सिद्धार्थनगर की संतोला देवी ने हौंसले की कलम से लिखी तरक्की की दास्तां
सिद्धार्थनगर जिले की संतोला देवी हौसले के बलबूते तरक्की की दास्तान लिख रहीं हैं। पोल्ट्री फार्म के साथ मत्स्य उत्पादन व डेयरी खोलकर खुद आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही दूसरों को भी रोजगार देने का काम भी किया है।
गोरखपुर, नीलोत्पल दुबे। सिद्धार्थनगर जिले के डुमरियागंज क्षेत्र के मन्नीजोत की संतोला देवी हौसले के बलबूते तरक्की की दास्तान लिख रहीं हैं। पोल्ट्री फार्म के साथ मत्स्य उत्पादन व डेयरी के बलबूते वह न सिर्फ खुद आत्मनिर्भर हुईं, बल्कि अन्य को भी रोजगार देने का काम भी किया है। महिलाओं को वह स्वावलंबी बनने के लिए भनवापुर ब्लाक क्षेत्र में प्रेरित करने का काम भी कर रही हैं। तीन वर्ष पहले तक मन्नीजोत के रामनरेश की आर्थिक स्थिति डांवाडोल थी। कुछ जमीन थी, लेकिन इतना अनाज नहीं पैदा होता कि परिवार के लोगों का पेट भर सकें। स्थिति से उबरने के लिए पत्नी संतोला ने गृहस्थी चलाने की बागडोर अपने हाथ में ली तो तरक्की की दास्तां लिखती चली गईं।
मत्स्य उत्पादन व डेयरी से भी आमदनी में हुआ इजाफा
सोहना कृषि विज्ञान केंद्र से प्रशिक्षण लेकर वर्ष 2018 में 50 हजार रुपये से पोल्ट्री फार्म शुरू किया। पहले वर्ष ही दोगुनी कमाई हुई। खर्च निकल गया तो हौसला बढ़ा और फार्म का दायरा बढ़ाकर 1000 स्क्वायर फीट कर दिया। इसके साथ ही उन्होंने दो गायों के साथ डेयरी भी शुरू की, आज चार गायों के सहारे प्रतिदिन 50 ली. दूध उत्पादन करती हैं। कदम यहीं नहीं रुके पिछले वर्ष उन्होंने 16 मंडी भूमि पर तालाब बनवाकर देसी मांगुर मछली का उत्पादन शुरू किया। फुटकर बाजार में 600 रुपये किलो की दर से बिकती है। बताती हैं कि मुर्गी फार्म के अवशेष तालाब के लिए बेहतर खाद का काम करते हैं, इससे मछलियों की वृद्धि तेजी से होती है। अपने तीन प्रयासों के साथ वह प्रतिवर्ष चार लाख रुपये से अधिक कमाई कर रही हैं। 20 मंडी जमीन के साथ तरक्की का उनका सफर जारी है। उन्होंने चार लोगों को रोजगार भी दे रखा है।
महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं संतोला
भनवापुर के बीडीओ धनंजय ने कहा कि महिला का प्रयास सराहनीय है, इसलिए वह ब्लाक क्षेत्र की महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं। सरकार के अनुदान योजनाओं का लाभ उन्हें उपलब्ध कराया जाएगा।