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    SIR In UP: भ्रम, भय और उदासीनता ने सुस्त की गोरखपुर शहरी क्षेत्र में रफ्तार, ग्रामीण में एसआईआर की रफ्तार 15 से 20 प्रतिशत सुस्त

    Updated: Sun, 07 Dec 2025 12:47 PM (IST)

    मतदाता केवल एक स्थान से गणना प्रपत्र भर सकते हैं, यह उनकी पसंद पर निर्भर करता है। दो स्थानों पर नाम होने पर, जहाँ से प्रपत्र भरेंगे, वहीं के मतदाता बन ...और पढ़ें

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    गोरखपुर जिले में 85 प्रतिशत गणना प्रपत्रों का डिजिटाइजेशन। जागरण

    अरुण चन्द, गोरखपुर। मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) अभियान के तहत गणना प्रपत्रों को भरे जाने और उसके डिजिटाइजेशन का काम अब आखिरी चरण में है। सिर्फ छह दिन का ही और समय रह गया है। लेकिन, गोरखपुर शहर और ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र की रफ्तार काफी सुस्त है। जिले में जहां औसतन 85 प्रतिशत से अधिक गणना प्रपत्र जमा हो चुके हैं, वहीं इन दोनों शहरी आबादी से जुड़े क्षेत्रों में यह आंकड़ा क्रमशः 73 और 72 प्रतिशत ही पहुंच पाया है। बाकी सात विधानसभा क्षेत्रों की स्थिति जिले के औसत से काफी बेहतर है। ऐसे में शहरी और अर्द्ध शहरी आबादी में इस सुस्ती पर सवाल उठने लगे हैं। प्रशासनिक मशीनरी के माथे पर तो बल है ही राजनीतिक दलों में भी बेचैनी है।

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    जमीनी स्तर पर काम कर रहे बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) और राजनीतिक दलों के एजेंटों के मुताबिक बड़ी संख्या में शहरी मतदाता गांव से भी जुड़े हैं। तमाम लोग मूल निवासी तो गांव के हैं लेकिन, नौकरी, शिक्षा और व्यावसाय समेत अन्य वजहाें से शहर में भी घर बनवाकर या किराए पर रह रहे हैं। ऐसे मतदाता अपना गणना प्रपत्र शहर में जमा करने के बजाय गांव में जमा करना अधिक सुरक्षित मान रहे हैं।

    एक और बड़ा भ्रम फैला हुआ है कि यदि शहरी क्षेत्र में वोटर बने तो पंचायत चुनाव में वोट डालने का अधिकार खत्म हो जाएगा। साथ ही यह भी कि 2003 में वह पंचायतों में मतदाता थे। ऐसे में शहर से गणना प्रपत्र भरने से शहर और गांव दोनों ही जगहों से नाम न कट जाए, लोगों में यह भी भ्रम है। इस गलतफहमी को भुनाते हुए पंचायत चुनाव लड़ने के दावेदार ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर फार्म भरवा रहे हैं। जबकि, सच्चाई यह है कि पंचायत चुनावों की मतदाता सूची और एसआइआर का कोई संबंध नहीं है। पंचायतों की मतदाता सूची अलग है और विधानसभा की मतदाता सूची अलग। बावजूद इसके, यह भ्रम दोनों शहरी विधानसभा क्षेत्रों की प्रगति पर भारी पड़ रहा है।

    इसके अलावा शहरों और कस्बों में बड़ी संख्या में किराए पर रहने वाले लोगों के घर बदलने (शिफ्ट होने) से भी बीएलओ को फार्म जमा कराने में दिक्कतें आ रही हैं। यही वो वजहें हैं जिनसे प्रगति प्रभावित हुई है।

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    एसआइआर की धीमी प्रगति को लेकर भाजपा भी चिंतित है। तीन दिसंबर को गोरखपुर आगमन के समय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एनेक्सी में महानगर के भाजपा पदाधिकारियों की बैठक में इस मामले पर नाराजगी भी जताई थी। बैठक में महानगर के भाजपा पदाधिकारियों, पार्षद, पूर्व पार्षद समेत करीब 125 से अधिक लोग मौजूद थे। शहर के महापौर डा. मंगलेश श्रीवास्तव और ग्रामीण विधानसभा के विधायक विपिन सिंह भी बैठक का हिस्सा थे।

    बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में विशेष रूप से तेजी लाने के निर्देश दिए । वहां अब तक मात्र 72 प्रतिशत फार्म जमा हुए हैं। भाजपा नेताओं का मानना है कि यहां जीत-हार का अंतर बहुत कम रहता है। उनका मानना है कि शहर में मतदाता होने के बाद भी अब गांवों में एसआइआर फार्म जमा करवा रहे मतदाताओं में से ज्यादातर भाजपा के हैं। ऐसे में चुनावी समीकरण प्रभावित हो सकता है। इसी वजह से ग्रामीण क्षेत्र को लेकर पार्टी नेताओं की चिंता और बढ़ गई है।

    कहां कितनी प्रगति-
    उप जिला निर्वाचन अधिकारी व अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व विनीत सिंह के मुताबिक शुक्रवार की सुबह तक कैंपियरगंज और पिपराइच में प्रगति 91 प्रतिशत से अधिक है, चौरी-चौरा में बसे अधिक 94, खजनी में 93, सहजनवा में 90, बांसगांव में 87 और चिल्लूपार में 86 प्रतिशत गणना प्रपत्रों की वापसी और उसके डिजिटाइजेशन का काम पूरा हो गया है। इसके मुकाबले शहर और ग्रामीण की स्थिति बेहद कमजोर है। आखिरी छह दिनों में गति बढ़ने की उम्मीद तो है, लेकिन अभी की तस्वीर साफ बताती है कि भ्रम, भय और उदासीनता ने इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों की रफ्तार रोक रखी है।

    किसी एक जगह से ही गणना प्रपत्र भर सकते हैं। यह मतदाता पर निर्भर करता है कि वह कहां से मतदाता रहना चाहता है। दो जगहों पर नाम रहने की दशा में वह जहां से गणना प्रपत्र भरेगा वहीं मतदाता बन सकेगा। लोगों से अपील है कि वे आखिरी दिन का इंतजार न करें। 11 दिसंबर तक गणना प्रपत्र वापस बीएलओ के नहीं देने वालों के नाम कट जाएंगे।

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    - दीपक मीणा, जिला निर्वाचन अधिकारी व डीएम