Indian Railway: बिना पेंट्रीकार वाली स्पेशल ट्रेनों में साइड वेंडिंग की सुविधा जल्द, IRCTC ने शुरू की टेंडर की प्रक्रिया
पूर्वोत्तर रेलवे रूट पर चलने वाली 38 स्पेशल एक्सप्रेस ट्रेनों में भी अब यात्रियों को चाय काफी के साथ बिस्किट और नमकीन मिल जाएगा। आइआरसीटीसी बिना पेंट्रीकार वाली ट्रेनों में फिर से साइड वेंडिंग (रास्ते में खानपान की व्यवस्था) की सुविधा देने जा रहा है।
गोरखपुर, जेएनएन। गोरखधाम, कृषक, चौरीचौरा, अहमदाबाद, एलटीटी, बांद्रा और पनवेल सहित पूर्वोत्तर रेलवे रूट पर चलने वाली 38 स्पेशल एक्सप्रेस ट्रेनों में भी अब यात्रियों को चाय, काफी के साथ बिस्किट और नमकीन मिल जाएगा। इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कार्पोरेशन (आइआरसीटीसी) बिना पेंट्रीकार वाली ट्रेनों में फिर से साइड वेंडिंग (रास्ते में खानपान की व्यवस्था) की सुविधा देने जा रहा है। टेंडर की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जल्द ही इन ट्रेनों में भी आइआरसीटीसी के वेंडर चलने लगेंगे।
फिलहाल, साइड वेंडिंग में अभी पैक्ड सामग्री ही मिलेगी। पके हुए भोजन (कुक्ड फूड) के लिए यात्रियों को इंतजार करना पड़ेगा। हालांकि, रेलवे स्टेशनों पर पूड़ी-सब्जी, छोला-चावल, समोसा और पकौड़ी के अलावा मनपसंद नाश्ता और भोजन मिलने लगा है। यात्री स्टेशन से नाश्ता और भोजन पैक करा सकते हैं। दरअसल, जिन स्पेशल ट्रेनों की रेक में पेंट्रीकार लगती है उसके यात्रियों को खानपान की पैक्ड सामग्री मिल जाती है। लेकिन जिनमें पेंट्रीकार नहीं लगती उसके यात्री चाय और बिस्किट के लिए तरस जाते हैं। बच्चों और मरीजों को सर्वाधिक परेशानी उठानी पड़ती है। कोरोना काल से पहले सामान्य दिनों में इन ट्रेनों में साइड वेंडिंग की सुविधा उपलब्ध थी। अनलॉक शुरू होते ही एक जून से स्पेशल ट्रेनों का संचालन तो शुरू हो गया, लेकिन यात्रियों को खानपान की सुविधा नहीं मिल पा रही थी। सिर्फ गोरखपुर से ही 13 स्पेशल ट्रेनें बनकर चलती हैं।
अब टीटीई भी दिखेंगे चुस्त-दुरुस्त, होगा मेडिकल टेस्ट
लोको पायलटों, गार्डों और स्टेशन मास्टरों की तरह अब चल टिकट परीक्षकों (टीटीई) का भी मेडिकल टेस्ट (आवधिक चिकित्सा परीक्षा) होगा। वे भी अब ट्रेनों में चुस्त-दुरुस्त दिखेंगे। टीटीई की आयु 45 वर्ष पूरी होते ही टेस्ट की अनिवार्यता शुरू हो जाएगी। पूर्वोत्तर रेलवे के वाराणसी मंडल (गोरखपुर पूर्व) में यह नई व्यवस्था लागू हो गई है। पहला मेडिकल टेस्ट 45 वर्ष पर होगा। इसके बाद 50 और 55 वर्ष पर होगा। 55 से 60 वर्ष के बीच टीटीई को प्रत्येक वर्ष मेडिकल टेस्ट कराना होगा। संबंधित रेलवे अस्पताल में उनकी आंख, नाक, कान, हार्निया और मधुमेह की जांच की जाएगी। फिट रहने पर वे ड्यूटी करते रहेंगे। अनफिट होने पर रेलवे प्रशासन उपचार कराने का मौका देगा। उपचार के बाद भी वे ठीक नहीं हुए तो विभागीय अन्य कार्य सौंप दिए जाएंगे। रेलवे बोर्ड ने लोको पायलटों के लिए ए वन, गार्डों व स्टेशन मास्टरों के लिए ए और टीटीई के लिए बी टू तथा लिपिक के लिए सी श्रेणी का चिकित्सा मानक निर्धारित किया है। हालांकि, मेडिकल टेस्ट को लेकर चल टिकट परीक्षकों में रोष है। वे रेलवे बोर्ड के इस निर्णय को सरकार की साजिश करार दे रहे हैं। उनका कहना है कि यह भी जबरन सेवानिवृत्ति प्रक्रिया की एक कड़ी है।