कहीं बच्चों को अनसोशल न बना दे सोशल मीडिया, इन बातों का रखें ध्यान
बच्चों द्वारा सोशल मीडिया का प्रयोग काफी दुष्प्रभाव डालने वाला साबित हो रहा है। एक अध्ययन ने चौंकाने वाले निष्कर्ष दिया है। इसलिए सावधान रहने की जरूरत है।
By Edited By: Published: Wed, 17 Oct 2018 09:40 AM (IST)Updated: Wed, 17 Oct 2018 04:38 PM (IST)
गोरखपुर (जेएनएन)। आज के समय में बड़ों से लेकर बच्चों तक में सोशल मीडिया का प्रयोग आम हो चुका है। सोशल साइट्स पर लोगों की व्यस्तता देख कर ऐसा लगने लगा है कि लोग इसके बिना बिल्कुल रह ही नहीं सकते। बच्चे, जो कि सोशल मीडिया का काफी उपयोग करते हैं, उनमें सुबह उठते ही और रात को सोने जाने से पहले इन वेबसाइटों को एक्सेस करने की आदत पड़ रही है।
नि:संदेह इस प्लेटफार्म ने ज्ञानवृद्धि करने, लोगों से संवाद बनाए रखने सहित तमाम विषयों में अच्छे अवसर उपलब्ध कराए हैं। हाईटेक हो चुके इस युग में सोशल मीडिया पर रहना जरूरी हो गया है। इसे मजबूरी कहें या समय की जरूरत, लेकिन इससे बचना नामुमकिन है, लेकिन समस्या तब खड़ी हो जाती है, जब हमारे बच्चे इसकी गिरफ्त में आते हैं और इस कदर इसकी जाल में जकड़ जाते हैं कि उनको न सिर्फ इसकी लत लग जाती है, बल्कि वो कई तरह की मुसीबतों में भी फंस सकते हैं। यह हो रहा प्रभाव सोशल मीडिया के बहुत ज्यादा उपयोग करने के मनोवैज्ञानिक दुष्प्रभाव पड़ने की बातें सामने आयी हैं।
बच्चों में असंतुष्टि का भाव पैदा करता है सोशल मीडिया का अधिक प्रयोग
हाल ही में हुए एक अध्ययन में निष्कर्ष निकला है कि जो बच्चे सोशल मीडिया का उपयोग बहुत ज्यादा करते है, उनके मन में जीवन के प्रति असंतुष्टि का भाव ज्यादा रहता है। सोशल मीडिया पर लोगों को देख-देख कर बच्चों की आदत हो जाती है कि वे अपने अभिभावकों से अवाछित वस्तु की माग भी करने लगते हैं। घटों तक ऑनलाइन रहने की इस आदत के कारण बच्चों को अपने शौक को पूरा करने अथवा खुद का आत्मविश्लेषण करने का समय नहीं मिल पाता। बच्चे तनाव ग्रस्त हो रहे हैं। यह तनाव उनके व्यक्तित्व, व्यवहार, सोच, करियर सभी पर बुरा असर डाल रहा है। बच्चे कई तरह के अवसाद और अपराध के भी शिकार हो रहे हैं। इन मामलों में ज्यादातर मा-बाप तब जान पाते हैं जब कोई अप्रिय घटना घट जाती है। कई मामलों को देखकर लगता है कि सोशल मीडिया बच्चों के लिए एक खतरनाक टूल बनकर सामने आया है।
कुछ फायदे भी हैं
यह हैं फायदे हालाकि सोशल मीडिया के सीमित इस्तेमाल से फायदे भी हो सकते हैं। सोशल मीडिया के सीमित इस्तेमाल से साथियों से तेज और बढि़या कनेक्शन संभव है। सोशल मीडिया से जरूरी सूचना लेना या देना आसान है। सोशल मीडिया से स्टडी मटीरियल शेयर करने में सुविधा होती है। साथ ही सोशल मीडिया के स्किल्स भविष्य में मददगार हो सकते हैं। सोशल मीडिया से टेक्नोलॉजी और गैजेट्स की जानकारी हासिल करनी चाहिए। सोशल मीडिया से प्रोफाइल, डिजाइन और नेटवर्किंग स्किल सीखी जा सकती है। सोशल मीडिया से क्रिएटिव हॉबी को मंच हासिल होता है जहा तुरंत फीडबैक मिल जाता है। तो क्या है समाधान धर्मपुर, गोरखपुर लिटिल फ्लावर स्कूल के प्रधानाचार्य फादर जैमन का कहना है कि ऐसे में इसका एकमात्र समाधान यह नहीं है कि बच्चों को पूरी तरह से सोशल मीडिया से दूर कर दिया जाये, लेकिन अभिभावकों को बच्चों की गतिविधियों पर नज़र रखने की जरूरत है।
सोशल मीडिया बच्चों के कॉन्फिडेंस और पर्सनेलिटी को नकारात्मक रूप से प्रभावित न करे इसके लिए अभिभावकों को चाहिए कि वह अपने बच्चों को समझाएं कि सोशल मीडिया वेबसाइट्स पर मिलने वाले कमेंट्स अथवा लाइक्स से कोई फर्क नहीं पड़ता, असली जिंदगी में उनके द्वारा की गई कड़ी मेहनत ही उन्हें भविष्य में कामयाबी अथवा नाकामी की राह पर ले जाती है। बच्चों को समझाएं कि अपनी पर्सनल फोटो आदि को अपलोड न करें। अक्सर नाबालिग बच्चे अपनी गलत जानकारी देकर इन अकाउंट्स को खोल लेते हैं।
उन्हें सोशल साइट्स की सही अहमियत बताएं कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स लोगों से मिलने और जुड़ने का माध्यम है लेकिन इसे जिंदगी का हिस्सा न बनायें। उन्हें बताएं कि वे इन साइट्स का प्रयोग केवल नए लोगों से जुड़ने या अपनी नेटवर्किंग के दायरे को बढ़ाने के लिए न करें। बच्चे के साथ दोस्ती कीजिए, उनकी फ्रेंडलिस्ट में खुद को शामिल कीजिए, और उनके हर वक्त के अपडेट से अवगत होते रहिए।
नि:संदेह इस प्लेटफार्म ने ज्ञानवृद्धि करने, लोगों से संवाद बनाए रखने सहित तमाम विषयों में अच्छे अवसर उपलब्ध कराए हैं। हाईटेक हो चुके इस युग में सोशल मीडिया पर रहना जरूरी हो गया है। इसे मजबूरी कहें या समय की जरूरत, लेकिन इससे बचना नामुमकिन है, लेकिन समस्या तब खड़ी हो जाती है, जब हमारे बच्चे इसकी गिरफ्त में आते हैं और इस कदर इसकी जाल में जकड़ जाते हैं कि उनको न सिर्फ इसकी लत लग जाती है, बल्कि वो कई तरह की मुसीबतों में भी फंस सकते हैं। यह हो रहा प्रभाव सोशल मीडिया के बहुत ज्यादा उपयोग करने के मनोवैज्ञानिक दुष्प्रभाव पड़ने की बातें सामने आयी हैं।
बच्चों में असंतुष्टि का भाव पैदा करता है सोशल मीडिया का अधिक प्रयोग
हाल ही में हुए एक अध्ययन में निष्कर्ष निकला है कि जो बच्चे सोशल मीडिया का उपयोग बहुत ज्यादा करते है, उनके मन में जीवन के प्रति असंतुष्टि का भाव ज्यादा रहता है। सोशल मीडिया पर लोगों को देख-देख कर बच्चों की आदत हो जाती है कि वे अपने अभिभावकों से अवाछित वस्तु की माग भी करने लगते हैं। घटों तक ऑनलाइन रहने की इस आदत के कारण बच्चों को अपने शौक को पूरा करने अथवा खुद का आत्मविश्लेषण करने का समय नहीं मिल पाता। बच्चे तनाव ग्रस्त हो रहे हैं। यह तनाव उनके व्यक्तित्व, व्यवहार, सोच, करियर सभी पर बुरा असर डाल रहा है। बच्चे कई तरह के अवसाद और अपराध के भी शिकार हो रहे हैं। इन मामलों में ज्यादातर मा-बाप तब जान पाते हैं जब कोई अप्रिय घटना घट जाती है। कई मामलों को देखकर लगता है कि सोशल मीडिया बच्चों के लिए एक खतरनाक टूल बनकर सामने आया है।
कुछ फायदे भी हैं
यह हैं फायदे हालाकि सोशल मीडिया के सीमित इस्तेमाल से फायदे भी हो सकते हैं। सोशल मीडिया के सीमित इस्तेमाल से साथियों से तेज और बढि़या कनेक्शन संभव है। सोशल मीडिया से जरूरी सूचना लेना या देना आसान है। सोशल मीडिया से स्टडी मटीरियल शेयर करने में सुविधा होती है। साथ ही सोशल मीडिया के स्किल्स भविष्य में मददगार हो सकते हैं। सोशल मीडिया से टेक्नोलॉजी और गैजेट्स की जानकारी हासिल करनी चाहिए। सोशल मीडिया से प्रोफाइल, डिजाइन और नेटवर्किंग स्किल सीखी जा सकती है। सोशल मीडिया से क्रिएटिव हॉबी को मंच हासिल होता है जहा तुरंत फीडबैक मिल जाता है। तो क्या है समाधान धर्मपुर, गोरखपुर लिटिल फ्लावर स्कूल के प्रधानाचार्य फादर जैमन का कहना है कि ऐसे में इसका एकमात्र समाधान यह नहीं है कि बच्चों को पूरी तरह से सोशल मीडिया से दूर कर दिया जाये, लेकिन अभिभावकों को बच्चों की गतिविधियों पर नज़र रखने की जरूरत है।
सोशल मीडिया बच्चों के कॉन्फिडेंस और पर्सनेलिटी को नकारात्मक रूप से प्रभावित न करे इसके लिए अभिभावकों को चाहिए कि वह अपने बच्चों को समझाएं कि सोशल मीडिया वेबसाइट्स पर मिलने वाले कमेंट्स अथवा लाइक्स से कोई फर्क नहीं पड़ता, असली जिंदगी में उनके द्वारा की गई कड़ी मेहनत ही उन्हें भविष्य में कामयाबी अथवा नाकामी की राह पर ले जाती है। बच्चों को समझाएं कि अपनी पर्सनल फोटो आदि को अपलोड न करें। अक्सर नाबालिग बच्चे अपनी गलत जानकारी देकर इन अकाउंट्स को खोल लेते हैं।
उन्हें सोशल साइट्स की सही अहमियत बताएं कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स लोगों से मिलने और जुड़ने का माध्यम है लेकिन इसे जिंदगी का हिस्सा न बनायें। उन्हें बताएं कि वे इन साइट्स का प्रयोग केवल नए लोगों से जुड़ने या अपनी नेटवर्किंग के दायरे को बढ़ाने के लिए न करें। बच्चे के साथ दोस्ती कीजिए, उनकी फ्रेंडलिस्ट में खुद को शामिल कीजिए, और उनके हर वक्त के अपडेट से अवगत होते रहिए।
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