MMMUT : प्रो. श्रीनिवास सिंह ने तीन साल में दिया छह साल का रिजल्ट Gorakhpur News
एमएमएमयूटी के वर्तमान कुलपति प्रो. श्रीनिवास सिंह ने बड़े विश्वास के साथ न केवल खुद को पूरे अंक दिए बल्कि तीन साल में छह का आउटपुट देने की बात कही।
गोरखपुर, जेएनएन। मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति प्रो. श्रीनिवास सिंह का कार्यकाल सोमवार को पूरा हो रहा है। उधर नए कुलपति के रूप में कमला नेहरू इंस्टीट्यूटऑफ टेक्नोलॉजी के निदेशक प्रो. जेपी पांडेय के नाम का आदेश जारी हो चुका है। ऐसे में नई कुलपति के स्वागत की तैयारी के बीच कार्यकाल पूरा कर रहे कुलपति के कार्यों के मूल्यांकन भी जारी है। मूल्यांकन के क्रम में जब जागरण ने प्रो. श्रीनिवास सिंह से ही उनकी उपलब्धियों पर चर्चा छेड़ी तो उन्होंने बड़े विश्वास के साथ न केवल खुद को पूरे अंक दिए बल्कि तीन साल में छह का आउटपुट देने की बात कही।
विश्वविद्यालय को आइआइटी और एनआइटी की कतार में की खड़ा करने की कोशिश
प्रो. श्रीनिवास सिंह का कहना है कि विश्वविद्यालय को अपग्रेड करने के लिए मैंने अपनी क्षमता का 100 फीसद दिया। यह कहा जाय कि तीन साल में मैंने छह साल का आउटपुट दिया तो गलत नहीं होगा। अपनी क्षमता से मैंने विश्वविद्यालय को आइआइटी और एनआइटी की कतार में खड़ा करने की हरसंभव कोशिश की। काफी हद तक इसमें सफलता भी मिली। अगर मेरी बनाई योजनाओं पर अमल हुआ तो वह दिन दूर नहीं जब आइआइटी और एनआइटी के साथ एमएमएमयूटी की भी गिनती होगी। उन्होंने कहा कि जो विश्वविद्यालय बीते वर्ष तक राष्ट्रीय स्तर की रैंकिंग में कहीं नहीं था, उसे रैंकिंग हासिल हुई। विश्वविद्यालय के छात्रों को अंतरराष्ट्रीय फलक पर अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर दिलाने में कामयाब रहा। विश्वविद्यालय में पांच इंटरनेशनल प्रोजेक्ट पर चल रहे शोध इसकी बानगी हैं।
शोध का माहौल बनाने के लिए कराया आयोजन
उन्होंने कहा कि परिसर में शोध का माहौल बनाने के लिए मैंने लगातार चार रिसर्च कान्क्लेव का आयोजन कराया, जिसमें अंतराष्ट्रीय स्तर के विद्वानों का सानिध्य और सहयोग शिक्षकों और छात्रों दोनों को प्राप्त हुआ। प्रयास का ही नतीजा रहा कि शोध को लेकर विश्वविद्यालय का सात विदेशी तकनीकी विश्वविद्यालय के साथ करार हुआ। इनमें यूएसए, जर्मनी और जापान के विश्वविद्यालय भी शामिल हैं। इसके अलावा आइआइटी और एनआइटी जैसे देश के दो दर्जन से अधिक उच्च तकनीकी संस्थानों और विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर एमएमएमयूटी के विद्यार्थी शोध कर रहे हैं। ऐसे में रिजल्ट से मुझे पूरी संतुष्टि है। बीते तीन वर्ष में दो दर्जन से अधिक विद्यार्थियों ने अपना शोध कार्य पूरा किया है। जबकि 150 से अधिक विद्यार्थियों का शोध कार्य प्रगति पर है। बड़ी संख्या में शोधार्थियों के शोधपत्र राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित हो रहे हैं।
एमएमएमयूटी की पहले कोई रैंक नहीं थी
प्रो. श्रीनिवास सिंह ने कहा कि कहने में 183वीं रैंक उपलब्धि भरी नहीं लग रही लेकिन अगर पीछे के रिकार्ड को देखें तो उत्तरोत्तर विकास साफ नजर आएगा। पहले एमएमएमयूटी की कोई रैंक नहीं थी। रैंक को और बेहतर करने के लिए बहुत से कार्यों की नींव रख दी गई है, जिसका परिणाम अगली बार की रैंङ्क्षकग में देखने को मिलेगा। पूरा विश्वास है कि अगले वर्ष अपना विश्वविद्यालय 100 रैंक के अंदर स्थान बनाएगा। उन्होंने कहा कि मैंने अपनी क्षमता का शत-प्रतिशत विश्वविद्यालय को दिया, ऐसे में अगर मुझे खुद को नंबर देने होंगे तो पूरे अंक दूंगा। नौ अंक में तो कोई संदेह ही नहीं है।