Good News : कोहरे में नहीं लेट होंगी ट्रेनें, मिलेगी सटीक जानकारी
कोहरे से ट्रेनों को बचाने के लिए रेलवे ने फाग सेफ डिवाइस को तकनीकी रूप से और मजबूत किया है। यह डिवाइस पचास मीटर पहले ही स्टेशनों और सिगनल की जानकारी दे देगा।
गोरखपुर [प्रेम नारायण द्विवेदी]। कोहरे में भी लोको पायलटों को स्टेशन और सिग्नल की सटीक जानकारी मिलती रहेगी। इसके लिए रेलवे प्रशासन ने फाग सेफ डिवाइस को तकनीकी रूप से और मजबूत कर दिया है। यह डिवाइस अब बोलेगी और 50 मीटर पहले ही स्टेशनों और सिग्नलों की जानकारी दे देगी। यही नहीं डिवाइस के डिस्प्ले बोर्ड पर विडियो सिस्टम के जरिये सभी सूचनाएं दिखती रहेंगी। इससे ट्रेनों के लेट होने पर कुछ हद तक लगाम लगेगा।
सफल परीक्षण के बाद पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने सभी ट्रेनों में फाग सेफ डिवाइस अनिवार्य कर दिया है। अब समस्त लोको पायलटों को यह डिवाइस लेकर चलना होगा। इंजन में स्थापित करने के पहले पायलटों को डिवाइस में अपनी आइडी और रूट चार्ट भरना होगा। इसके बाद डिवाइस सीधे जीपीएस सिस्टम से जुड़ जाएगी। जो पायलटों को अलर्ट करती रहेगी। फाग सेफ डिवाइस जीपीएस सिस्टम पर आधारित है। इस सिस्टम में पहले से ही रेलवे की भौगोलिक संरचना दर्ज है।
पारंपरिक सावधानियां
- बढ़ा दी जाती है ट्रेनों की फुट प्लेटिंग।
- सिग्नलों पर चूना की लाइनिंग अनिवार्य।
- बोर्डों पर चस्पा होते हैं ल्यूमिनस व रिफ्लेक्टिव स्ट्रिप।
- सिग्नलों के पास रेल लाइनों पर अनिवार्य रूप से रखा जाता है पटाखा।
त्रिनेत्र बनेगी लोको पायलटों की आंखें
कोहरे में ट्रेनों की सुरक्षा ही नहीं गति को बढ़ाने पर भी शोध किए जा रहे हैं। लोको पायलटों की दृष्यता बढ़ाने के लिए त्रिनेत्र डिवाइस बनाई गई है। डिवाइस को रेलवे यांत्रिक विभाग ने तैयार किया है, जिसका परीक्षण उत्तर रेलवे की 100 ट्रेनों में चल रहा है। प्रयोग सफल रहा तो पूर्वोत्तर रेलवे सहित भारतीय रेलवे में त्रिनेत्र का उपयोग शुरू हो जाएगा। त्रिनेत्र में इंफ्रा रेड व लेजर किरणों का उपयोग होता है, जिसके जरिये लोको पायलट दो किमी तक रेल लाइन देख सकेंगे।
अन्य आधुनिक विकल्पों का भी चल रहा परीक्षण
पूवोत्तर रेलवे के सीपीआरओ संजय यादव ने कहा कि संरक्षित व सुरक्षित यातायात के लिए कोहरे में सभी इंजनों में फाग सेफ डिवाइस लगाई जाएंगी। लोको पायलटों को निर्देशित कर दिया गया है। परंपरागत उपकरणों को भी तैयार किया जा रहा है। अन्य आधुनिक विकल्पों का भी परीक्षण चल रहा है।