मोरारी बापू की कथा : जीवन का मर्म समझाती है श्रीराम कथा Gorakhpur News
संत मोरारी बापू ने कहा कि श्रीराम कथा जीवन का मर्म समझाती है और उस दिशा में मनुष्य को लेकर चलती जाती है। यह कथा मनुष्य को शुद्ध करती है।
गोरखपुर, जेएनएन। प्रख्यात संत मोरारी बापू ने कहा कि श्रीराम कथा जीवन का मर्म समझाती है और उस दिशा में मनुष्य को लेकर चलती जाती है। यह कथा मनुष्य को पहले शुद्ध करती है, फिर उसे महाशुद्ध में मिला देती है। कथा का श्रवण कर श्रोता शून्य हो जाता है। नाथ परंपरा में भी श्रवण व शून्य का विशेष महत्व है। यह श्रोता को परम तत्व की ओर लेकर चलती है।
चार तरह की पुष्टि मनुष्य का मार्ग प्रशस्त करती है
मोरारी बापू यहां चंपा देवी पार्क में गोरखनाथ मंदिर व श्रीराम कथा प्रेम यज्ञ समिति के तत्वावधान में आयोजित श्रीराम कथा 'मानस जोगी' के अंतिम दिन व्यास पीठ से श्रद्धालुओं को कथा सुना रहे थे। उन्होंने कहा कि पुष्टि मार्ग में चार तरह की पुष्टि मनुष्य का मार्ग प्रशस्त करती है, यह कार्य अकेले श्रीराम कथा कर देती है। पुष्टि मार्ग की पहली पुष्टि है- प्रभा पुष्टि। यह पुष्टि साधक को अंधकार से प्रकाश की ओर लेकर चलती है।
साधक में उतना ही भरा जाए जो छलक न जाए
दूसरी पुष्टि मर्यादा है, इसमें ध्यान रखा जाता है कि साधक में उतना ही भरा जाए जो छलक न जाए, अर्थात उसे साधक आत्मसात कर सके। तीसरा मार्ग पुष्टि-पुष्टि है, इसमें साधक पूरी तरह शून्य अथवा पूरी तरह भरपूर हो जाता है। शून्य होना व पूर्ण होना दोनों एक ही बात है।
खाली है तो शुद्ध शून्य से भरा है
चौथा मार्ग है शुद्ध पुष्टि। इसका अर्थ है जैसे आपके आंगन में कोई घड़ा रखा है, वह खाली है, खाली है तो शुद्ध शून्य से भरा होगा। उसे तोड़ दिया जाए तो उसका शुद्ध शून्य महाशुद्ध शून्य में मिल जाएगा। श्रीराम कथा ये चारों कार्य अकेले करती है। बापू ने कहा कि यह कथा मैं प्रेमी (राधा बाबा) व योगी (ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ) को समर्पित करता हूं। मुख्य यजमान किशन जालान ने आभार ज्ञापित किया।
1.35 लाख की पुस्तकें बिकीं
कथा स्थल पर मोरारी बापू की पुस्तकों व सीडी के स्टाल के साथ ही गीताप्रेस का स्टाल लगा था। मोरारी बापू की सभी पुस्तकें दो दिन पूर्व समाप्त हो चुकी थीं, केवल सीडी व पेन ड्राइव बचा था। गीताप्रेस के स्टाल पर नौ दिन में कुल 1.35 लाख की पुस्तकें बिकीं जिसमें तुलसी साहित्य- श्रीरामचरितमानस, कवितावली, दोहावली, गीतावली की पुस्तकें सर्वाधिक बिकीं। दुर्गा सप्तशती व सुंदर कांड की भी बिक्री हुई।
बापू को भेंट किया साहित्य
पशु-पक्षी सेवाश्रम नौसढ़ के वरुण वर्मा वैरागी ने कथा स्थल पर मोरारी बापू को गीताप्रेस व गायत्री परिवार की पुस्तकों के साथ ही गो- साहित्य भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
नौ दिन तक बही भक्ति की बयार
चंपा देवी पार्क में आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम कथा की पूर्णाहुति रविवार को हुई। नौ दिनों तक श्रद्धालु श्रीराम कथा के महासुख के सागर में डुबकी लगाते रहे। अंतिम दिन रविवार को कीर्तन-प्रवचन से भक्ति की मंदाकिनी प्रवाहित होती रही। जयश्रीराम, सीताराम के जयघोष से वातावरण गुंजायमान रहा।
अंतिम दिन लगभग 30 हजार लोगों कथा सुनी और भंडारे में प्रसाद ग्रहण किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में बापू ने तुलसी तत्व चिंतन पुस्तक का विमोचन किया।
राम अर्थात परम सर्व सुखदायक
बापू ने कहा कि जब प्रकृति में किसी शुभ घटना का योग होता है, तब श्रीराम का प्रादुर्भाव होता है। राम जन्म मूल सुख है। राम में जब सीता जुड़ जाती हैं तो यह संयोग परम सुख हो जाता है। राम अर्थात परम सर्व सुखदायक। राम आनंददायक हैं, महासुखदायक हैं। समय-समय पर जयश्रीराम, सीताराम का कीर्तन पूरे पंडाल को आनंदित कर देता था, साथ ही पार्वती पतये नम:, हर हर महादेव के समवेत स्वर से वातावरण गूंज उठता था। बापू ने बालकांड से लेकर उत्तरकांड तक, सभी का अर्थ समझाया। उन्होंने कहा कि राम द्वारा सीता के त्याग की घटना को गोस्वामीजी ने मानस में जगह नहीं दी है।
सत्ता-संपत्ति का अहंकार मत करना
बापू ने कहा प्रेम करो तो याद रखो, सुख की अपेक्षा कभी मत रखना। युवाओं से कहा कि सत्ता व संपत्ति का कभी अहंकार न होने देना, क्योंकि वह ईश्वर ने ही प्रदान किया है।
प्रेम का प्रतीक है नारी
बापू ने कहा कि ज्योतिष में छठवें स्थान पर शत्रु तथा आठवें पर मृत्यु का घर है, बीच में सातवें स्थान पर स्त्री का वास है। इससे लोगों ने अर्थ निकाल लिया कि स्त्री रोग व शत्रुता का कारण है।
जबकि सच्चे अर्थ में वह शत्रुता को मिटाकर प्रेम व्याप्त कर देती है और अपने पति को सावित्री की तरह काल के गाल से भी वापस ला सकती है। स्त्री तो स्वयं आदिशक्ति है। वह प्रेम का प्रतीक है।
दीपावली व नववर्ष की शुभकामनाएं दी
बापू ने दीपावली व नववर्ष की अग्रिम शुभकामनाएं देते हुए नववर्ष की पहली कथा, जो उत्तरकाशी में आयोजित हो रही है, में आने का निमंत्रण भी दिया।