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गोरखपुर में युवक की गोली मारकर हत्‍या, भाई को चाकू से गाेदा

गोरखपुर के तिवारीपुर के रामदत्तपुर में सोमवार रात सूदखोर ने गोली मारकर युवक की हत्या कर दी। बचाने पहुंचे चचेरे भाई पर चाकू से हमला कर आरोपित फरार हो गए।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Tue, 19 Mar 2019 10:47 AM (IST)Updated: Wed, 20 Mar 2019 09:47 AM (IST)
गोरखपुर में युवक की गोली मारकर हत्‍या, भाई को चाकू से गाेदा
गोरखपुर में युवक की गोली मारकर हत्‍या, भाई को चाकू से गाेदा
गोरखपुर, जेएनएन। तिवारीपुर के रामदत्तपुर में सोमवार रात सूदखोर ने गोली मारकर युवक की हत्या कर दी। बचाने पहुंचे चचेरे भाई पर चाकू से हमला कर आरोपित फरार हो गए। एक आरोपित के पिता को पुलिस ने हिरासत में ले रखा है।
पुलिस के अनुसार रामदत्तपुर निवासी ध्यान चंद चौरसिया के दो बेटों में छोटा मुकुंद चौरसिया उर्फ सनी आरएमएस (रेलवे मेल सर्विस) में संविदा कर्मचारी था। सोमवार रात आठ बजे वह घर पर मौजूद था। तभी अंधियारीबाग दक्षिणी निवासी विकास यादव उर्फ बंटी, भरत भूषण गौड़ और एक अन्य युवक उसके पास पहुंचे। किसी काम के बहाने उसे बुलाकर घर से थोड़ी दूर काली मंदिर पर ले गए। बातचीत के दौरान विवाद में बंटी यादव और साथियों ने मुकुंद पर चाकू से हमला कर दिया। शोर मचाने पर फूफेरा भाई प्रशांत और पिता दौड़ पड़े। इस बीच बंटी ने मुकुंद के सिर में तमंचा सटा गोली मार दी। प्रशांत ने पकड़ने का प्रयास किया तो गर्दन पर चाकू से हमला कर साथियों संग फरार हो गया। परिजन मुकुंद और प्रशांत को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। डॉक्टर ने मुकुंद को मृत घोषित कर दिया। एसएसपी डॉक्टर सुनील गुप्ता ने बताया कि आरोपितों की तलाश चल रही है।’

ऐसा है सूदखाेरों का जाल
शहर में दबंग, गांव में महिलाएं ब्याज पर बांटती हैं रुपये

सूदखोरी का वैध-अवैध कारोबार शहर में ही नहीं गांवों में भी है। शहर में लाइसेंस धारक और दबंग तो गांवों में महिलाएं सूद पर रुपये बांटती हैं। ग्रामीण महिलाओं के सूद वसूलने का तरीका नरम होता है लेकिन दबंग अपने कर्जदारों को डरा-धमकाकर वसूली करते हैं। सूदखोर कर्ज के बदल 3 से 5 प्रतिशत महीना सूद तय करते हैं तो कुछ 10 प्रतिशत तक। कुछ स्थानों पर तो दिन के आधार पर सूदखोर कर्ज दे देते हैं। मसलन फलमंडी और सब्जीमंडी में ठेले-खोमचे वालों को सूदखोर सुबह 1000 से 2000 रुपये देते हैं और शाम तक 200 से 400 रुपये तक अधिक वसूल लेते हैं। वहीं कई सूदखोर रुपये देकर चुप्पी साध लेते हैं। सूद की रकम जोड़कर कर्ज की रकम इतना ज्यादा बढ़ा देते हैं कि कर्जदार अपनी जमीन या गहने बेचने को मजबूर हो जाते हैं।
सूदखोरों के भय से कारोबार बंद कर बिहार भाग गए दो सगे भाई
बिहार निवासी दो सगे भाई सिविल लाइन में गुमटी रखकर इंफार्मेशन सेंटर नाम से दुकान चलाते थे। कारोबार बढ़ाने के लिए उन्होंने सूद पर रुपये ले लिए। जिसका ब्याज इतना बढ़ गया कि दोनों भाइयों ने दुकान बंद कर शहर छोड़ दिया।
सूदखोरों के डर से रच ली आत्महत्या की कहानी
दक्षिणांचल के एक युवक ने कुछ लोगों से सूद पर रुपये लिए थे। रुपये न चुका पाने के कारण रकम लगातार बढ़ती गई। सूदखोर उस पर रुपये लौटाने के लिए दबाव बनाने लगे। एक दिन युवक राजघाट पुल पर पहुंच। उसने अपनी चप्पलें और कपड़े पुल पर छोड़ दिए और कहीं चला गया। हफ्ते भर तक यह चर्चा रही कि उसने राप्ती में कूदकर जान दे दी। हालांकि बाद में पता चला कि वह कहीं बड़े शहर में जाकर नौकरी कर रहा है।
वसूली के लिए पाले जाते हैं गुंडे
उधार दी गई रकम को वसूलने के लिए सूदखोर किसी भी हद तक जाते हैं। इसके लिए बाकायदा वे कमीशन पर गुंडे पालते हैं। जिनका काम सुबह से शाम तक रकम का तकादा करना और ब्याज वसूलना होता है। रुपए न देने पर वे मालिक के इशारे पर किसी के भी हाथ-पैर तोड़ डालने को तैयार रहते हैं।

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