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शारदीय नवरात्र आज से, भक्तिभाव से शुरू हुई मां शक्ति की आराधना

Navratri 2021 Starts Today मां शक्ति की आराधना का समय शारदीय नवरात्र व्रत आज से शुरू होगा। अगले गुरुवार को व्रत की पूर्णाहुति होगी। पहले दिन श्रद्धालु कलश स्थापना कर मां भगवती की आराधना शुरू करेंगे। घरों व मंदिरों में दुर्गासप्तशती का पाठ गूंजेगा।

By Rahul SrivastavaEdited By: Published: Thu, 07 Oct 2021 06:45 AM (IST)Updated: Thu, 07 Oct 2021 09:37 AM (IST)
शारदीय नवरात्र आज से, भक्तिभाव से शुरू हुई मां शक्ति की आराधना
मां शक्ति की आराधना का समय शारदीय नवरात्र व्रत शुरू हो गया। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जागरण संवाददाता : Navratri 2021 Starts Today: मां शक्ति की आराधना का समय शारदीय नवरात्र व्रत शुरू हो गया। अगले गुरुवार को व्रत की पूर्णाहुति होगी। पहले दिन श्रद्धालु कलश स्थापना कर मां भगवती की आराधना शुरू करेंगे। घरों व मंदिरों में दुर्गासप्तशती का पाठ गूंजेगा। तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। देवी-मंदिरों के कपाट पूजा-अर्चना के बाद सुबह पांच बजे आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। मंदिर समितियों ने कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए श्रद्धालुओं को दर्शन कराने का निर्णय लिया है। सभी को शारीरिक दूरी का पालन कराया जाएगा। मास्क लगाकर मंदिरों में जाना जरूरी है।

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11:36 से 12:24 बजे तक कलश स्थापना का उत्तम समय

इस बार शारदीय नवरात्र आठ दिनों का है। आज से नवरात्र शुरू हो रहा है। इसी दिन कलश स्थापित किया जाएगा। इस दिन प्रतिपदा तिथि दिन में 3:28 बजे तक होने से कलश स्थापन के लिए पर्याप्त समय है। अभिजित मुहुर्त (दिन में 11: 36 से 12 : 24 बजे तक) कलश स्थापना के लिए ज्यादा उत्तम है।

पं. शरदचंद्र मिश्र ने बताया कि नवरात्र का प्रारंभ व पूर्णाहुति गुरुवार को होगी। षष्ठी तिथि का क्षय होने से नवरात्र आठ दिन का ही होगा। इस बार देवी का आगमन घोड़े पर हो रहा है, जो सामान्य फलदायक है, लेकिन प्रस्थान हाथी पर होगा, जो ज्यादा शुभ फलदायक है। 12 अक्टूबर सप्तमी को मूल नक्षत्र मिलने से इसी दिन पंडालों में मां दुर्गा की मूर्तियां स्थापित की जाएंगी। 13 अक्टूबर को महाष्टमी व्रत व 14 को महानवमी व्रत है। 15 अक्टूबर को विजयादशी का त्योहार धूमधाम से मनाया जाएगा।

पूजन विधि

पूजा स्थल या पवित्र स्थान पर मिट्टी की वेदी बनाएं, उसमें जौ व गेहूं के दानें मिलाकर बोएं। कलश स्थापना कर गणेशजी व कलश मातृकाओं की पूजा करें। संकल्प कर पुन: एक अन्य कलश पर धातु या मिट्टी की मूर्ति या देवी का चित्र स्थापित करें और षोडशोपचार विधि से उनकी पूजा करें। व्रती को नवरात्र में भूमि शयन या काष्ठ शयन करना चाहिए। दशमी को प्रात:काल विसर्जन करें।

सभी के दुखों को दूर करती हैं मां काली

गोलघर स्थित मां काली मंदिर की महिमा दूर-दूर तक फैली। मान्यता है कि मां का दर्शन करने से सभी प्रकार के दुखों से छुटकारा मिल जाता है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। नवरात्र में आसपास के शहरों से भी लोग मां का दर्शन करने के लिए आते हैं, उन्हें नारियल, चुनरी चढ़ाकर मनचाही मन्नतें मांगते हैं। गोलघर की काली मां की मूर्ति जमीन फोड़कर निकली है। जब यह पूरा क्षेत्र जंगल था, उसी जंगल में एक जगह मां का मुखड़ा जमीन फोड़कर ऊपर निकला। इसके बाद खबर फैली तो लोग जुट गए। वहीं पूजन-अर्चन शुरू हो गया। श्रद्धालुओं की आस्था देखकर जंगीलाल जायसवाल ने संवत 2025 में वहां मंदिर का निर्माण कराया। तभी से प्रतिदिन वहां पूजा होने लगी। लोगों की मान्यता है कि गोलघर की काली मां बहुत सिद्ध हैं, उनसे जो भी मन्नतें मांगी जाती हैं, वह पूरी होती हैं। पूरे नवरात्र यहां श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। वहां जमीन से निकली मूर्ति आज भी है। बगल में श्रद्धालुओं ने बाद में एक बड़ी मूर्ति भी स्थापित कराई। पुजारी श्रवण सैनी ने बताया कि रोज रात 12 बजे से मंदिर की साफ-सफाई शुरू हो जाती है। मां को स्नान कराकर उनका श्रृंगार किया जाता है। फिर मंदिर को फूलों से सजाया जाता है। भोर में चार बजे मां की आरती होती है। पांच बजे से आम श्रद्धालुओं के लिए कपाट खोल दिए जाते हैं।


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