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संजोईं जाएंगी 1857 से पहले की गोरखपुर की आध्यात्मिक व ऐतिहासिक धरोहरें Gorakhpur News

पर्यटन मंत्रालय यूपी की आध्यात्मिक व ऐतिहासिक स्थलों और भवनों को संजोने की तैयारी कर रहा है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Wed, 25 Sep 2019 12:09 PM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2019 12:09 PM (IST)
संजोईं जाएंगी 1857 से पहले की गोरखपुर की आध्यात्मिक व ऐतिहासिक धरोहरें  Gorakhpur News
संजोईं जाएंगी 1857 से पहले की गोरखपुर की आध्यात्मिक व ऐतिहासिक धरोहरें Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। प्रदेश के दर्शनीय स्थलों के प्रति पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रदेश सरकार की ओर से हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। प्रयास के क्रम को आगे बढ़ाते हुए ही पर्यटन मंत्रालय प्रदेश के उन आध्यात्मिक व ऐतिहासिक स्थलों और भवनों को संजोने की तैयारी कर रहा है, जो आजादी की पहली लड़ाई यानी 1857 से पहले की हों। इन स्थलों को संजोकर पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की तैयारी है।

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सूची तैयार कर रहा है विभाग

इसे लेकर पर्यटन मंत्री के ओर मिले निर्देश के बाद पर्यटन निदेशालय ने सभी क्षेत्रीय कार्यालयों कों 1857 से पहले के भवनों, स्थलों और स्मारकों की सूची तैयार करने को कहा है। निर्देश के मुताबिक गोरखपुर का क्षेत्रीय पर्यटन विभाग ऐसी धरोहरों को चिह्नित करने में जुट गया है। धरोहरों की उम्र की लेकर किसी तरह कोई संशय न रहे, इसके लिए विभाग ने स्थलों की चिन्हित करने की जिम्मेदारी इंटेक (नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज) को सौंपी है।

विभाग ने लिखा पत्र

विभाग ने बाकायदा इंटेक के संयोजक को पत्र लिखकर गोरखपुर मंडल यानी गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर और महाराजगंज की प्राचीन धरोहरों की सूची उपलब्ध कराने को कहा है। इंटेक ने गोरखपुर के कुछ स्थलों को चिह्नित भी कर लिया है। अन्य जिलों की धरोहरों की सूची तैयार करने के लिए भी कार्य शुरू कर दिया है। पर्यटन विभाग के मुताबिक इंटेक से प्राप्त सूची निदेशालय को भेज दी जाएगी। जिन धरोहर स्थलों को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने का कार्य चल रहा है, उसकी जानकारी भी निदेशालय को उपलब्ध कराई जाएगी।

चिह्नित हैं गोरखपुर की यह धरोहरें

बसंत सराय, मोती जेल, रीड साहब का धर्मशाला, घंटाघर, शाही जामा मंिस्जद, संगी मस्जिद, इमामबाड़ा, बाले मियां की मजार, मुबारक शाह शहीद का मकबरा, मानसरोवर, सूर्यकुंड धाम, बसिया डीह मंदिर, हनुमान गढ़ी, हट्ठी माई मंदिर, खाकी बाबा की समाधि, दिगंबर जैन मंदिर, गुरुद्वारा जटाशंकर, बुढिय़ा माई मंदिर, झारखंडी महादेव मंदिर, बंगाली कालीबाड़ी, तरकुलहा देवी मंदिर, कबीर मठ, सेंट क्राइस्ट चर्च, सेंट जांस चर्च, ह्वी पार्क।

निदेशालय से मिले निर्देश के मुताबिक 1857 से पहले की धरोहरों को चिन्हित करने का कार्य शुरू हो गया है। काल को लेकर कोई संशय न हो इसके लिए इंटेक से धरोहरों की सूची उपलब्ध कराने का लिखित अनुरोध किया गया है। सूची तैयार होते ही उसे निदेशालय को भेज दिया जाएगा। - रवींद्र कुमार मिश्र, क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी

पर्यटन विभाग ने गोरखपुर मंडल में मौजूद 1857 से पहले की धरोहरों की सूची मांगी है। गोरखपुर के धरोहरों की प्राथमिक सूची तैयार की जा चुकी है। कल तक उसे अंतिम रूप देकर पर्यटन विभाग को सौंप दिया जाएगा। देवरिया, कुशीनगर और महराजगंज के धरोहरों की सूची भी जल्द तैयार करके उन्हें उपलब्ध करा दी जाएगी। - अचिंत्य लाहिड़ी, सह संयोजक, इंटेक


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