छह को मिल गया था वेतन, गोरखपुर विश्ववविद्यालय में वित्तीय संकट नहीं
गोरखपुर विश्वविद्यालय के वित्तिय संकट में फंसने की चर्चा थी। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसे अफवाह बताया है। कुलपति ने बताया कि शासन से धन की मांग करना नियमित प्रक्रिया है। इसमेंं वित्तीय संकट में फंसने जैसी कोई बात नहीं है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के शिक्षकों और कर्मचारियों का वेतन छह अक्टूबर को ही बैंक खाते में भेजा जा चुका है। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि वित्तीय संकट जैसी कोई स्थिति नहीं है।
विश्वविद्यालय के वित्तीय संकट में फंसे होने की थी चर्चा
वित्तीय संकट को लेकर उठ रही चर्चाओं पर विश्वविद्यालय प्रशासन विज्ञप्ति जारी कर स्थिति साफ की है। विवि प्रशासन का कहना है कि बीते दो माह से 255 शिक्षकों और 394 कर्मचारियों का भुगतान वह अपने संसाधनों से ही कर रहा है। हर महीने वेतन भुगतान में करीब सात करोड़ जबकि विश्वविद्यालय संचालन व अन्य कार्यों पर तीन करोड़ रुपये का खर्च आता है। इसके लिए विश्वविद्यालय के पास धन की कोई कमी नहीं है।
विश्वविद्यालय की एफडी तोडने की थी चर्चा
ऐसे में वेतन भुगतान के लिए विश्वविद्यालय में वर्षों से रखे फिक्स डिपाजिट (एफडी) को तोडऩे का कोई औचित्य ही नहीं है और न ही इसके लिए सरकार से कोई निर्देश प्राप्त हुआ है। जहां तक रही सरकार से विश्वविद्यालय के लिए धन की मांग की बात तो वह नियमित प्रक्रिया है। विश्वविद्यालय को प्रतिवर्ष अनुदान के रूप में करीब 28 करोड़ रुपये मिलते हैं। इन रुपयों का आवंटन कई किश्त में किया जाता है।
63 नए रोजगारपरक पाठ्यक्रमों से आ रहा पर्याप्त धन
विश्वविद्यालय इस सत्र से 63 नए स्व-वित्तपोषित पाठ्यक्रमों का संचालन शुरू करने जा रहा है। बीएससी एजी और बीटेक जैसे नए पाठ्यक्रम शुरू हो रहे हैं। नियमित कोर्स को लेकर करीब 80 हजार अभ्यर्थियों ने प्रवेश के लिए पंजीकरण कराया था। प्रवेश की प्रक्रिया भी पूरी की जा रही है। ऐसे में विश्वविद्यालय को पर्याप्त मात्रा में धन प्राप्त हुआ है और इसका क्रम जारी भी है।
आउटसोर्सिंग कर्मियों को नहीं मिला है मानदेय
विश्वविद्यालय में आउटसोर्सिंग के 295 कर्मचारियों के मानदेय का भुगतान पिछले चार माह से नहीं हुआ है। इसकी वजह इन कर्मचारियों को उपलब्ध कराने वाली एजेंसी के प्रोपराइटर का बीते दिनों कोरोना से निधन होना है। इन कर्मचारियों के कार्य का सत्यापन विभागाध्यक्षों से करा लिया गया है। विश्वविद्यालय के मुताबिक जल्द ही मानदेय का भुगतान कर दिया जाएगा।
सरकार से धन की मांग नियमित प्रक्रिया
कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय में किसी तरह का वित्तीय संकट नहीं है। वेतन भुगतान पिछले सप्ताह ही किया जा चुका है। सरकार से धन की मांग को लेकर पत्रों का आदान-प्रदान नियमित प्रक्रिया है। धन की जरूरत सभी विश्वविद्यालयों को है, इसके लिए कुलाधिपति ने अगले माह सम्मेलन आयोजित करने की बात कही है।