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गोरखपुर को बाढ़ से बचाने के लिए राप्ती नदी की धारा मोड़ने का कार्य शुरू

गोरखपुर शहर को नदी की कटान और बाढ़ की आशंका से बचाने के लिए फरसही जोत गांव में राप्ती नदी की धारा मोडऩे का काम शुरू हो गया है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Mon, 03 Jun 2019 11:50 AM (IST)Updated: Mon, 03 Jun 2019 12:11 PM (IST)
गोरखपुर को बाढ़ से बचाने के लिए राप्ती  नदी की धारा मोड़ने का कार्य शुरू
गोरखपुर को बाढ़ से बचाने के लिए राप्ती नदी की धारा मोड़ने का कार्य शुरू

गोरखपुर, जेएनएन। गोरखपुर शहर को नदी की कटान और बाढ़ की आशंका से बचाने के लिए फरसही जोत गांव में राप्ती नदी की धारा मोडऩे का काम शुरू हो गया है। ग्रामीणों के विरोध की आशंका को देखते हुए एसडीएम सदर फोर्स और प्रशासनिक टीम लेकर मौके पर पहुंचे। ग्रामीणों को भरोसा दिलाया गया कि जिन किसानों की कृषि योग्य भूमि इस काम में प्रभावित होगी उन्हें भूमि उपलब्ध कराई जाएगी।

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महेवा से तरकुलानी जाने वाले मलौनी तटबंध पर स्थित लहसड़ी, डूहिया समेत शहरी क्षेत्र की लाखों की आबादी को बाढ़ से बचाने के लिए राप्ती नदी की धारा मोडऩे की कार्ययोजना सिंचाई विभाग के यांत्रिक खंड ने तैयार की है।

ज्वाइंट मजिस्ट्रेट सदर प्रथमेश कुमार, तहसीलदार सदर संजीव दीक्षित, सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता गौरव सिंह आदि अधिकारी फोर्स के साथ फरसही पहुंचे और काम शुरू करा दिया। कलानी बुजुर्ग के राजस्व गांव फरसही जोत, भिलोरही आदि गांव में तीन किमी दायरे में 30 मीटर चौड़ा ड्रेजिंग का काम होना है।

ग्राम प्रधान संतोष मौर्य ने बताया कि चुनाव के पहले ही कार्य शुरू कराया गया था, जिसका विरोध करते हुए मुख्यमंत्री को पत्रक दिया गया था। जिसके बाद काम रोक दिया गया। किसानों के खेत पानी में चले जाएंगे जिससे उनके सामने रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा। अधिकारियों ने समझाया कि जिन किसानों के खेत खुदाई में जा रहे हैं, उनको जल्द ही कृषि योग्य भूमि उपलब्ध करा दी जाएगी। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के निर्देशन में प्रभावित होने वाले दो दर्जन से अधिक किसानों के खेत की नाप कराते हुए उन्हें आश्वस्त किया गया, जिसके बाद ग्रामीण शांत हुए।

यह होगा फायदा

मलौनी तटबंध पर लहसड़ी एवं डूहिया के पास कटान के चलते राप्ती नदी बहुत करीब आ गई है। यदि नदी की धारा नहीं मोड़ी गई तो बांध कट सकता है। कटान होते ही शहरी क्षेत्र की लाखों की आबादी बाढ़ की चपेट में आ जाएगा।

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