Move to Jagran APP

कड़ाके की ठंड मगर सामंजस्‍य के अभाव में कहीं फुल तो कहीं खाली हैं रैन बसेरे

सामंजस्य के अभाव में कहीं रैन बसेरे फुल हैं तो कहीं खाली। बाहर से आए यात्रियों को कोई यह भी बताने वाला नहीं है कि किस जगह रैन बसेरे में जगह मिल जाएगी। मजबूरी में यात्रियों को सड़क के किनारे सोना पड़ रहा है।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 12:48 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 12:48 PM (IST)
कड़ाके की ठंड मगर सामंजस्‍य के अभाव में कहीं फुल तो कहीं खाली हैं रैन बसेरे
धर्मशाला पुलिस चौकी के पास सड़क के किनारे रात गुजारते राहगीर। जागरण

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। सामंजस्य के अभाव में कहीं रैन बसेरे फुल हैं तो कहीं खाली। बाहर से आए यात्रियों को कोई यह भी बताने वाला नहीं है कि किस जगह रैन बसेरे में जगह मिल जाएगी। मजबूरी में यात्रियों को सड़क के किनारे सोना पड़ रहा है। 'दैनिक जागरण' ने 17 जनवरी की रात 10 बजे के बाद शहर के रैन बसेरों की व्यवस्था और यात्रियों की संख्या की पड़ताल की।

loksabha election banner

यहां भरे और यहां खाली दिखा रैन बसेरा

कचहरी रैन बसेरा फुल मिला। यहां पिता को लेकर रुके पडरौना के प्रेमचंद यादव ने बताया कि एक डाक्टर को दिखाने आए थे। शाम हो गई तो डाक्टर चले गए। अब मंगलवार को दिखाऊंगा, इसलिए रैन बसेरा में रुक गया। बलिया के अजउर निवासी कमलदेव यादव को लुधियाना की ट्रेन पकडऩी थी, तो वह रैन बसेरे में रुक गए। ट्रांसपोर्टनगर के रैन बसेरे में आंबेडकर नगर से आए हरिनारायण शुक्ल सोते मिले। बोले कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में इलाज के लिए आए हैं। धर्मशाला रैन बसेरा में ठहरने वाले यात्रियों के लिए भोजन का भी इंतजाम किया गया है। संचालक किशन ने बताया कि पांच दिन से खाना आ रहा है। रेलवे स्टेशन रैन बसेरा में पुरुषों का बेड फुल हो गया था, लेकिन महिलाओं के छह बेड खाली थे।

हांसूपुर रैन बसरे में गेट से आ रही ठंडी हवाओं से परेशान हैं यात्री

हांसपुर रैन बसेरा भी फुल मिला लेकिन गेट पर पर्दा न होने के कारण सीधे अंदर तक पहुंच रही हवाओं से यात्री परेशान दिखे।

बशारतपुर में 35 से ज्यादा बेड खाली

बशारतपुर में नगर निगम के रैन बसेरे में 70 बेड हैं। यहां 35 से ज्यादा बेड खाली थे। संचालक ने बताया कि खजांची चौक तक वाहन से सड़क किनारे सोने वालों को रैन बसेरा में पहुंचाया जाता है।

नहीं दिख रहे ई रिक्शा

दिसंबर में ठंड पडऩे पर प्रशासन की ओर से ई रिक्शा का इंतजाम किया गया था। ई रिक्शा से सड़क किनारे सोने वालों को नजदीक के रैन बसेरा में पहुंचाया जाता था। अब ई रिक्शा कहीं नहीं दिख रहा है।

जलता मिला अलाव

नगर निगम की ओर से महानगर में 147 स्थानों पर अलाव की व्यवस्था का दावा किया गया है। 'दैनिक जागरणÓ की पड़ताल में ज्यादातर स्थानों पर अलाव जलते मिले।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.