नेपाल ने लगाई रोक, यूपी-बिहार में सिंचाई का गंभीर संकट Gorakhpur News
अधीक्षण अभियंता का कहना है कि नेपाल में प्रवेश नहीं मिलने के कारण नहर के मरम्मत का कार्य भी अधूरा पड़ा है। इससे सिंचाई व पेयजल की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है।
गोरखपुर, जेएनएन। नेपाल में भारतीयों की 'नो इंट्री से यूपी व बिहार में किसानों के समक्ष सिंचाई का गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है। यूपी-बिहार की लाइफलाइन कही जाने वाली मुख्य पश्चिमी गंडक नहर में पानी का संचालन 20 मार्च से ही बंद है। बिहार के इंजीनियरों को नेपाल में जाने की अनुमति नहीं होने के कारण वाल्मीकि बैराज से निकलने वाली मुख्य पश्चिमी गंडक नहर की मरम्मत का कार्य भी नहीं हो सका है। नेपाल की इस सख्ती से सिंचाई समेत अन्य मुसीबत को देख यूपी-बिहार के सिंचाई विभाग के अफसरों की परेशानियां बढ़ गई हैं।
नेपाल के गंडक नदी पर बने वाल्मीकि बैराज से मुख्य पश्चिमी गंडक नहर निकलती है। बैराज से नहर के 18 किमी तक का हिस्सा नेपाल में पड़ता है जिसकी मरम्मत की जिम्मेदारी बिहार सरकार की है। इसके बाद नहर झुलनीपुर (महराजगंज) में भारतीय सीमा में प्रवेश करती है। 131 किमी का सफर तय कर कुशीनगर होते हुए बिहार के पश्चिमी चंपारण में चली जाती है। रोस्टर के मुताबिक वाल्मीकि बैराज से नहर में 15 मई तक पानी छोड़ दिया जाना था लेकिन अभी तक नहर में पानी नहीं आ सका है। 15 मार्च से 15 मई तक दो माह नहर को बंद कर मरम्मत का कार्य किया जाता है। लेकिन अभी तक नहर में मरम्मत का कार्य भी पूरा नहीं होने के कारण नहर में पानी नहीं आ सका है जिसके कारण यूपी के गोरखपुर मंडल समेत बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले में किसानों के लिए खरीफ की सिंचाई का संकट गहरा गया है।
संकट में फंसे 8.5 लाख से अधिक किसान
मुख्य पश्चिमी गंडक नहर से महराजगंज, गोरखपुर, देवरिया व कुशीनगर में 3.38 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि की सिंचाई होती है। खरीफ में 2.43 लाख हेक्टेयर व रबी में 90 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है। झुलनीपुर में नहर में 15500 क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज रहता है। लगभग सात हजार क्यूसेक पानी की खपत गोरखपुर से कुशीनगर में होती है, इसके बाद 8500 क्यूसेक पानी बिहार को जाता है। पानी नहीं आने से मंडल के 8.5 लाख से अधिक किसान संकट में फंस गए हैं। इस नहर से कुल सात शाखाएं निकलती हैं। इनकी लंबाई 3316 किमी है।
जलाशय सूखे, पशु-पक्षियों के लिए मुसीबत
नहर में पानी नहीं आने से पशु-पक्षियों के समक्ष भी पेयजल का गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है। नहर में अप्रैल के अंतिम सप्ताह या मई के प्रथम सप्ताह में एक सप्ताह के लिए पानी छोड़ा जाता है जिससे तालाब व पोखरों समेत अन्य जलाशयों में पशु-पक्षियों के लिए भी पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करा ली जाए। भीषण गर्मी के कारण मंडल के सभी जनपदों में जलाशय सूख चुके हैं।
जनपद -- नहरों की लंबाई (किमी) -- सिंचन क्षेत्र (हेक्टेयर)
गोरखपुर -- 226.5 ---- 19.8 लाख
महराजगंज -- 945.5 -- 96 लाख
कुशीनगर --1729 --170 लाख
देवरिया -- 415 -- 47.5 लाख
कुल लंबाई - 3316 (किमी) -- 333.3 लाख हेक्टेयर
नेपाल में प्रवेश न मिलने के कारण मरम्मत कार्य अधूरा
गंडक सिंचाई कार्य मंडल के अधीक्षण अभियंता अशोक कुमार सिंह का कहना है कि मुख्य पश्चिमी गंडक नहर यूपी व बिहार की जीवन रेखा है। नेपाल में प्रवेश नहीं मिलने के कारण नहर के मरम्मत का कार्य भी अधूरा पड़ा है। मंडल के चारों जनपदों में सिंचाई व पेयजल की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। नहर में पानी छोडऩे के लिए बिहार के अधिकारी लगातार नेपाल के अधिकारियों के संपर्क में हैं। पूरे प्रकरण से शासन को भी अवगत करा दिया गया है।