह हर साल जांच के नाम पर रस्म अदायगी की जाती है। होली के मद्देनजर नमूने लिए जा रहे हैं। जांच के लिए इसे लखनऊ निदेशालय भेजा गया है।
सेटिंग के जरिए रात के अंधेरे में दुकानों पर इसकी आपूर्ति कर मुनाफाखोरी करते हैं। बड़े पैमाने पर इसका कारोबार फैला हुआ है। ग्राहक भी असली खोवा के चक्कर में नकली लेकर घर जा रहे हैं। कारण उन्हें असली और नकली की पहचान ही नहीं है। दुकानदारों के विश्वास में मिलावटी खोवा लेकर घर की रसोई में पहुंच रहे हैं। सेहत से खिलवाड़ कर रहे ऐसे दुकानदारों पर विभाग की कृपा भी खूब बरस रही है। हर नुक्कड़, चौराहे और गली में इन दिनों खोवा धरे दुकानदार बैठे ग्राहक का इंतजार करते दिख रहे हैं। यहां की खोवा मंडी भी इससे अछूता नहीं रह गई है। नकली और असली खोवा की यूं करें पहचान यदि ग्राहक जरा सी भी सावधानी बरते तो वह असली और नकली खोवा की पहचान कर सकते हैं। नकली खोवा हाइड्रो, पाउडर, डालडा से बने होते हैं और सफेद दिखते हैं।
वहीं असली खोवा में लच्छा होता है। हलका लाल होता है। स्वाद में खस्ता और सोनपन रहेगा। जांच के नाम पर महज रस्म अदायगी होली हो या फिर अन्य कोई त्योहार, विभाग की निद्रा तब खुलती है जब मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री हो चुकी होती है। जांच, छापेमारी कर नमूने लिए जाते हैं और सालों रिपोर्ट की प्रतीक्षा की जाती है। इस तरह हर साल जांच के नाम पर रस्म अदायगी की जाती है। होली के मद्देनजर नमूने लिए जा रहे हैं। जांच के लिए इसे लखनऊ निदेशालय भेजा गया है।
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