कोई नहीं था आगे-पीछे, भाभी ने ननद को मुखाग्नि देकर कायम की मिशाल Gorakhpur News
आज पवह नाला के तट पर नजीर पेश हुआ। एक भाभी ने ननद को मुखाग्नि दी।
By Edited By: Published: Thu, 05 Sep 2019 10:12 AM (IST)Updated: Thu, 05 Sep 2019 01:38 PM (IST)
गोरखपुर, जेएनएन। बुधवार की शाम जब सूरज धीरे-धीरे अस्ताचल की ओर बढ रहा था, तब महराजगंज जनपद के आद्रवन लेहड़ा देवी मंदिर के पास स्थित पवह नाला के तट पर एक भाभी अपनी ननद के मृत देह को सदगति दे रही थी। घाट पर मौजूद हर शख्स अकाली के जज्बे की सराहना करते नहीं थक रहा था। बुजुर्ग महिला सोहराती पुत्री बुद्धु का विवाह फरेंदा क्षेत्र के घोडसारे में हुआ था, लेकिन पति से अलगाव होने के बाद लगभग 45 वर्ष से वह अपने मायके धानी विकास खंड के ग्राम सभा बरगाहपुर टोला चेतरा में रह रही थी। पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रही सोहराती की सेवा सत्कार में अकाली हमेशा तल्लीन रही।
पति शिव की मौत के बाद अकाली व उसके चार बेटों शंभू, सुदामा, वीरेंद्र व छोटू ने अपनी बुआ का हर ख्याल रखा। बीमार चल रही सोहराती की मौत मंगलवार की रात हो गई। बात उनके अंतिम संस्कार की आई तो बिना किसी झिझक के अकाली ने ननद का अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार स्वंय करने का निर्णय लिया। भाभी अकाली द्वारा ननद सोहराती का अंतिम संस्कार करना क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। लोग महिला के इस जज्बे की सराहना कर रहे हैं। मृतका के अंतिम संस्कार के दौरान लेहड़ा मंदिर के पास स्थित पवहनाला के तट पर काफी संख्या में लोग मौजूद रहे।
हर कोई कह रहा था की अकाली ने जीवित रहते सोहराती का पूरा ख्याल तो रखा ही मृत्यु के बाद भी उनके अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी निभा कर समाज को एक नई दिशा दी है।
पति शिव की मौत के बाद अकाली व उसके चार बेटों शंभू, सुदामा, वीरेंद्र व छोटू ने अपनी बुआ का हर ख्याल रखा। बीमार चल रही सोहराती की मौत मंगलवार की रात हो गई। बात उनके अंतिम संस्कार की आई तो बिना किसी झिझक के अकाली ने ननद का अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार स्वंय करने का निर्णय लिया। भाभी अकाली द्वारा ननद सोहराती का अंतिम संस्कार करना क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। लोग महिला के इस जज्बे की सराहना कर रहे हैं। मृतका के अंतिम संस्कार के दौरान लेहड़ा मंदिर के पास स्थित पवहनाला के तट पर काफी संख्या में लोग मौजूद रहे।
हर कोई कह रहा था की अकाली ने जीवित रहते सोहराती का पूरा ख्याल तो रखा ही मृत्यु के बाद भी उनके अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी निभा कर समाज को एक नई दिशा दी है।
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