शाम-ए-गरीबां में उभरा कर्बला का दर्द
गोरखपुर: नौवीं मोहर्रम की शाम से ही हजरत इमाम हुसैन एवं उनके साथियों की अजीम कुर्बानी
गोरखपुर: नौवीं मोहर्रम की शाम से ही हजरत इमाम हुसैन एवं उनके साथियों की अजीम कुर्बानी की याद में शिया समुदाय की ओर से मजलिसों और मातम का दौर चलता रहा। इमामबाड़ा आगा साहेबान, इमामबाड़ा कादिम कदा, इमामबाड़ा मरहूम जहीर साहब और इमामबाड़ा बसंतपुर में ताजिया रखा गया और नौहाख्वानी की गई।
रविवार की सुबह (दसवीं मोहर्रम) इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए इमामबाड़ा आगा साहेबान से ताजिया के साथ जुलूस निकाला गया, जिसमें कई इमामबाड़े के ताजिये शामिल हुए। अकीदतमंद नौहाख्वानी, मर्सिया पढ़ते हुए रेती, घंटाघर, बसंतपुर के रास्ते राप्ती तट पर पहुंचे जहां ताजियों को पानी में सेरवा दिया गया। शाम चार बजे फाकाशिकनी का कार्यक्रम हुआ, जिसमें सभी लोगों ने मिलकर भुना हुआ अनाज खाया।
शाम छह बजे शेखपुर स्थित कादिम कदा में शाम-ए-गरीबां की मजलिस आयोजित की गई। यह मजलिस 10 वीं मोहर्रम को इमाम हुसैन की शहादत के बाद उनके घर वालों पर हुए जुल्म की याद दिलाती है। इस दौरान इमाम हुसैन की शहादत पर प्रकाश डाला गया तो माहौल गमगीन हो गया। सभी ने कहा कि हजरत इमाम हुसैन इंसानियत का पैगाम देने के लिए आए थे। उन्होंने अपने परिवार और साथियों की कुर्बानी देकर इंसानियत को जिंदा रखा।
इस मौके पर शिया जामा मस्जिद के पेशइमाम मौलाना शबीह आजमी, सिब्ते हसन रिजवी, मोहम्मद मेहंदी, आगा मुख्तार हुसैन, नाजिम अब्बास, सैयद इजाज हुसैन आदि मौजूद रहे।