टूट रहा धैर्य, छोटी-छोटी बातों पर बहता है खून, इससे बचने के लिए मनोचिकित्सक दे रहे हैं यह सलाह
गोरखपुर जिले में पिछले छह महीने में मामूली बात को लेकर धैर्य टूटने से छह लोगों का हत्या हो चुकी है। हाल ही में शादी समारोह में शख्स के ऊपर पानी का छींटा पड़ने पर झंगहा में युवक की हत्या कर दी गई। ऐसे कई मामले सामने आए हैं।
गोरखपुर, जितेंद्र पांडेय। समाज से कटने व एकाकीपन के चलते लोगों में धैर्य विकसित नहीं हो पा रहा है। लोग छोटी- छोटी बात पर एक दूसरे का खून बहा रहे हैं। कहीं ओवरटेकिंग को लेकर लोगों पर जानलेवा हमला हो जा रहा है तो कहीं पानी का छींटा पड़ने पर युवक को बेरहमी से पीटकर जान ले ली जा रही है। गोरखपुर जिले में एक वर्ष में ऐसे कुल 11 मामले सामने आए हैं, जिसमें जरा सी बात पर हत्या हो गई है।
ये है मामला: जिले के पिपराइच थाना क्षेत्र में माह भर पूर्व कुछ लोगों ने एक दंपती को बेरहमी से पीटा। पुलिस ने युवकों से पकड़ कर पूछताछ की तो पता चला कि उन्होंने वाहन ओवरटेकिंग को लेकर उस पर जानलेवा हमला कर दिया। इससे वह गंभीर रूप से घायल हुआ। ऐसे मामले एक दो नहीं, करीब एक दर्जन हैं। पुलिस भी इसकी वजह धैर्य क्षमता की कमी बताती है। फिर भी लोग इसके प्रति गंभीर नहीं दिख रहे हैं।
पुलिस अधीक्षक उत्तरी मनोज कुमार अवस्थी का कहना है कि इधर कुछ वर्षों में लोगों में धैर्य की कमी देखी जा रही है। इसके चलते मारपीट व हत्या जैसे भी मामले सामने आ रहे हैं।
छह माह के भीतर की कुछ प्रमुख घटनाएं
- 25 मई- झंगहा थाने के दीवा गांव में पानी का छींटागिरने को लेकर बारातियों ने ग्रामवासी संगम यादव की हत्या कर दी। पुलिस ने दूल्हें के पिता समेत 10 व्यक्तियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया है। शुक्रवार को पुलिस ने आरोपित रामायन गुप्ता को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया।
- 9 मई- खाने के विवाद को लेकर तिवारीपुर के अंबेडकरनगर डोमखाना निवासी कल्लू की उसके भतीजे ने अपने दो साथियों के साथ मिलकर हत्या कर दी।
- 19 मार्च- गोरखनाथ थाने के जमुनहिया में गेट खोलने के विवाद को लेकर कुछ व्यक्तियों ने चाचा-भतीजे की हत्या कर दी।
- 12 नवंबर 2021- शराब पीने से मना करने पर मनबढ़ ने बेलघाट के कुरी बाजार में सुर्ती विक्रेता की पीट-पीटकर हत्या कर दी।
- 15 सितंबर 2021- रास्ते के विवाद को लेकर मनबढ़ों ने सहजनवा थाना क्षेत्र के सेमर डाड़ी के प्रधान जनकधारी रंजन की पीट-पीटकर हत्या कर दी।
जिला अस्पताल के मनो चिकित्सक डा. अमित शाही ने बताया कि बच्चे खेलों से दूर हो रहे हैं। लोग समाज से कट रहे हैं। मोबाइल के चलते लोग एकाकी जीवन जी रहे हैं। इसके चलते मन की भावनाओं को प्रदर्शित करने की सही जगह नहीं मिल रही है। लोगों के सामान्य मनोभाव में खुशी भी है। क्रोध भी है। यह सब व्यक्ति समाज में ही प्रदर्शित करता था और इसकी अपनी सीमाएं थीं। अब व्यक्ति में बचपन से ही धैर्य का विकास नहीं हो पा रहा है। जिस चीज को 15 से 20 वर्ष पूर्व लिखने व करने से पूर्व लोग आठ से 10 बार सोचते थे। आज वह धड़ल्ले से निकल जा रही हैं। ऐसे में व्यक्ति को समाज से, खेल से जुड़ना होगा। खुद में धैर्य को विकसित करना होगा।